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स्टेफिलोकॉकस ऑरियस जीवाणु कम कर रहा प्रतिरोधक क्षमता

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी: बार बार दवा खाने के बाद भी मर्ज ठीक नहीं होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Jun 2017 04:23 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jun 2017 04:23 PM (IST)
स्टेफिलोकॉकस ऑरियस जीवाणु कम कर रहा प्रतिरोधक क्षमता
स्टेफिलोकॉकस ऑरियस जीवाणु कम कर रहा प्रतिरोधक क्षमता

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी:

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बार बार दवा खाने के बाद भी मर्ज ठीक नहीं होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इसके लिए केवल दवा खाने और सैंपल जांच करते रहने से काम नहीं चलेगा। इसकी जड़ तक जाने की जरूरत है। व्यक्ति के शरीर में प्रतिरोधक दवा का सेवन करने के बाद भी बीमारी ठीक नहीं हो रही है तो कल्चर जांच कराने की जरूरत है। ऐसा ही एक मामला नागरिक अस्पताल में एक डेढ़ साल के बच्चे के यूरीन की कल्चर जांच में सामने आया है। इसमें स्टेफिलोकॉकस ऑरियस नामक जीवाणु मिला है, जो बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर रहा है। इस कारण उसे बार बार दवा देने के बाद भी बीमारी ठीक नहीं हो रही। शहर निवासी एक मां अपने डेढ़ वर्षीय बच्चे को बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एसपी महलावत के पास लेकर आई थी। बच्चे को पेशाब करते वक्त बहुत ज्यादा दर्द होने की शिकायत से परेशान थी। लंबे समय से उपचार करने के बाद भी उसे आराम नहीं मिल रहा था। इस पर चिकित्सक द्वारा उसके यूरीन की कल्चर जांच करने की सलाह दी गई तो स्टेफिलोकॉकस ऑरियस नामक बैक्टीरिया मिला।

माइक्रोबायोलोजिस्ट डॉ. रेणू बंसल का कहना है कि जांच में पाया गया कि यह बैक्टीरिया बच्चे में एंटीबायोटिक दवा का असर काम नहीं करने दे रहा है। इसके कारण चर्म रोग, हड्डी, हृदय, आंत आदि संक्रमित हो सकते हैं।

बच्चे में इस बैक्टीरिया का होना अच्छी बात नहीं:

मेडिकल रिपोर्ट में यह बैक्टीरिया बड़े लोगों को मिलना आम बात है लेकिन छोटे बच्चों में यह बैक्टीरिया अधिक होने से भविष्य में होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए इलाज लंबा होगा। इस प्रकार का बैक्टीरिया उन लोगों में ज्यादा मिलते हैं जो अस्पताल या इसके आसपास के क्षेत्र में रहते हैं। श्रमिक वर्ग के लोगों में शरीर की सफाई नहीं होने, आसपास का गंदा माहौल इस बैक्टीरिया को पनपने में मददगार होता है। ऐसे लोगों को बार बार साबुन से हाथ धोने, शरीर के साथ उनके कपड़े विशेषकर अंडरगारमेंट्स आदि को डेटोल से धोने और धूप में सुखाने के बाद ही पहनना चाहिए।

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पहले केवल कल्चर जांच के बाद चिकित्सकों को रिपोर्ट देते थे। अब मरीज और उनके परिजनों को भी काउंस¨लग कर इस प्रकार के बैक्टीरिया के पनपने और इनसे होने वाली समस्याओं के बारे में अवगत कराया जा रहा हैं। लोगों को बीमारी के कारण, लक्षण और बचाव के साथ ऐसे जीवाणुओं का कारक के बारे में जानना जरूरी है ताकि वे समय रहते एहतियात बरत सकें।

डॉ. रेणू बंसल, माइक्रोबायोलोजिस्ट


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