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ईएसआइ डिस्पेंसरी: स्टॉफ के लिए जगह नहीं, मरीज कैसे देखें

अमित सैनी, रेवाड़ी कर्मचारियों को स्वास्थ्य सेवाएं देने वाली ईएसआइ डिस्पेंसरी खुद ही बीमार ह

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Apr 2018 03:16 AM (IST)Updated: Wed, 04 Apr 2018 03:16 AM (IST)
ईएसआइ डिस्पेंसरी: स्टॉफ के लिए जगह नहीं, मरीज कैसे देखें
ईएसआइ डिस्पेंसरी: स्टॉफ के लिए जगह नहीं, मरीज कैसे देखें

अमित सैनी, रेवाड़ी

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कर्मचारियों को स्वास्थ्य सेवाएं देने वाली ईएसआइ डिस्पेंसरी खुद ही बीमार है। विभागीय लापरवाही का आलम यह है कि तीन दुकानों को किराए पर लेकर दो डिस्पेंसरियों को एक ही जगह पर चलाया जा रहा है। इतना ही नहीं इन डिस्पेंसरियों में स्टॉफ के बैठने तक के लिए पर्याप्त जगह नहीं है। ऐसे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां मरीजों का उपचार भला किस तरह से होता होगा। 65 हजार से अधिक हैं इंश्योरड पर्सन

जिले में दो बड़े औद्योगिक क्षेत्र हैं। धारूहेड़ा व बावल में मौजूद 150 से अधिक छोटी व बड़ी औद्योगिक इकाईयां व अन्य बड़े प्रतिष्ठानों में हजारों की तादाद में कर्मचारी कार्यरत है। इनमें से ईएसआइ के दायरे में आने वाले 65 हजार से अधिक कर्मचारियों को ईएसआइ डिस्पेंसरियों में उपचार की सुविधा मिलती है। धारूहेड़ा के अलावा रेवाड़ी शहर में ईएसआइ की दो डिस्पेंसरियां है। नियमों के अनुसार तो दोनों डिस्पेंसरियां अलग-अलग स्थानों पर होनी चाहिए लेकिन सालों से दोनों ही डिस्पेंसरियों को मर्ज करके एक ही जगह पर चलाया जा रहा है। पहले जहां पुराना कोर्ट रोड स्थित जर्जर भवन में ये डिस्पेंसरियां एक कमरे में चल रही थी वहीं अब छह सालों से सरकुलर रोड स्थित रेवाड़ी खंड कार्यालय की तीन दुकानों को ईएसआइ डिस्पेंसरी चलाने के लिए किराए पर लिया गया है। दुकानों में चल रही ये दोनों डिस्पेंरियां खुद बेहद बदतर हालत में हैं। इन डिस्पेंसरियों में 16 के लगभग कर्मचारी कार्यरत है। आलम यह है कि इन कर्मचारियों को बैठने तक के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पा रही है तथा इन हालातों में मरीजों का उपचार करना तो और भी मुश्किल हो जाता है। सुबह व शाम के समय चार-पांच मरीज भी अगर एक साथ डिस्पेंसरी में पहुंच जाते हैं तो उनमें से ज्यादातर को बाहर ही खड़ा रहना पड़ता है। दो से तीन मरीज ही भीतर बैठ सकते हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि हजारों कर्मचारियों से ईएसआइ सुविधा के नाम पर लाखों रुपये वसूलने वाला विभाग एक ढंग की डिस्पेंसरी तक नहीं बनवा पा रहा है। चटाई लगाकर चला रहे काम

डिस्पेंसरी में दो दुकानें जहां चिकित्सक व अन्य स्टॉफ के बैठने व मरीज देखने के लिए हैं वहीं एक दुकान में दवाईयों का स्टोर बनाया हुआ है। शहर में चल रहे मेडिकल स्टोर के लिए दर्जनों नियम बनाने वाले स्वास्थ्य विभाग के ही आधीन चल रही इस ईएसआइ डिस्पेंसरी में बने दवा स्टोर को भी चटाई लगाकर आगे से ढंका गया है ताकि भीतर धूल न पहुंचे। ये कर्मचारी आते हैं ईएसआइ के दायरे में

जिन प्रतिष्ठानों में दस या दस से अधिक लोग काम करते हैं और जिनकी तनख्वाह 21 हजार रुपये तक है, वे सभी प्रतिष्ठान एवं कर्मी ईएसआइ के दायरे में आते हैं। इन कर्मचारियों को ईएसआइ डिस्पेंसरी व अस्पतालों में ही उपचार की सुविधा मिलती है। साढ़े 6 प्रतिशत कटता है ईएसआइ अमाउंट

कर्मचारी को स्वास्थ्य सेवाएं मिले इसके लिए साढ़े 6 प्रतिशत ईएसआइ अमाउंट हर महीने कटता है। कर्मचारी की तनख्वाह से 1.75 प्रतिशत तो संबंधित प्रतिष्ठान की तरफ से 4.75 प्रतिशत का योगदान दिया जाता है। रेवाड़ी डिस्पेंसरी में है इतना स्टॉफ:

रेवाड़ी की ईएसआइ डिस्पेंसरी में 2 डॉक्टर, 1 नर्स, 5 क्लर्क, 5 फार्मासिस्ट व 3 चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यरत है। रेवाड़ी में चल रही ईएसआइ डिस्पेंसरियों की समस्या मेरे संज्ञान में आई है। डिस्पेंसरियों के लिए बेहतर स्थान की तलाश स्थानीय स्तर पर ही कर्मचारियों को करनी है। मेरे पास वो प्रस्ताव तैयार करके भेजेंगे तो मैं तुरंत प्रभाव से स्टेट मेडिकल कमिश्नर को उसे फारवर्ड कर दूंगा तथा शीघ्रता से डिस्पेंसरी शिफ्ट कराने का काम किया जाएगा।

-डॉ. अशोक भागोरिया, सिविल सर्जन गुरुग्राम


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