किसानों की जेब में आएगा 20 हजार करोड़ रुपया
रेवाड़ी अर्थव्यवस्था को लेकर अर्थशास्त्रियों का गणित अपनी जगह मगर गुणा-भाग के चक्कर में पड़े बिना बड़े-बुजुर्गों की माने तो धरतीपुत्रों के पसीने की बदौलत जेठ-साढ़ (ज्येष्ठ-आषाढ़) में बाजार से मंदी का दौर कुछ हद तक खत्म होना शुरू हो जाएगा।
महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी:
अर्थव्यवस्था को लेकर अर्थशास्त्रियों का गणित अपनी जगह, मगर गुणा-भाग के चक्कर में पड़े बिना बड़े-बुजुर्गों की मानें, तो धरती पुत्रों के पसीने की बदौलत ज्येष्ठ-आषाढ़ में बाजार से मंदी का दौर कुछ हद तक खत्म होना शुरू हो जाएगा। एक अनुमान के अनुसार, अप्रैल से जून तक हरियाणा के किसानों की जेब में लगभग 20 हजार करोड़ रुपया आएगा।
जून तक प्रदेश की मंडियों में लगभग नौ करोड़ क्विंटल गेहूं और 60 लाख क्विंटल सरसों की खरीद का अनुमान है। प्रदेश में गेहूं और सरसों के अलावा जौ व अन्य फसलें भी हैं, मगर नाममात्र की। इस बार गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4425 व सरसों का 1925 रुपये प्रति क्विंटल है। किसान की जेब में पहुंचने वाली अधिकांश रकम बाजार में पहुंचती है। अगर किसानों की जेब में रुपया पहुंचेगा, तो व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर भी थोड़ी-बहुत रौनक जरूर लौटेगी। कृषि क्षेत्र का योगदान 16 फीसद
पिछले वर्ष के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश की जीडीपी में कृषि व संबद्ध क्षेत्रों का योगदान 16 फीसद है, जबकि उद्योगों का 33 व सेवा क्षेत्र का 51 फीसद है, मगर किसान का पहिया घूमेगा तो सेवा व उद्योग क्षेत्रों में भी चहल-पहल होगी। निश्चित रूप से आने वाले समय में लिक्विडिटी (पूंजी प्रवाह) बढ़ेगा जिससे बाजार में जान आएगी। वर्जन..
किसानों के पास पैसा आएगा, तो निश्चित ही उनकी क्रय शक्ति बढ़ेगी। इससे उद्योग व सेवा क्षेत्रों को भी लाभ मिलेगा। कोरोना संकट दूर होने पर अंधेरा छंटने की उम्मीद की जा सकती है।
-अशोक गोयल, चार्टेड अकाउंटेंट प्रदेश की अर्थव्यवस्था के आधार की बात करें, तो कृषि पर भी बहुत कुछ निर्भर है। केवल कृषि से अर्थव्यवस्था पूरी तरह पटरी पर तो नहीं आएगी, मगर कुछ हद तक मंदी का दौर छंटने में अवश्य मदद मिलेगी।
-जेपी दलाल, कृषि मंत्री