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पिछड़ों के नये अधिनियम को वापस लेने की मांग

हरियाणा सामाजिक न्याय मंच ने वर्ष 2016 में पिछड़ी जातियों के बनाए गए नये अधिनियम को वापस लेने की मांग की। इस संबंध में मुख्यमंत्री मनोहरलाल के नाम सौंपे ज्ञापन में मंच के अध्यक्ष प्रो. आरएस यादव तथा संजोजक अनिल यादव की अगुवाई में पिछड़े वर्ग के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सचिवालय पहुंचकर नगराधीश डॉ. वीरेंद्र ¨सह को ज्ञापन सौंपा। मंच के अध्यक्ष प्रो. आरएस यादव ने बताया कि वर्ष 2016 में सरकार ने दाखिलों एवं रोजगार क्षेत्र में पिछड़ों के लिए एक नया अधिनयिम बनाया जिसमें पिछड़ों को दो वर्गो बीसी'ए'व बीसी'बी'में नये उपवर्ग आर्थिक आधार बना दिए गए। यह पूरी तरह अंसवैधानिक हैं क्योंकि इस आरक्षण का आधार आर्थिक न होकर देश भर में सामाजिक व शैक्षणिक आधार है। इतना ही नहीं सरकार ने उक्त आर्थिक आधार केलिए वार्षिक आय के स्थान पर सभी स्त्रोतों से सकल वाषिर्क आय की शर्त लगाकर पिछड़ों का आरक्षण खत्म करने की बौद्धिक साजिश की है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 09:20 PM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 09:20 PM (IST)
पिछड़ों के नये अधिनियम को वापस लेने की मांग
पिछड़ों के नये अधिनियम को वापस लेने की मांग

जासं, रेवाड़ी : हरियाणा सामाजिक न्याय मंच ने वर्ष 2016 में पिछड़ी जातियों के बनाए गए नये अधिनियम को वापस लेने की मांग की। इस संबंध में मुख्यमंत्री मनोहरलाल के नाम सौंपे ज्ञापन में मंच के अध्यक्ष प्रो. आरएस यादव तथा संयोजक अनिल यादव की अगुवाई में पिछड़े वर्ग के विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सचिवालय पहुंचकर नगराधीश डॉ. वीरेंद्र ¨सह को ज्ञापन सौंपा। मंच के अध्यक्ष प्रो. आरएस यादव ने बताया कि वर्ष 2016 में सरकार ने दाखिलों एवं रोजगार क्षेत्र में पिछड़ों के लिए एक नया अधिनियम बनाया जिसमें पिछड़ों को दो वर्गो बीसी'ए'व बीसी'बी'में नये उपवर्ग आर्थिक आधार बना दिए गए। यह पूरी तरह अंसवैधानिक हैं क्योंकि इस आरक्षण का आधार आर्थिक न होकर देश भर में सामाजिक व शैक्षणिक आधार है। इतना ही नहीं सरकार ने उक्त आर्थिक आधार केलिए वार्षिक आय के स्थान पर सभी स्त्रोतों से सकल वार्षिक आय की शर्त लगाकर पिछड़ों का आरक्षण खत्म करने की साजिश की है। उन्होंने बताया कि 2016 में मंच ने उक्त बदलावों का लिखित विरोध किया था, ¨कतु सरकार ने इसे लागू करने से पहले उक्त शर्तो को हटाने का आश्वासन दिया था। सरकार ने 2016 व 2017 में इस एक्ट को ठंडे बस्ते में रखा तथा इस वर्ष प्रदेश के महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों के दाखिलों में बिना संशोधन के लागू कर दिया। इसके चलते पिछड़े वर्ग हजारों विद्यार्थी उक्त शर्तो के कारण आरक्षण के लाभ से वंचित हो गये तथा उन्हें सामान्य वर्ग में दाखिला लेना पड़ा। इस वर्ष हरियाणा में एमबीबीएस के दाखिला के दौरान पिछड़े वर्ग की एक छात्रा ने उक्त एक्ट को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में चुनौती दी तथा गत 7 अगस्त को न्यायालय ने इस एक्ट में आर्थिक आधार पर उपवर्ग को असंवैधानिक करार दिया तथा 27 अगस्त को न्यायालय ने फिर से स्पष्ट किया कि वार्षिक आय में वेतन एवं कृषि आय शामिल नहीं की जाती। मंच के संयोजक अनिल यादव ने बताया कि प्रदेश व केंद्र ने हरियाणा ने पिछड़े वर्ग से दो दर्जन से ज्यादा विधायक एवं सांसद दिये हैं, फिर भी एक वर्ग विशेष की शह पर नये एक्ट में उपवर्ग एवं सकल वाषिर्क आय की नाजायज व असंवैधानिक शर्ते थोपकर मूल एक्ट को बदला जा रहा है। एक्ट में संबंधित संशोधन नहीं किये तो मंच प्रदेशव्यापी आंदोलन छेड़ेगा, जिसके लिए 23 सितंबर को पिछड़ा वर्ग एकता मंच की एक बैठक श्रीकृष्ण भवन बुलाई गयी है।

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