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आजाद देश में गुलाम बन गया किसान

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: स्वराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव बृहस्पतिवार को पिछले

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 May 2018 05:47 PM (IST)Updated: Thu, 10 May 2018 05:47 PM (IST)
आजाद देश में गुलाम बन गया किसान
आजाद देश में गुलाम बन गया किसान

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: स्वराज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव बृहस्पतिवार को पिछले 52 दिन से धरना दे रहे अपने गृह जिले रेवाड़ी के किसानों के बीच पहुंचे तथा किसान कल्याण के लिए चार सूत्रीय फार्मूला पेश किया। संपूर्ण कर्ज माफी, फसलों का पूरा मूल्य व गांव के हर मजदूर को काम दिए जाने के अलावा उन्होंने पूर्ण शराबबंदी का नारा दिया। अपने चार सूत्रीय फार्मूले के औचित्य को सिद्ध करते हुए उन्होंने कहा कि देश आजाद हो चुका है, लेकिन किसान गुलाम हैं।

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उन्होंने कहा कि सरकारों की कमजोरी से किसान लेनदार से देनदार बन गए। महाराष्ट्र के किसान एक रुपये किग्रा लहसुन बेचने को मजबूर हैं। हरियाणा में भी हजारों किसानों को सरसों का समर्थन मूल्य नहीं मिला। हालांकि उन्होंने माना कि पिछले वर्ष की तुलना में मनोहर सरकार ने कई गुना अधिक सरसों खरीदी है और किसानों को करोड़ों का फायदा हुआ है, लेकिन इसका श्रेय उन्होंने 52 दिन के किसान आंदोलन को दिया।

योगेंद्र की अन्य प्रमुख बातें:

-संपूर्ण कर्जमाफी व न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए उन्होंने कानून बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। भाजपा ने हमारे प्रस्ताव पर सहमति नहीं दी है, लेकिन 21 दल सहमति दे चुके हैं।

-10 मई को अंग्रेजों के विरुद्ध देश में आंदोलन की शुरुआत हुई थी। आज भी 10 मई है। हम किसानों को कर्ज से आजादी दिलाने का संकल्प लेते हैं।

-किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए हम भावांतर की वसूली के लिए किसान क्लेम फार्म भरवा रहे हैं। जिस तरह कर्ज न चुकाने पर सरकार किसानों को नोटिस भेजती है, उसी तरह इन किसानों की ओर से हम भी सरकार को अपना कर्ज (भावांतर) चुकाने के लिए नोटिस भेजेंगे।

-किसानों की समस्याएं सुनने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाए।

-पहले इस इलाके में एक परिवार का खौफ था। लोग बोल नहीं पाते थे। हमें खुशी है कि अब इस इलाके ने जुबान खोलना शुरू कर दिया है।

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इनसेट:

चर्चा में शराबबंदी का नारा

स्वराज पार्टी के नेता का शराबबंदी का नारा चर्चा में है। चौ. बंसीलाल ने जब विशाल हरियाणा पार्टी का गठन किया था तब शराबबंदी के नारे पर ही सत्ता पाई थी। लेकिन यह माना जाता है कि शराबबंदी ही उनकी सरकार को ले डूबी थी। ऐसे में हरियाणा की राजनीति में पांव जमाने का प्रयास कर रहे योगेंद्र की शराबबंदी की पैरवी के खास मायने हैं।


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