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नासूर बना डेंगू का डंक

जिले में डेंगू का डंक लगातार गहरा होता जा रहा है। लेकिन विभाग ने अभी तक केवल 118 मरीजों की पुष्टि की है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 07:19 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 07:19 PM (IST)
नासूर बना डेंगू का डंक
नासूर बना डेंगू का डंक

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : जिले में डेंगू का डंक लगातार गहरा होता जा रहा है। पूरा जिला डेंगू के साए में है। जख्म नासूर बनने लगा है। सरकारी और निजी अस्पतालों में अधिकांश उपचाराधीन मरीज डेंगू से पीड़ित हैं। स्वास्थ्य विभाग अब तक केवल 118 मरीजों की पुष्टि कर चुका है, लेकिन इससे कई गुणा मरीजों के रक्त सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला में लंबित हैं।

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सर्दी दस्तक दे चुकी है, लेकिन डेंगू के मच्छरों का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा। प्लेटलेट्स कम होने की बात सामने आते ही परिजनों की पेशानी पर ¨चता की लकीरें उभर आती हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग रोग से बचाव के उपाय करने की बजाय तेज सर्दी पड़ने की इंतजार में हैं।

स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल अभी तक 118 बुखार पीड़ितों की जांच में डेंगू पॉजीटिव मिला है, जबकि नागरिक अस्पताल में लगभग 250 सैंपल डेंगू की जांच के लिए प्रयोगशाला में लंबित हैं। दिवाली अवकाश के साथ ही एलाइजा किट समाप्त होने के कारण मरीजों के रक्त के सैंपल एकत्रित हो रहे थे। सोमवार को किट आने से जांच प्रक्रिया आरंभ हो पाई। इसकी रिपोर्ट आना अभी शेष है। हालांकि मच्छरों से निजात दिलाने के लिए प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग को फो¨गग जैसा कदम उठाना चाहिए था, लेकिन फो¨गग अभी तक नहीं कराई गई है। चिकित्सकों के मुताबिक डेंगू का अलग से उपचार नहीं है। आराम करओ और तरल पदार्थ का सेवन करने से ही बचाव संभव है। रुक-रुककर होने वाले बुखार के साथ प्लेटलेट्स में एकदम गिरावट आने से मरीज ज्यादा परेशान हैं। चिकित्सक जहां मरीजों को प्लेटलेट्स को स्थिर रखने के लिए ग्लूकोज चढ़ाकर उपचार कर रहे हैं वहीं मरीजों के परिजन चिकित्सीय उपचार के साथ घरेलू नुस्खे भी आजमा रहे हैं।

---------- निजी अस्पताल नहीं कर सकते पुष्टि:

निजी अस्पताल या प्रयोगशालाओं में डेंगू, मलेरिया या चिकनगुनिया की जांच कार्ड विधि से होती है। चिकित्सकों के अनुसार इस जांच में अधिकांश मरीजों में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया की संभावना ज्यादा रहती है। स्वास्थ्य विभाग केवल एलाइजा विधि से होने वाली जांच रिपोर्ट को अधिकारिक मानता है। एलाइजा जांच विधि केवल सरकारी अस्पताल में उपलब्ध है जिसकी रिपोर्ट एक दो दिन में आती है। निजी अस्पताल में आने वाले मरीज को कार्ड विधि से जांच रिपोर्ट के आधार पर उपचार शुरू कर देते हैं। निजी अस्पताल या प्रयोगशाला संचालक डेंगू या मलेरिया की पुष्टि नहीं कर सकते इसलिए स्वास्थ्य विभाग अपना आंकड़ा कम बता रहा है।

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डेंगू-मलेरिया को लेकर विभाग एहतियात बरत रहा है। ट्रॉमा सेंटर और नागरिक अस्पताल के साथ सभी स्वास्थ्य केंद्रों में उपचार की व्यवस्था है। अभी तक 118 डेंगू के मामले सामने आए हैं। निजी अस्पतालों से भी उनके यहां उपचार के लिए आने वाले मरीजों की रिपोर्ट मंगाई गई है। अब सर्दी बढ़ने के साथ मच्छरों का प्रकोप भी समाप्त हो जाएगा जिससे डेंगू की संभावना कम हो जाएगी।

- डॉ. कृष्ण कुमार, सिविल सर्जन।


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