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बहुत किया बलिदान, अब दुस्साहस का बदला लो

सोमवार को श्रीनगर के पुलवामा पिगलीना स्थान पर सेना ने कोरडन आपरेशन के दौरान एक अधिकारी व दो अन्य जवानों के साथ शहीद हुए यहां के गांव राजगढ़ निवासी सिपाही हरि ¨सह का मंगलवार को उनके पैतृक गांव राजगढ़ में पूर्ण सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 06:55 PM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 06:55 PM (IST)
बहुत किया बलिदान, अब दुस्साहस का बदला लो
बहुत किया बलिदान, अब दुस्साहस का बदला लो

जागरण संवाददाता, बावल (रेवाड़ी) : सोमवार को श्रीनगर के पुलवामा पिगलीना स्थान पर सेना ने कोरडन आपरेशन के दौरान एक अधिकारी व दो अन्य जवानों के साथ शहीद हुए यहां के गांव राजगढ़ निवासी सिपाही हरि ¨सह का मंगलवार को उनके पैतृक गांव राजगढ़ में पूर्ण सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। यह आपरेशन सीआरपीएफ की बस को उड़ाने के बाद आतंकवादियों की तलाश में किया गया था। अंतिम यात्रा के दौरान लोगों ने जमकर देशभक्ति के नारे लगाए। शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित करने उमड़ा जन सैलाब एक ओर जहां वंदे मातरम् का उद्घोष कर रहा था, वहीं दूसरी ओर 'बदला लो बदला लो, कुर्बानी का बदला लो' के नारे लगाए जा रहे थे। कुछ लोग हाथ में 'बलिदान दे दिया है अब बदला लो' के बैनर लहरा रहे थे।

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हरि ¨सह 55-आरआर बटालियन में तैनात थे। उनकी शहादत की जानकारी मिलने के बाद सुबह 7 बजे से ही लोग राजगढ़ पहुंचने लगे थे। भीड़ के कारण पार्थिक शरीर को लेकर चला वाहन सुबह 10 बजे राजगढ़ पहुंचा। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत ¨सह धारूहेड़ा से ही पार्थिव शरीर लेकर चल रहे सेना के वाहन के साथ हो लिए थे। शहीद के सम्मान में रेवाड़ी से लेकर गांव राजगढ़ तक सैकड़ों लोग सुबह से ही सड़कों पर तिरंगा लेकर खड़े थे।

उनके पार्थिव शरीर को पहले घर ले जाया गया तथा वहां से अंत्येष्टी स्थल पर लाया गया। अपने इकलौते लाल का शव देखकर मां पिस्ता देवी एक बारगी बेसुध हो गई तथा पत्नी राधाबाई के आंसू भी थम नहीं रहे थे, लेकिन दोनों को इसकी संतुष्टि थी कि हरि ¨सह ने हरियाणा की माटी का गौरव बढ़ाया है। लगातार लग रहे गगनभेदी नारे यह बता रहे थे कि हरि ¨सह की अंतिम विदाई असाधारण है।

अंतिम संस्कार में जुटे लोगों की भीड़ उनके भीतर उबल रहे गुस्से व राष्ट्र प्रेम को भी जाहिर कर रही थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो पूरा रेवाड़ी जिला ही नहीं बल्कि सीमा से सटे अलवर जिले के लोगों का रुख भी राजगढ़ की तरफ हो गया हो। आम और खास की दूरियां खत्म हो गई थी।


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