कैप्टन बोले: धरने पर पांच आदमी लेकर नहीं पहुंचे टिकट के दावेदार
पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव का गुस्सा आखिरकार बाहर निकल ही आया। कैप्टन का गुस्सा 25 नवंबर को किए गए कांग्रेस के राज्य स्तरीय विरोध प्रदर्शन में कम भीड़ पहुंचने को लेकर था।
जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: पूर्व मंत्री कैप्टन अजय सिंह यादव का गुस्सा आखिरकार बाहर निकल ही आया। कैप्टन का गुस्सा 25 नवंबर को किए गए कांग्रेस के राज्य स्तरीय विरोध प्रदर्शन में कम भीड़ पहुंचने को लेकर था। कैप्टन ने कहा कि जो लोग टिकट की दावेदारी कर रहे थे वे पांच आदमी लेकर भी धरने पर नहीं पहुंचे। उन्होंने कहा कि कोई बस टिकट थोड़े ही है, चुनाव की टिकट तो मेहनत से मिलती है। कैप्टन यहीं पर नहीं थमे। उन्होंने कहा कि हमारे पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं की यही तो दिक्कत है, बूथ पर इनके एजेंट तक नहीं होते और ये चुनाव लड़ना चाहते हैं। कैप्टन मंगलवार को मॉडल टाउन स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। कैप्टन 25 नवंबर को दिए गए राज्य स्तरीय धरना प्रदर्शन के संयोजक थे। उन्होंने कहा कि यह धरना प्रदर्शन मंच से तो राज्य स्तरीय लग रहा था क्योंकि सारे नेता मंच पर बैठे हुए थे लेकिन नीचे पांडाल में गिनती के आदमी थे और वे भी मेरे ही थे। कैप्टन का सीधा इशारा दक्षिण हरियाणा के उन नेताओं की तरफ था जो कार में बैठकर अकेले ही धरना प्रदर्शन में पहुंच गए थे।
14 को दिल्ली रैली में भाजपा के खिलाफ खोलेंगे मोर्चा:
कैप्टन यादव ने कहा कि 14 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस की रैली है। इस रैली में कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी व प्रियंका गांधी विशेष तौर पर मौजूद होंगे। रैली में रेवाड़ी से बड़ी तादाद में कार्यकर्ता दिल्ली पहुंचेंगे। रैली में महिलाओं की सुरक्षा, बेरोजगारी, आर्थिक मंदी, जीडीपी के गिरते स्तर को मुद्दा बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश आर्थिक संकट से गुजर रहा है और इसके लिए भाजपा की नीतियां जिम्मेदार है। सरकार ईडी व सीबीआइ का दुरुपयोग कर रही है। प्याज के भाव आसमान छू रहे हैं।
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एम्स संघर्ष समिति पर चलाए तीखे तीर
कैप्टन यादव ने एम्स संघर्ष समिति पर भी तीखे तीर चलाए। कैप्टन यादव ने कहा कि एम्स संघर्ष समिति के प्रधान व कुछ अन्य सदस्य विधानसभा चुनाव के दौरान पहले कांग्रेस के साथ थे लेकिन चुनाव से ठीक एक सप्ताह पहले भाजपा के साथ चले गए। अब समझ नहीं आता कि संघर्ष समिति संघर्ष किसके खिलाफ कर रही थी। इससे संघर्ष समिति पर ही प्रश्नचिन्ह लगता है। एम्स को लेकर संघर्ष तो कांग्रेस ही कर रही है।