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चिकित्सक में फिर नजर आने लगा भगवान

धरती पर भगवान का अगर किसी को रूप माना जाता है तो वह है चिकित्सक। वो ईश्वर जीवनदाता है तो ये चिकित्सक भी जीवन बचाने वाले भगवान है। कोरोना जैसी महामारी जिससे संपूर्ण विश्व आहत है और लोग अपने घरों में बैठने को मजबूर हो गए है ऐसे विकट समय में भी अगर अपने जीवन की परवाह किए बगैर आम आदमी की जिदगी की लड़ाई कोई लड़ रहा है तो वह हमारे चिकित्सक ही हैं। संकट के इस समय में चिकित्सकों की इस महत्वपूर्ण भूमिका ने एक बार फिर से उनके भीतर के भगवान को प्रत्यक्ष तौर पर सामने लाने का काम किया है। फिर बुलंद हो रही है दरकती दीवार बीते कुछ वर्षों के दौरान स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेजी से बदलाव हुआ है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 06:03 PM (IST)Updated: Mon, 06 Apr 2020 06:03 PM (IST)
चिकित्सक में फिर नजर आने लगा भगवान
चिकित्सक में फिर नजर आने लगा भगवान

विश्व स्वास्थ्य दिवस पर विशेष: -पिछले कुछ समय के दौरान दरकने लगी थी मरीजों व चिकित्सकों के बीच विश्वास की दीवार जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : धरती पर भगवान का अगर किसी को रूप माना जाता है तो वह है चिकित्सक। वो ईश्वर जीवनदाता है तो ये चिकित्सक भी जीवन बचाने वाले भगवान हैं। कोरोना जैसी महामारी, जिससे संपूर्ण विश्व आहत है और लोग अपने घरों में बैठने को मजबूर हो गए हैं। ऐसे विकट समय में भी अगर अपने जीवन की परवाह किए बगैर आम आदमी की जिदगी की लड़ाई कोई लड़ रहा है तो वह हमारे चिकित्सक ही हैं। संकट के इस समय में चिकित्सकों की इस महत्वपूर्ण भूमिका ने एक बार फिर से उनके भीतर के भगवान को प्रत्यक्ष तौर पर सामने लाने का काम किया है। फिर बुलंद हो रही दरकती दीवार बीते कुछ वर्षों के दौरान स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेजी से बदलाव हुआ है। उपचार की कई आधुनिक तकनीक आई है तथा अस्पतालों में भी फाइव स्टार जैसी सुविधाएं मिलने लगी है। कॉरपोरेट अस्पताल का कल्चर भी तेजी से बढ़ा है। इन तमाम कारणों से उपचार भी अप्रत्याशित तरीके से महंगा हो गया है। मरीज और चिकित्सक के बीच बस यहीं से विश्वास डगमगाने की शुरूआत हुई थी जो खाई समय के साथ और गहरी होती चली गई। मरीज की मौत पर अस्पतालों में हंगामा, महंगे उपचार व न जाने और कितने ही कारणों से अस्पतालों में अकसर तोड़फोड़ की सूचनाएं आती रहती है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से तो जैसे आम आदमी का विश्वास ही उठ गया था। इन तमाम बदलते हालातों के बीच कोरोना की दस्तक ने माहौल को एक बार फिर से बदला है। मरीज व चिकित्सक के बीच दरकती विश्वास की दीवार अब फिर बुलंद हो रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि संकट के इस समय में जब चारों तरफ से दरवाजे बंद हो गए हैं तो केवल एक दरवाजा खुला है और वह है अस्पताल का। उस अस्पताल में आम आदमी के जीवन की लड़ाई कोई लड़ रहा है तो वह है हमारे चिकित्सक। सरकारी अस्पताल के चिकित्सक अब फ्रंट लाइन पर खड़े होकर कोरोना से जंग लड़ रहे हैं तो निजी चिकित्सक भी इस लड़ाई में योद्धा की तरह डटे हुए हैं। चिकित्सकों के आदर के प्रति धूमिल होती आम आदमी की सोच से अब फिर से पर्दा हटने लगा है। भगवान का जो दर्जा हमने चिकित्सकों को दिया हुआ है वह यूं ही नहीं दिया गया। उनके त्याग, बलिदान व अथक प्रयासों के कारण उन्होंने इसे अर्जित किया है।

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हम ये नहीं कहते हैं कि लोग हमें भगवान कहें या समझें। एक चिकित्सक हर परिस्थिति में सिर्फ अपना कर्तव्य निभाता है। कई बार बिना किसी गलती के चिकित्सक को ही दोषी मान लिया जाता है यह सोच हम सभी को बदलनी होगी। आज कोरोना की जंग में एक-एक सरकारी चिकित्सक जी जान से खुद की व परिवार की परवाह किए बगैर जुटा है, जो यह स्पष्ट करता है कि चिकित्सक खुद से पहले अपने मरीजों के बारे में सोचते हैं।

-डॉ. सर्वजीत थापर, मेडिकल सुपरीटेंडेंट, नागरिक अस्पताल

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चिकित्सक के लिए सर्वथा अपने मरीज को ठीक करना ही प्राथमिकता होती है। कोई भी चिकित्सक यह नहीं चाहता कि उसके पास आने वाला मरीज स्वस्थ्य न हो। उपचार की तकनीकों में बदलाव आया है जिससे गंभीर से गंभीर बीमारी का भी उपचार संभव होने लगा है। सुविधाएं व संसाधन बढ़े हैं तो उपचार भी महंगा हुआ है लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं कि चिकित्सक मरीजों से अधिक पैसों से प्रेम करते हैं। यह सोच बदलनी होगी तथा विश्वास की डोर मजबूत करनी होगी।

-डॉ. आत्मप्रकाश यादव, महासचिव आइएमए

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मरीज और चिकित्सक के बीच विश्वास होगा तभी सफल उपचार संभव है। आज जब देश पर सबसे बड़ी विपत्ति पड़ी है तो चिकित्सकों ने ही मोर्चा संभाला हुआ है। एक-एक व्यक्ति की हमें चिता है। जो लोग चिकित्सकों के प्रति गलत धारणा रखते हैं वे अपनी धारणा को बदले क्योंकि हम समाज का महत्वपूर्ण अंग होने के नाते अपनी जिम्मेदारी को बखूबी समझते हैं।

-डॉ. एसएन सक्सेना, वरिष्ठ चिकित्सक

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जब भी कोई बड़ी विपत्ति आई है तो चिकित्सकों को सबसे पहले याद किया जाता है। चिकित्सक को यूं ही भगवान का दर्जा थोड़े ना दिया गया है। पिछले कुछ समय के दौरान विश्वास की जो दीवार कमजोर हुई थी कोरोना संकट के दौरान चिकित्सकों की भूमिका देखकर वह अब और बुलंद हो गई है। चिकित्सक का सर्वस्व जीवन अपने मरीजों के लिए ही समर्पित होता है।

-डॉ. एनएस यादव, वरिष्ठ चिकित्सक


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