छठ पर्व: नहाय-खहाय आज, तैयारियां पूरी
पूर्वांचल राज्यों का प्रमुख पर्व छठ पूजा को लेकर तैयारियां पूरी का ली गई हैं।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : पूर्वांचल राज्यों का प्रमुख पर्व छठ पूजा को लेकर तैयारियां पूरी हो गईं हैं। रविवार को नहाय खाय के साथ छठ पर्व आरंभ होगा। उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, उत्तरांचल आदि राज्यों के लोग इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं। रेवाड़ी, धारूहेड़ा, भिवाड़ी, बावल आदि स्थानों पर भी हजारों की संख्या में इन राज्यों के लोग रह रहे हैं। हजारों की संख्या में जो लोग अपने घर नहीं जा पाते, वे स्थानीय स्तर पर सामूहिक रूप से आयोजन करते हैं। शहर में मुख्य आयोजन कोनसीवास रोड स्थित सूरज गार्डन में होगा। वहीं कुछ लोग नई अनाजमंडी में भी पूजा का आयोजन करेंगे।
कोनसीवास रोड स्थित सूरज गार्डन में विशेष रूप से कृत्रिम घाट तैयार किया गया है। यहां 110 फीट लंबाई और 21 फीट चौड़ाई के साथ करीब पांच फीट गहरा कृत्रिम घाट तैयार किया गया है। इसमें एक साथ लगभग सौ लोग सूर्य को अर्घ्य दे सकेंगे। पूर्वांचल छठ पूजा सेवा समिति की ओर से पहली बार इतना बड़ा आयोजन किया गया है। इसमें पानी भरने के लिए दो मोटर लगाई गई हैं। वहीं आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त टैंकर भी मंगाने की व्यवस्था की गई है। 13 नवंबर को शाम को प्रथम अर्घ्य के साथ रातभर छठ मईया का जागरण होगा। इसके लिए विशेष कलाकारों को आमंत्रित किया गया है।
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पहली बार व्यापक स्तर पर शहर में छठ पूजा का आयोजन किया जा रहा है। यह समाज के लोगों की एकजुटता का परिणाम है। इस प्रकार के आयोजन से एक ओर जहां अपनी धार्मिक आस्था की परंपरा को बचाए रखने की प्रेरणा मिलती है, वहीं स्थानीय स्तर पर भी अपनी कला, संस्कृति और रीतिरिवाज के बारे में नजदीक से जानने का अवसर मिलता है।
-अश्वनि कुमार
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पहले छठ पूजा के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता था। इस बार सामूहिक रूप से एक ही जगह आयोजन होने से काफी अच्छा होगा। जो लोग पहले छठ पूजा नहीं कर पा रहे थे, उन्हें भी इसका लाभ मिलेगा। लोगों की आस्था बनी रहेगी।
गुड्डू
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यह रहेगा कार्यक्रम:
11 नवंबर - नहाय खाय: घर की साफ सफाई, शाकाहार भोजन का सेवन किया जाएगा।
12 नवंबर - खरना: 36 घंटे का उपवास आरंभ, सूर्यास्त के बाद व्रती खीर व रोटी का प्रसाद ग्रहण करेंगे।
13 नवंबर - संध्या सूर्य अर्घ्य: घाटों पर पानी में खड़े होकर व्रती अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देंगे।
14 नवंबर - उगते सूर्य को अर्घ्य: उगते हुए सूर्य की आराधना के बाद व्रती व्रत खोलेंगे।