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अंतिम ¨हदू सम्राट की कर्मस्थली थी रेवाड़ी

फोटो संख्या: 35 राज्याभिषेक पर विशेष: जागरण संवाददाताए रेवाड़ी: अंतिम ¨हदू सम्राट हेमचंद्र विक

By Edited By: Published: Thu, 06 Oct 2016 04:02 PM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2016 04:02 PM (IST)
अंतिम ¨हदू सम्राट की कर्मस्थली थी रेवाड़ी

फोटो संख्या: 35

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राज्याभिषेक पर विशेष:

जागरण संवाददाताए रेवाड़ी: अंतिम ¨हदू सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य का रेवाड़ी से गहरा नाता रहा है। दिल्ली सल्तनत पर काबिज रहे हेमंचद्र विक्रमादित्य का जन्म जिले के समीपवर्ती राज्य राजस्थान के अलवर जिले के मछेरी नामक गांव में जन्म हुआ था, परंतु उनकी कर्मस्थली रेवाड़ी थी। उन्होंने अपने व्यापार की बारीकियां रेवाड़ी से ही सीखी थीं। सात अक्टूबर को उनका राज्याभिषेक दिवस है। मीरपुर स्थित इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय में हेमचंद्र विक्रमादित्य के नाम से पीठ की स्थापना भी की गई है।

व्यापार के लिए आए थे रेवाड़ी

सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य हेमू का जन्म 1501 में राजस्थान के अलवर जिले में मछेरी नामक एक गांव में रायपूर्णदास के यहां हुआ था। इनके पिता पुरोहित का कार्य करते थे। सन 1516 में वे व्यापार करने के लिए मछेरी से रेवाड़ी चले आए। उन दिनों रेवाड़ी व्यापार का केंद्र था। रायपूर्णदास रेवाड़ी के कुतुबपुर नामक गांव वर्तमान में कुतुबपुर मोहल्ला में बस गए। रेवाड़ी में रहते हुए ही हेमू ने अपनी शिक्षा ग्रहण की और विभिन्न भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया। हेमू ने शेरशाह सूरी की सेना को कई प्रकार के साजो सामान की आपूर्ति आरंभ कर दी। खाद्य सामग्री के साथ साथ उन्होंने शेरशाह सूरी की सेना को शोरे की आपूर्ति भी प्रारंभ कर दी। यह शोरा वह पुर्तगालियों से आयात करते थे जो तोपों के लिए बारूद बनाने में प्रयोग किया जाता था। उन्होंने तोपें बनाने के लिए रेवाड़ी में पीतल की ढलाई का उद्योग भी प्रारंभ किया था।

हेमचंद्र विक्रमादित्य को आज भी उनमें वीरताएं रणनीतिक कौशल और राजनीतिक दूरदृष्टि में अछूत मेल के कारण याद किया जाता है। लगभग साढ़े चार सौ साल पहले मध्यकालीन भारतीय इतिहास में 22 युद्धों में लगातार विजयी रहे व अकबर की फौजों को हराकर दिल्ली की गद्दी पर बैठे थे। सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य इतिहास के उथल-पुथल भरे अपने कालखंड में ऐसे संघर्ष के प्रतीक हैं जिसकी महत्ता व उद्देश्य राष्ट्रीय एकता स्वतंत्रता और धर्म निरपेक्षता

इतिहास में सम्मान नहीं मिला

हेमू के जीवन और उनके इतिहास के बारे में जानकारी रखने वाले इतिहासकारों का मानना है कि इतिहास में हेमू को जो वह स्थान नहीं मिला जो उन्हें मिलना चाहिए था। इसके लिए व्यापक स्तर पर कार्ययोजना और परीक्षण करने की जरूरत है। रेवाड़ी के मोहल्ला कुतुबपुर में स्थित हवेली सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य की याद दिलाती है।

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इनसेट:

आज मनाया जाएगा राज्यभिषेक दिवस

जासं,रेवाड़ी:हेमचंद्र विक्रमादित्य व योद्धा स्मारक समिति के तत्वावधान में 7 अक्टूबर, शुक्रवार को यहां के कुतुबपुर में अंतिम ¨हदू सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य का राज्यभिषेक दिवस मनाया जाएगा। कार्यक्रम संयोजक सुधीर भार्गव ने बताया कि इस अवसर पर विश्व ¨हदू परिषद के जिलाध्यक्ष डॉ.एलएन शर्मा मुख्य वक्ता होंगे तथा अध्यक्षता कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ.र¨वद्र शर्मा करेंगे। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर राज्यभिषेक मनाने के साथ संस्था के कार्यों की समीक्षा की जाएगी तथा कराए गए कार्यों पर प्रकाश डाला जाएगा।


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