सिथेटिक ट्रैक के अभाव में गुरुग्राम जाकर अभ्यास करने को मजबूर खिलाड़ी
इसे विडंबना कहें या खिलाड़ियों का खेल के प्रति जुनून। रेवाड़ी के खिलाड़ी गुरुग्राम स्थित ताऊ देवीलाल स्टेडियम में अभ्यास करने जाते हैं। लंबे समय से राव तुलाराम स्टेडियम में बनाए एथलेटिक मैदान में सिथेटिक ट्रैक बनने की योजना सिरे नहीं चढ़ने से खिलाड़ियों को अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ रहा है।
ज्ञान प्रसाद, रेवाड़ी
इसे विडंबना कहें या खिलाड़ियों का खेल के प्रति जुनून। रेवाड़ी के खिलाड़ी गुरुग्राम स्थित ताऊ देवीलाल स्टेडियम में अभ्यास करने जाते हैं। लंबे समय से राव तुलाराम स्टेडियम में बनाए एथलेटिक मैदान में सिथेटिक ट्रैक बनने की योजना सिरे नहीं चढ़ने से खिलाड़ियों को अव्यवस्थाओं का सामना करना पड़ रहा है। ट्रैक नहीं होने के कारण ही खिलाड़ियों को 40 किलोमीटर दूर गुरुग्राम तक जाना पड़ रहा है। लंबे समय से यहां सिथेटिक ट्रैक बनवाने की मांग की जा रही है, लेकिन सुधार के नाम पर सेंडर ट्रैक बनवा दिया, जिससे सुविधा कम असुविधा अधिक होती है।
धूल मिट़्टी उड़ने के साथ ट्रैक का लेवल भी समतल नहीं होने के कारण दौड़ लगाने में खिलाड़ियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। खिलाड़ी रेनुका, मनाली, खुशी, नव्या, निखिल प्रतिदिन गुरुग्राम जा रहे हैं। इन खिलाड़ियों का कहना है कि अगर रेवाड़ी स्टेडियम में ही उनको सुविधा मिल जाए तो उनको सफर नहीं करना पड़ेगा।
स्टेमिना प्रभावित नहीं हो इसलिए जाते हैं गुरुग्राम: स्कूल गेम्स फेडरेशन आफ इंडिया (एसजीएफआइ) की 200 मीटर दौड़ में नया रिकार्ड बनाने वाली खिलाड़ी रेनुका को आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलना है। इसी प्रकार खिलाड़ी मनाली ने ट्रिपल जंप की एसजीएफआइ में तीन मेडल जीते हैं। खुशी यूथ नेशनल में रजत पदक विजेता व जूनियर नेशनल स्वर्ण पदक विजेता रही हैं। निखिल भी स्कूल स्तर की खेलकूद प्रतियोगिताओं में जिला व राज्यस्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर चुके हैं। इन खिलाड़ियों का कहना है कि राव तुलाराम स्टेडियम में बनाए सेंडर ट्रैक में दौड़ लगाते वक्त चोट लगने का खतरा रहता है।
हमारे क्षेत्र के खिलाड़ियों में प्रतिभा की कमी नहीं है। सीमित संसाधनों में भी खिलाड़ियों ने राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर पदक जीते हैं। स्टेडियम में सिथेटिक ट्रैक बनवाने के लिए जल्द ही कार्ययोजना तैयार की जाएगी। कोविड-19 की वजह से बहुत से काम अटके हुए हैं। जैसे-जैसे खेल गतिविधियां आरंभ होंगी उसके अनुरूप खेल परिसरों की हालत भी सुधारी जाएगी।
सुदेश कुमार, जिला खेल एवं युवा कार्यक्रम अधिकारी।