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तीन सालों में 441 नाबालिग हुए लापता, 40 की अभी भी खोज जारी

जिला से नाबालिग बच्चों के लापता होने के मामलों में कमी नहीं आ रही है। पिछले तीन वर्षों के दौरान करीब 441 बच्चे जिला से लापता हुए। लापता होने वालों में लड़कियों की संख्या अधिक है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Nov 2020 04:37 PM (IST)Updated: Mon, 02 Nov 2020 04:37 PM (IST)
तीन सालों में 441 नाबालिग हुए लापता, 40 की अभी भी खोज जारी
तीन सालों में 441 नाबालिग हुए लापता, 40 की अभी भी खोज जारी

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: जिला से नाबालिग बच्चों के लापता होने के मामलों में कमी नहीं आ रही है। पिछले तीन वर्षों के दौरान करीब 441 बच्चे जिला से लापता हुए। लापता होने वालों में लड़कियों की संख्या अधिक है। पुलिस अधिकतर बच्चों की तलाश कर चुकी है, जबकि 40 बच्चे अभी भी लापता है, जिनका सुराग नहीं लग पाया है।

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शहर निवासी एक युवक द्वारा वर्ष 2017 से 2020 तक लापता हुए बच्चों की आरटीआइ से जानकारी मांगी गई थी। आरटीआइ में पुलिस ने बताया कि वर्ष 2017 से अब तक जिला से 441 बच्चे लापता हुए हैं। इनमें से 40 बच्चे अभी भी पुलिस बरामद नहीं कर पाई है। रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज्यादा बच्चे औद्योगिक क्षेत्र धारूहेड़ा से लापता हुए हैं। पिछले तीन साल के दौरान धारूहेड़ा थाना क्षेत्र से करीब 100 बच्चे, कोसली से 44, शहर से करीब 70, बावल से 18, कोसली से 44 व रामपुरा से करीब 40 नाबालिग लापता हुए हैं। लापता होने वालों में सबसे ज्यादा संख्या नाबालिग लड़कियों की है। बावल थाना क्षेत्र के एक गांव से तीन साल पहले लापता हुई नाबालिग के मामले में कई माह तक आंदोलन भी चलाया गया था तथा मामले की जांच सीबीआइ कर रही है। इसके बावजूद नाबालिग का कोई सुराग नहीं लग पाया है। दक्षिण रेंज के पुलिस महानिरीक्षक विकास अरोड़ा ने बताया कि अधिकतर बच्चों को पुलिस बरामद कर चुकी है तथा अन्य की तलाश जारी है। उन्हें भी जल्द ढूंढ लिया जाएगा।


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