पेचीदा होता जा रहा है एम्स का मामला
नौ दिन चले अढ़ाई कोस। रेवाड़ी जिले में प्रस्तावित एम्स (आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज) के मामले में यही हो रहा है। घोषणा के साढ़े पांच साल बाद भी जमीन चिह्नित नहीं हुई है।
-मंत्रियों के घेराव की घोषणा पर अमल टला, मगर हलचल बरकरार
-पांच वर्ष में जमीन की तलाश पूरी नहीं होने से खफा है एम्स संघर्ष समिति
-पहले सीएम ने की थी घोषणा, ठंडे बस्ते में जाने पर राव ने पीएम से दिलवाया था आश्वासन महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी
नौ दिन चले अढ़ाई कोस। रेवाड़ी जिले में प्रस्तावित एम्स (आल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज) के मामले में यही हो रहा है। घोषणा के साढ़े पांच साल बाद भी जमीन चिह्नित नहीं हुई है। इससे एम्स संघर्ष समिति जहां खफा है, वहीं एम्स का मामला पेचीदा हो रहा है। हालांकि केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के राजनीतिक सचिव रवि यादव से बातचीत के बाद समिति ने शुक्रवार को भाजपा मंत्रियों व विधायकों के घरों का घेराव कार्यक्रम स्थगित कर दिया है, मगर मामले का शीघ्र समाधान न होने पर राव भी लोगों को शांत नहीं कर पाएंगे। संघर्ष समिति ने 17 जनवरी से भाजपा के मंत्रियों व विधायकों के घरों का घेराव करने का एलान किया था।
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प्रशासन ने दिखाई तेजी समिति के बढ़ते दबाव को देखते हुए जिला प्रशासन भी रफ्तार बढ़ाता दिख रहा है। दो गांवों में जमीन की बात न बनने पर बिसनपुर गांव में जमीन की तलाश की जा रही है। मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने सबसे पहले 4 जुलाई 2015 को सहकारिता मंत्री डा. बनवारीलाल की ओर से बावल में आयोजित रैली में मनेठी गांव में एम्स बनाने की घोषणा की थी। राव इंद्रजीत सिंह ने डा. लाल सहित अहीरवाल के 11 विधायकों की ओर से रखे गए मांग पत्र की पैरवी करते हुए मुख्यमंत्री से यह घोषणा करवाई थी। घोषणा के कुछ दिन बाद मनेठी में वन विभाग की आपत्ति के कारण एम्स निर्माण की संभावना को झटका लगा। इसके बाद पास के गांव माजरा-भालखी में एम्स के लिए जमीन तलाशी गई। ग्रामीणों ने सरकारी पोर्टल पर जरूरी 200 एकड़ जमीन के मुकाबले 300 एकड़ जमीन की पेशकश की, मगर रेट पर बात अटक गई। ग्रामीण 50 लाख रुपये प्रति एकड़ से कम मुआवजा लेने को तैयार नहीं, जबकि सरकार इतना पैसा देने को तैयार नहीं।
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मंजूर नहीं बिसनपुर का प्रस्ताव अब सरकार ने तीन दिन पूर्व बावल के गांव बिसनपुर में एम्स की संभावना तलाशने के लिए अधिकारियों की कमेटी गठित की है, मगर संघर्ष समिति को यह प्रस्ताव मंजूर नहीं है। समिति ने अपना घेराव कार्यक्रम केवल इस आश्वासन पर टाला है कि माजरा-भालकी में ही एम्स की स्थापना की जाएगी। इसी कारण एम्स का मामला पेचीदा हो रहा है। संघर्ष समिति के अध्यक्ष श्योताज यादव ने जागरण से बातचीत में कहा कि सरकार समाधान की बजाय खुद ग्रामीणों को आक्रोशित कर रही है।