अभेद किले भेदने के लिए भाजपा की व्यूहरचना तैयार
कोई भी किला अभेद नहीं होता बशर्ते भेदने की रणनीति अचूक हो। आगामी विभानसभा चुनाव में भाजपा इसी सोच को लेकर आगे बढ़ रही है। भाजपा ने उन विधानसभा सीटों को जीतने की लिए विशेष व्यूह रचना तैयार की है जिन विस सीटों पर लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टी कांग्रेस से पीछे रह गई थी।
-गुरुग्राम लोस की तीन व रोहतक की पांच विस सीटों के लिए विशेष रणनीति
-सोनीपत की दो व हिसार की एक विधानसभा सीटों पर भी पीछे रही थी भाजपा
-सभी दस लोकसभा सीटें जीतकर भी हुड्डा के गढ़ व मेवात में कमजोर पड़ गई थी भाजपा महेश कुमार वैद्य, रेवाड़ी
कोई भी किला अभेद नहीं होता, बशर्ते भेदने की रणनीति अचूक हो। आगामी विभानसभा चुनाव में भाजपा इसी सोच को लेकर आगे बढ़ रही है। भाजपा ने उन विधानसभा सीटों को जीतने की लिए विशेष व्यूह रचना तैयार की है, जिन पर लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टी कांग्रेस से पीछे रह गई थी। इनमें रोहतक लोकसभा क्षेत्र की पांच, सोनीपत की दो व गुरुग्राम की तीन विधानसभा सीटें शामिल हैं। इन दस सीटों के अलावा हिसार लोकसभा की नारनौंद विस सीट भी ऐसी थी जहां जजपा ने भाजपा को पीछे छोड़ दिया था।
भाजपा ने लोकसभा चुनाव में पूरे प्रदेश में जीत का परचम लहराया था, परंतु दस में से दस लोकसभा सीटें जीतकर भी हुड्डा के गढ़ व मेवात में भाजपा की सुनामी कमजोर पड़ गई थी। इसी बात को ध्यान में रखकर भाजपा उन विधानसभा सीटों के लिए खास रणनीति तैयार कर रही है, जहां पर लोकसभा चुनाव में बढ़त नहीं मिली थी। मेवात में विशेष पहचान रखने वाले जाकिर हुसैन जैसे नेताओं को कमलदल में शामिल करना इसी रणनीति का हिस्सा है।
इसी क्रम में रोहतक व सोनीपत लोकसभा क्षेत्रों में भी उन नेताओं को कमलदल में शामिल किया जा रहा है, जो भाजपा के लिए विधानसभा में मददगार बन सकते हैं, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि रोहतक व सोनीपत लोकसभा क्षेत्र में आज भी हुड्डा परिवार का दबदबा है। मोदी लहर में भी अगर रोहतक लोकसभा की 9 में से 5 विस सीटों पर कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा को बढ़त मिली थी तो इसके मायने खास थे। कोई बड़ा उलटफेर नहीं हुआ तो विधानसभा चुनावों में मुकाबला मनो बनाम हुड्डा ही होगा।
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इनसेट:
इन विस सीटों पर पीछे रही थी भाजपा
लोकसभा चुनाव-2019 में भाजपा रोहतक लोकसभा की गढ़ी सांपला किलोई, महम, बेरी, बादली व झज्जर, सोनीपत लोस की खरखौदा व बरोदा और गुरुग्राम लोकसभा की फिरोजपुर झिरका, नूंह व पुन्हाना में हारी थी। मेवात ने जनसंघ से लेकर भाजपा तक किसी को भी गले नहीं लगाया है। हालांकि कांग्रेस का साथ छोड़कर मेवात ने कई बार इनेलो की झोली भरी है। इनेलो में टूट के बाद स्थितियां बदल चुकी है।