37 दिनों तक 500 लोगों को खिलाया भोजन
कोविड की जंग में लाकडाउन का समय सबसे महत्वपूर्ण था। इस दौरान दूसरे राज्यों के हजारों ऐसे लोग थें जो अपने घर नहीं जा पाए तथा यहीं पर फंसकर रह गए। उनके पास भोजन तक का इंतजाम नहीं था।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : कोविड की जंग में लाकडाउन का समय सबसे महत्वपूर्ण था। इस दौरान दूसरे राज्यों के हजारों ऐसे लोग थें, जो अपने घर नहीं जा पाए तथा यहीं पर फंसकर रह गए। उनके पास भोजन तक का इंतजाम नहीं था। संकट के इस समय में शहर की समाजसेवी संस्थाएं ही इन लोगों का सबसे बड़ा सहारा बनीं। ऐसी ही एक संस्था थी शांति लोक सोसायटी। बाईपास स्थित शांति लोक सोसायटी के लोगों ने लगातार 37 दिनों तक 500 लोगों को न सिर्फ भोजन कराया बल्कि जरूरत का सामान भी उन्हें मुहैया कराया। भूखे श्रमिकों को देखा तो संभाला मोर्चा बाईपास स्थित शांति लोक सोसायटी के सामने ही दूसरे राज्यों से आए बहुत से श्रमिक झुग्गी डालकर रह रहे हैं। लाकडाउन के चलते इन श्रमिकों के पास कोई काम नहीं था और ये अपने घर भी नहीं लौट सकते थे। सोसायटी के लोगों ने लाकडाउन के दो-तीन दिन बाद ही जब देखा कि श्रमिक तबका भोजन के लिए तरस रहा है तो सोसायटीवासियों ने खुद ही मोर्चा संभाला। प्रधान वेदप्रकाश शर्मा के नेतृत्व में सोसायटी के लोगों ने खुद ही पैसे एकत्रित किए तथा इन जरूरतमंदों के लिए भोजन तैयार करना शुरू कर दिया। पुण्य के इस यज्ञ में सचिव जगजीत सिंह यादव, उप प्रधान भारतभूषण, अभियान के संयोजक डा. नवीन अदलखा, डीडीपीओ दीपक यादव, रामबीर यादव, बाबूलाल, इंद्रदेव यादव , अशोक यादव मनेठी, रामफल यादव, अशोक यादव, संजय यादव, जयपाल, दलीप यादव, एडवोकेट कुलदीप यादव, डा. अनिल यादव ने कंधे से कंधा मिलाकर अपना सहयोग दिया। डा. नवीन अदलखा बताते हैं कि हर रोज सुबह और शाम के समय 500 से अधिक जरूरतमंदों को भोजन कराया गया था। सोसायटी का पुनीत कार्य सिर्फ भोजन तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि जरूरतमंदों तक साबुन व अन्य आवश्यकता का सामान भी पहुंचाया गया था। लाकडाउन के दौरान शांतिलोक सोसायटी पूरी तरह से सेवालोक सोसायटी बन गई थी, जिसमें रहने वाला हर व्यक्ति सेवाकार्य में जुटा हुआ था।
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नर सेवा ही नारायण सेवा है। इसी सिद्धांत पर चलते हुए सोसायटी की ओर से लाकडाउन के दौरान दूसरे राज्यों के 500 से अधिक लोगों को हर रोज भोजन कराया गया था। सोसायटी के हर व्यक्ति ने अपना पूरा सहयोग दिया, जिसके चलते ही हम अपने इस अभियान में कामयाब हो पाए।
-वेदप्रकाश शर्मा, प्रधान शांति लोक सोसायटी