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जिले के 14 गांवों में होगी सींचेवाला मॉडल से खेती

गांवों में दूषित पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए पंचायती राज विभाग ने शुरू की सिंचेवाला मॉडल की कवायद

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 May 2018 05:40 PM (IST)Updated: Wed, 09 May 2018 05:40 PM (IST)
जिले के 14 गांवों में होगी सींचेवाला मॉडल से खेती
जिले के 14 गांवों में होगी सींचेवाला मॉडल से खेती

जागरण संवाददाता, रेवाड़ी : गांवों में दूषित पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए पंचायती राज विभाग द्वारा पहले चरण में रेवाड़ी जिले के 14 गांव खुशपुरा, रसूली, गाजी गोपालपुर, खिजुरी, ईबराहिमपुर, बास, बिसौवा, ठोठवाल, खड़गवास, छुरियावास, जाटूवास, आकेडा, कापडीवास व बैरियावास में सीचेंवाला मॉडल लगाया जाएगा। जिससे इन गांवों में बहने वाले नालियों के दूषित पानी को खेती योग्य बनाने के लिए कार्य किया जा रहा है, इससे गांव में दूषित पानी भरने से भी राहत मिलेगी। उम्मीद है कि 15 जून तक इनका कार्य पूरा कर लिया जाएगा।

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अतिरिक्त उपायुक्त प्रदीप दहिया ने कहा कि पंजाब सूबे के सींचेवाला मॉडल से दूषित पानी को शुद्ध करके खेती उपयुक्त बनाया जाएगा। पंचायती राज विभाग हरियाणा पंजाब के सीचेंवाला मॉडल की तर्ज पर उपरोक्त गांवों के गंदे पानी को फिल्टर कर खेतों तक ले जाया जाएगा। पंचायती राज विभाग के उपमंडल अभियंता व कनिष्ठ अभियंताओं की टीम ने पंजाब जाकर इस मॉडल के बारे में जानकारी हासिल की। पंजाब के संत बलबीर ¨सह सीचेंवाला ने सबसे पहले गंदे पानी की शुद्धिकरण के लिए इस पर काफी काम किया था, उनके इस काम को तत्कालीन पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम व केंद्रीय मंत्री ने काफी सराहा था। जिससे कम लागत में और कम जगह में पानी शुद्ध होता है। जिले में इस पर 14 गांवों में काम शुरू कर दिया गया है। ऐसे बनता है सींचेवाला मॉडल

एडीसी ने बताया कि घरों से निकलने वाला दूषित पानी को जगह-जगह एकत्रित कर शुद्ध किया जाएगा। इसमें लिक्विड बेस मैनेजमैंट का काम किया जाएगा। सामान्य रूप से गंदे पानी की बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी)150 से 300 तक होती है। शुद्ध करने की तकनीक अपनाकर इस पानी की बीओडी 18 से 20 तक आ जाएगी, जो खेती के लिए उपयुक्त है। कार्यकारी अभियंता पंचायतीराज धर्मबीर यादव ने बताया कि मॉडल पर सामान्य रूप से आठ गुणा आठ की परिधि के तीन कुएं बनाए जाते है, जिनकी गहराई भिन्न-भिन्न होती है। घरों का गंदा पानी सबसे पहले एक पिट तक ले जाया जाएगा। यह पिट आठ फीट गहराई की होगी। इस पिट में जहां से दूषित पानी गिरेगा, वहां पर लोहे की एक जाली लगाई जाएगी, जिसमें मोटा कूड़ा व पालीथिन रूक जाएगा। इसके बाद पानी पहले कुएं में जाएगा, वहां पर गाद रूक जाएगी। दूसरे कुएं में साफ पानी जाएगा, जिसमें चिकनाई समाप्त हो जाएगी। यहां ऑक्सीडाईजेशन सिस्टम के तहत पानी घूमेगा और यहां से पानी तीसरे कुएं में जाएगा। यहां भी ऑक्सीडाईजेशन होगा। साफ पानी को खेतों तक पहुंचाने के लिए एक डीजल पंप लगाया जाएगा।


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