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राष्ट्रपति के अंगरक्षक भर्ती मामले में केंद्र को नोटिस

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के बाद अब दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी महामहिम राष्ट्रपति के अंगरक्षक नियुक्त करने में हो रहे जातिगत भेदभाव के विरुद्ध दायर याचिका पर संज्ञान लिया है। शुक्रवार को धारूहेड़ा निवासी युवक गौरव की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस आफ मोशन जारी किया है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Dec 2018 09:07 PM (IST)Updated: Sat, 22 Dec 2018 09:07 PM (IST)
राष्ट्रपति के अंगरक्षक भर्ती मामले में केंद्र को नोटिस
राष्ट्रपति के अंगरक्षक भर्ती मामले में केंद्र को नोटिस

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के बाद अब दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी राष्ट्रपति के अंगरक्षक नियुक्त करने में हो रहे जातिगत भेदभाव के विरुद्ध दायर याचिका पर संज्ञान लिया है। शुक्रवार को धारूहेड़ा निवासी युवक गौरव की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस आफ मोशन जारी किया है। अब फरवरी में केंद्र सरकार को दिल्ली हाईकोर्ट में अपना पक्ष रखकर इस बात का जवाब देना होगा कि आखिर राष्ट्रपति के अंगरक्षक नियुक्त होने का अधिकार सिर्फ तीन जातियों के जवानों को ही क्यों दिया जा रहा है?

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रेवाड़ी के वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता व याचिकाकर्ताओं के लिए प्रेरक की भूमिका निभा रहे डॉ. ईश्वर ¨सह यादव ने कहा कि देश में जातिगत भेदभाव संविधान के अनुच्छेद 14, 15 व 16 का उल्लंघन है। इसके बावजूद महामहिम राष्ट्रपति के अंगरक्षक नियुक्त होने का अधिकार सिर्फ जाट, राजपूत व सिखों (रामदासिया व मजहबी को छोड़कर) को दिया जा रहा है। कोई गुर्जर या यादव अथवा किसी अन्य जाति का है तो योग्य होते हुए भी उसे केवल जातिगत आधार पर नियुक्ति नहीं मिल सकती। यह आजाद भारत में असहनीय है। याचिकाकर्ताओं ने अपनी पीड़ा न्यायालय के समक्ष रखी है। उन्हें उम्मीद है कि समाधान अवश्य निकलेगा।

इसी तरह का एक मामला पहले से ही पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में चल रहा है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में चल रहे मामले में भारत के अतिरिक्त सालिसिटर जनरल जनवरी 2019 में केंद्र सरकार का पक्ष रखेंगे। डॉ. ईश्वर यादव इस मामले को लेकर पहले खुद सुप्रीम कोर्ट तक गए थे। लेकिन पिछले वर्ष उनकी याचिका इस आधार पर खारिज हो गई थी क्योंकि डॉ. यादव खुद किसी भर्ती प्रक्रिया में आवेदक नहीं थे। इस बार मामला अलग इस कारण है क्योंकि याचिकाकर्ता जाति की शर्त छोड़कर खुद भर्ती की अन्य शर्तें पूरी कर रहे हैं। सेना की ओर से अगस्त 2017 में अंगरक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन दिया था। इस विज्ञापन में ही जाति विशेष की शर्त निर्धारित है।


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