कड़वाहट नहीं मिठास पर टिका है चिकित्सक व मरीज का संबंध
आज देशभर में डाक्टर्स-डे मनाया जा रहा है। चिकित्सकों के प्रति सम्मान के तौर पर मनाए जाने वाले इस दिवस के मायने बहुत अधिक है। ये मायने इसलिए हैं क्योंकि चिकित्सकों को आदिकाल से ही भगवान का रूप माना जाता है। मरीज का जीवन बचाना उनके हाथ में होता है जिसमें वे सफल और असफल दोनों होते हैं। सफल होते हैं तो भगवान स्वरूप चिकित्सक का धन्यवाद किया जाता है और असफल होने पर होती है अस्पताल में तोड़ फोड़ व मारपीट। चिकित्सकों व मरीज के संबंधों के बीच बीते कुछ सालों के दौरान इन्हीं कारणों से कड़वाहट घुलती जा रही है।
ज्ञान प्रसाद, रेवाड़ी
आज देशभर में डाक्टर्स-डे मनाया जा रहा है। चिकित्सकों के प्रति सम्मान के तौर पर मनाए जाने वाले इस दिवस के मायने बहुत अधिक है। ये मायने इसलिए हैं, क्योंकि चिकित्सकों को आदिकाल से ही भगवान का रूप माना जाता है। मरीज का जीवन बचाना उनके हाथ में होता है, जिसमें वे सफल और असफल दोनों होते हैं। सफल होते हैं तो भगवान स्वरूप चिकित्सक का धन्यवाद किया जाता है और असफल होने पर होती है अस्पताल में तोड़ फोड़ व मारपीट। चिकित्सकों व मरीज के संबंधों के बीच बीते कुछ सालों के दौरान इन्हीं कारणों से कड़वाहट घुलती जा रही है, जबकि यह संबंध पूरी तरह से विश्वास और मिठास पर टिका है। संबंधों में यह मिठास तभी कायम रह सकती है जब प्रयास दोनों ही तरफ से हो। चिकित्सक जिस सेवाभाव के लिए जाने जाते हैं वह उनके स्वभाव में नजर आए और मरीज बिना कोई कारण जाने तोड़फोड़ व मारपीट जैसी घटनाओं को अंजाम न दें।
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वरिष्ठ हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. अभय कुमार बताते हैं कि इस बार डॉक्टर्स डे की थीम डॉक्टरों के खिलाफ हिसा और नैदानिक स्थापना के लिए शून्य सहिष्णुता है। एक चिकित्सक होने के नाते मुझे ऐसा लगता है कि चूंकि यह पेशा किसी मरीज की जिदगी से जुड़ा हुआ है। इसलिए इसे अन्य व्यवसाय या पेशा जैसा नहीं समझना चाहिए। डॉक्टर एवं मरीज के रिश्ते निजी रिश्तों से भी मधुर होते हैं। बदलते हुए परिवेश में यह ताना बाना बदल रहा है। एक ओर जहां चिकित्सकों पर लगने वाले आरोप प्रत्यारोप दुर्भाग्यपूर्ण हैं वहीं मरीजों और उनके परिजनों का चिकित्सकों के प्रति घटता विश्वास चिता का विषय है। इसका एक कारण जनसंख्या के अनुसार चिकित्सकों की घट रही संख्या भी एक है। आज देश में दस हजार जनसंख्या पर एक चिकित्सक है जबकि विश्व के दूसरे विकसित देशों में यह अनुपात एक हजार जनसंख्या पर एक चिकित्सक का है।
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शहर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. नरेंद्र यादव का कहना है कि कोई भी चिकित्सक अपने पास आने वाले मरीज को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता। चिकित्सक का प्रयास यही होता है कि उसका मरीज ठीक होकर ही जाए। कोई अनहोनी होती है तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि चिकित्सक ने जानबूझकर ऐसा किया होगा। चिकित्सक खुद को व अपने अस्पताल को बदनाम करना नहीं चाहता। मरीज व उनके परिजनों को चिकित्सक पर विश्वास रखना ही होगा तभी संबंध बेहतर रह सकते हैं।
- डॉ. नरेंद्र यादव, कलावती अस्पताल, मॉडल टाउन, रेवाड़ी।
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डॉ. बिधानचंद्र रॉय के सम्मान में किया जाता है आयोजन:
पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉ. बिधानचंद्र रॉय की स्मृति में डाक्टर्स डे मनाया जाता है। उनकी जयंती और पुण्यतिथि एक ही दिन होती है। उनका जन्म 1 जुलाई 1882 को हुआ था और निधन एक जुलाई 1962 में हुई थी। 4 फरवरी 1961 को उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारतरत्न से सम्मानित किया गया था।