चोर दरवाजे से ठेके हथिया रहे हैं अधिकारी
अधिकारियों का काम सरकार की ड्यूटी करना होता है लेकिन प्रदेश में सैकड़ों अधिकारी चोर दरवाजे से ठेकेदारी कर रहे हैं। मामला संज्ञान में आने के बाद सरकार ने कुछ उपाय तो किए हैं लेकिन बात नहीं बनी। अधिकांश जिलों में ठेकेदारी का सिस्टम सरकारी अधिकारियों के शिकंजे में फंस गया है।
स्टेट पेज के लिए: श्री प्रह्लाद जी के ध्यानार्थ
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फोटो नंबर: 19
- मामला संज्ञान में आने के बाद ठोस उपाय तलाश करने में जुटी सरकार
- अधिकारियों के शिकंजे में फंसा ठेकेदारी सिस्टम, नगर निकाय व पंचायती राज संस्थाओं में नापाक गठजोड़ पैदा
महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी:
अधिकारियों का काम सरकार की ड्यूटी करना होता है, लेकिन प्रदेश में सैकड़ों अधिकारी चोर दरवाजे से ठेकेदारी कर रहे हैं। मामला संज्ञान में आने के बाद सरकार ने कुछ उपाय तो किए हैं, लेकिन बात नहीं बनी। अधिकांश जिलों में ठेकेदारी का सिस्टम सरकारी अधिकारियों के शिकंजे में फंस गया है। पंचायती राज संस्थाओं व नगर निकायों में हालात चिताजनक स्थिति में है। इसके अलावा कई विभागों की इंजीनियरिग विग से जुड़े इंजीनियर बेटे-पोते, रिश्तेदारों व अन्य छदम नामों से ठेके हथिया रहे हैं। पार्षद भी हो रहे हैं मालामाल
हरियाणा में ऐसे सैकड़ों पार्षद भी हैं जो नगर परिषद को मैटीरियल आपूर्ति कर रहे हैं। कानूनी रूप से तो नगर पालिका, नगर परिषद व नगर निगम में किसी पार्षद के रिश्तेदार का ठेका लेना गुनाह नहीं है, लेकिन समस्या यह है कि ठेका लेने के लिए आनलाइन सिस्टम होने के बावजूद पूल बनाकर ठेके हथियाए जा रहे हैं। नगर निकायों व पंचायती राज संस्थाओं में नापाक गठजोड़ पैदा हो चुका है। अगर राज्य सरकार पूरे मामले की जांच करवाए तो कई चेहरों से नकाब उठ सकता है।
सूत्रों की मानें तो पर्दे के पीछे से कुछ खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी स्तर के आफिसर अपने निकट के लोगों की आड़ में ठेकेदारी कर रहे हैं। एजेंसी किसी परिजन के नाम से होती है जबकि वास्तव में काम ऐसे लोगों से करवाया जाता है जो अधिकारी के विश्वस्त होते हैं।
सूत्रों की माने तो कुछ छोटे स्तर के काम तो ऐसे होते हैं जो केवल कागजों में ही पूरे होते हैं। यह रास्ता इसलिए प्यारा है क्योंकि इसमें न तो कानूनी रूप से कोई रुकावट है न खुद के फंसने का अधिक डर है। नगर निकायों में सर्वे का काम हो या खंड विकास अधिकारी कार्यालय में सड़क निर्माण का, कहीं टाइलों की आपूर्ति का मामला हो या कुछ ओर। लगता है हर डाल पर अधिकारी बैठा है। सरकार ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए कई उपाय किए हैं। हमने 20 लाख रुपये तक के ठेके न केवल सीधे पंचायतों को दे दिए हैं बल्कि यह नियम भी बना दिया है कि जिस काम के लिए ठेका छोड़ा जाएगा उस काम को न तो दो या इससे अधिक टुकड़ों में बांटकर अनुमानित लागत कम की जाएगी व न ही दो-तीन कामों को मिलाकर एक काम बनाकर अनुमानित लागत बढ़ाई जाएगी। ई-टेंडरिग से भी भ्रष्टाचार कम हुआ है। हम कमियों को तलाश रहे हैं। जहां कमजोर कड़ी मिलेगी वहीं पर चोट करेंगे।
-ओपी धनखड़, पंचायत मंत्री, हरियाणा
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