इनके पसीने में छुपी है राष्ट्रभक्ति की खुशबू
महेश कुमार वैद्य रेवाड़ी दिल्ली रोड पर मसानी स्थित गुरुकुलम स्कूल में चल रहे दुर्गावाहिनी के प्रांतीय शौर्य प्रशिक्षण वर्ग को अनुशासन की प्रेरक पाठशाला कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यहां प्रदेश के विभिन्न जिलों से आई सौ से अधिक बेटियां दुर्गा बनने के लिए जमकर पसीना बहा रही है। इनके पसीने में राष्ट्रभक्ति की खुशबू व दुश्मन से लड़ने का जज्बा छुपा हुआ है।
महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी
दिल्ली रोड पर मसानी स्थित गुरुकुलम स्कूल में चल रहे दुर्गावाहिनी के प्रांतीय शौर्य प्रशिक्षण वर्ग को अनुशासन की प्रेरक पाठशाला कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यहां प्रदेश के विभिन्न जिलों से आई सौ से अधिक बेटियां 'दुर्गा' बनने के लिए जमकर पसीना बहा रही है। इनके पसीने में राष्ट्रभक्ति की खुशबू व दुश्मन से लड़ने का जज्बा छुपा हुआ है।
सेना जैसा कड़ा अनुशासन इन्हें दुश्मन से लड़ने की ताकत देता है। राष्ट्र विरोधी तत्वों के दांत खट्टे करने के लिए विश्व हिदू परिषद की महिला शाखा दुर्गावाहिनी की अनुभवी शिक्षिकाएं पसीने से पौध सींच रही हैं। यहां का माहौल बहुत कुछ सीखने का अवसर देता है। प्रांतीय शौर्य प्रशिक्षण वर्ग की गतिविधियां निराश हो चुके उन लोगों के लिए आशा की किरण
है जो सनातन संस्कृति पर संकट मान रहे हैं।
----------
सुबह चार बजे से शुरू होती है दिनचर्या
शौर्य प्रशिक्षण वर्ग में शामिल हुई बहन-बेटियां सुबह सवा 4 बजे उठते के कुछ देर बाद ही कड़े प्रशिक्षण में जुट जाती है। सुबह सवा पांच बजे से साढ़े सात बजे तक लाठी चलाने से लेकर योगाभ्यास तक कई विधाओं का प्रशिक्षण मिलता है। ध्वज प्रणाम के बाद साढ़े आठ बजे से सवा 9 बजे तक फिर से शारीरिक प्रशिक्षण होता है। शाम के समय भी एक घंटा पसीना बहाना पड़ता है। शेष पूरा समय भी सेवा, सत्संग व शक्ति साधना से जुड़ी गतिविधियां जारी रहती है। प्रशिक्षण वर्ग (शिविर) 9 जून को शुरू हुआ था। शनिवार को इसका समापन होगा।
-------------
इनसेट:
भोजन की सेवा संभालते हैं अंबाला के सुशील जैन
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधारा में पुष्पित-पल्लवित विश्व हिदू परिषद की महिला इकाई दुर्गावाहिनी के इस आयोजन से सुविख्यात व्यवसायी भी जुड़े हुए हैं। बाल्यकाल में संघ से जुड़े अंबाला के व्यवसायी सुशील जैन भोजनालय का प्रबंध देख रहे हैं। भोजन की सेवा से उनका पुराना जुड़ाव है। वर्ष 1970 में तृतीय वर्ष कर चुके जैन आपातकाल में तीन माह तक हिसार जेल में बंद रहे। इसी तरह कई अन्य लोग भी वर्ग से जुड़कर सेवा कार्य कर रहे हैं।