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छात्रावास मिला तो बेटियां घर से दूर निकलकर भी पढ़ने लगीं

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश के साथ बेटियों को और पढ़ाओ पर व्यावहारिक रूप देने के लिए व्यापक रूप से काम करने की आवश्यकता है। बेटियों को उच्चस्तर तक की पढ़ाई के लिए प्रेरित करने के लिए शिक्षण संस्थानों में पाठ्यक्रमों को बढ़ावा देने के साथ आवास की भी सुविधा मिलती है तो वे हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकती हैं। शिक्षण संस्थानों में छात्रावास की सुविधा मिलने पर ये बेटियां घर से दूर भी जा सकती हैं। इसका प्रमाण जिला के तीन शिक्षण संस्थानों में स्थापित छात्रावास में छात्राओं के दाखिला होना है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 09:45 PM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 06:17 AM (IST)
छात्रावास मिला तो बेटियां घर से दूर निकलकर भी पढ़ने लगीं
छात्रावास मिला तो बेटियां घर से दूर निकलकर भी पढ़ने लगीं

बेटी को और पढ़ाओ अभियान:::

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बेटी को और पढ़ाओ:

फोटो संख्या: 6

- आइजीयू मीरपुर में कम पड़ रहे छात्रावास के कमरे, बावल के कृषि महाविद्यालय के छात्रावास में 45 छात्राएं बीएससी, एमएससी और पीएचडी कर रहीं दूसरे जिलों से आकर

ज्ञान प्रसाद, रेवाड़ी:

बेटियों को और पढ़ाओ। इस नारे को व्यावहारिक रूप देने के लिए व्यापक तरीके से काम करने की आवश्यकता है। यदि बेटियों को उच्च स्तर तक की पढ़ाई के लिए प्रेरित करने को शिक्षण संस्थानों में पाठ्यक्रमों को बढ़ावा देने के साथ आवास की भी सुविधा मिलती है तो वे हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकती हैं। शिक्षण संस्थानों में छात्रावास की सुविधा मिलने पर ये बेटियां घर से दूर भी जा सकती हैं। इसका प्रमाण जिले के तीन बड़े शिक्षण संस्थान हैं जहां बेटियों को आवास की सुविधा मिली तो उन्हें पढ़ने के लिए घर से बाहर कदम रखने में भी कोई झिझक नहीं हुई। मीरपुर स्थित इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय में करीब तीन हजार विद्यार्थियों में से 80 फीसद संख्या सिर्फ छात्राओं की है। विवि के छात्रावास में भी दाखिलों के लिए मारामारी रहती है।

जिले के तीन शिक्षण संस्थानों में है छात्रावास की सुविधा:

उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए जहां छात्रावास की सुविधा है वहां छात्राओं का पढ़ाई के प्रति रुझान भी बढ़ा है। मीरपुर स्थित इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय (आइजीयू) में छात्राओं की संख्या बढ़ने के कारण छात्रावास में कमरों की संख्या कम पड़ रही हैं। वर्तमान में स्टाफ क्वा‌र्ट्स में 60 कमरों

को छात्राओं का छात्रावास बनाया हुआ है। वर्तमान में 180 छात्राएं न केवल प्रदेश के विभिन्न जिलों से बल्कि राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ तक से छात्राएं यहां उच्चतर शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। कृषि महाविद्यालय में 45 छात्राएं :

इसी प्रकार बावल स्थित कृषि महाविद्यालय में 45 छात्राएं कृषि की छह वर्षीय बीएससी (ऑनर्स), एमएससी, पीएचडी तक की पढ़ाई कर रही हैं। यहां हिसार, पानीपत, यमुनानगर,पानीपत, सिरसा, फतेहाबाद, भिवानी, जींद सहित विभिन्न जिलों की छात्राएं पढ़ाई कर रही हैं। पहले सत्र में ही 34 छात्राओं ने लिया दाखिला :

जिला मुख्यालय स्थित राजकीय महिला महाविद्यालय में वर्तमान सत्र में छात्राओं को छात्रावास की सुविधा मिली है। इसमें 34 छात्राएं रहते हुए स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही हैं। यहां 90 छात्राओं के रहने की व्यवस्था है। इस छात्रावास में जिला के दूर दराज के गांवों के साथ सिरसा, नोएडा, गुरुग्राम आदि स्थानों से छात्राएं रहती हैं। छात्राओं का रुझान बढ़ता है तो अभिभावक भी करते हैं प्रेरित :

छात्रावासों में रहने वाली छात्राओं का कहना है कि सामाजिक सुरक्षा मिलती है तो न केवल वे अपनी पढ़ाई आगे बढ़ा सकती हैं बल्कि माता पिता भी बेटियों को घर से दूर भेजने में नहीं हिचकते। सुविधाएं मिलती हैं तो बेटियां अपनी पढ़ाई जारी रख सकती हैं।


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