युवा शराब से घातक चिट्टे और स्मैक का कर रहे सेवन, नशा मुक्ति केंद्र में बढ़ी संख्या
अंबाला में नशे का चलन तेजी से बढ़ रहा है। युवा नशे के खतरनाक जाल में फंस रहे हैं। शराब से घातक चिट्टे और स्मैक का सेवन कररहे हैं। नशा मुक्ति केंद्रों में भी मरीजों की संख्या बढ़ी। अस्पताल की तरह वार्ड बनाकर गुरु कृपा फाउंडेशन कर रहा इलाज।
अंबाला, जागरण संवाददाता। नशे का बढ़ता चलन युवाओं को नशेड़ी बनाने लगा है। पंजाब के बाद अब अंबाला के युवा भी चिट्टे (नशीला पदार्थ) से लेकर अन्य तरह के नशे की जद में हैं। सामाजिक और आर्थिक तबके के परिवार के युवा इसका शिकार हो रहें हैं। हर महीने नशा मुक्ति एवं काउंसलिंग केंद्र आने वाले मरीजों में करीब 70 फीसदी चिट्टे के आदी मिल रहे हैं।
विशेषज्ञ बताते हैं कि पहले परंपरागत रूप से शराब और अफीम के आदी लोग नशा छुड़ाने आते थे। उसके बाद एक ऐसा दौर आया जब स्मैक और हेरोइन के शिकार ज्यादा आने लगे। लेकिन अब तक सबसे ज्यादा चिट्टे के आदी ही केंद्र में आ रहे हैं। पिछले दो सालों से चिट्टे का प्रभाव बेतहाशा बढ़ा है। छावनी के इंडस्ट्रियल एरिया के साथ विकासपुरी मुहल्ले में गुरुकृपा फाउंडेशन के मैनेजर दीपक शर्मा बताते हैं कि इनमें ज्यादातर स्कूलों, कॉलेजों के छात्र इसके शिकार हो रहे हैं। नशे के लिए पीड़ित घर का सामान तक बेच देते हैं और चोरियां तक करते हैं। कुछ बच्चे इलाज के लिए राजी हो जाते हैं लेकिन कई ऐसे हैं जो एडमिट करने को दी गई तारीख पर आते ही नहीं।
रिटायर डा. केके चौधरी करते हैं इलाज
गुरु कृपा फाउंडेशन में नशा छुड़ाने के लिए दाखिल मरीजों का इलाज रिटायर सीनियर मेडिकल अधिकारी डा. केके चौधरी शुरू करते हैं। डा. चौधरी बताते हैं कि नशे के आदी युवा को दस दिन तक दवा दी जाती है और इसके बाद उसे सामान्य नागरिक की तरह बिना दवा और नशा के रखा जाता है। ऐसे में उसमें बिल पॉवर बढ़ता है और नशे से दूर हो जाता है।
मरीजों के लिए अस्पताल की तरह वार्ड
अस्पताल की तरह यहां भी वार्ड बनाया गया है। वार्ड में प्रत्येक मरीज के लिए बेड और एक आलमारी दी गई। आलमारी वह अपने कपड़े व अन्य जरुरी सामान रख सकते हैं। नशा छुड़ाने के लिए वार्ड में रहने वाले मरीजों को स्वच्छता का विशेष ध्यान देना होता है।
खिलाड़ियों की बनती है टीम
गुरु कृपा फाउंडेशन में दाखिल मरीजों को सुबह और सायं के समय खिलाड़ी के रूप में मैदान में उतारा जाता है। इनके लिए बालीवॉल, बैटमिंटन, क्रिकेट, फुटबाल, कैरम, लूडो सहित अन्य प्रतियोगिताएं कराई जाती है। इसमें जो टीम जीतती है उसे चाय नमकीन अथवा जूस की पार्टी दी जाती है।
45 मिनट चलती है काउंसलिंग क्लास
रोजाना मरीजों के लिए 45 मिनट तक काउंसलिंग की जाती है। इस काउंसलिंग के दौरान उसे ऐसा संदेश दिया जाता है कि जिससे मरीज का दिमाग दोबारा नशे की तरफ न जाने पाए। साथ ही ऐसे मनोरंजन के टीवी चैनल दिखाया जाता है जिससे वह चुप रहने की बजाय खुलकर हसे।
दीदी का सुनाया जाता है संदेश
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी से लेकर अन्य धार्मिक उपदेश के लिए संदेश का कार्यक्रम होता है। इसके लिए सप्ताह में एक सप्ताह निर्धारित किया जाता है, उस समय सभी मरीज स्नान ध्यान करके संदेश सुनने के लिए हॉल में लाइन से बैठ जाते हैं।
मोबाइल से मरीज को रखते हैं दूर
छावनी के विकासपुरी में संचालित होने वाले नशा मुक्ति केंद्र में दाखिल होने वाले मरीजों को मोबाइल से दूर रखा जाता है। साथ ही उससे सप्ताह में गिने चुने लोगों से मिलने और बात करने की इजाजत होती है। अगर उसे परिवार में किसी सदस्य से बात करनी है तो उसे भर्ती कराने वाले संपर्क करके बात कराई जाती है।
अनुशासन का सिखाया जाता है पाठ
नशा छुड़ाने के लिए मुक्ति एवं काउंसलिंग केंद्र में भर्ती मरीजों को अनुशासन का पाठ सिखाया जाता है। इसके लिए उन्हें उम्र में बड़े और छोटों से किस तरह बात करनी है इसके बारे में बताया जाता है। इसके लिए स्कूल की तरह समय समय पर क्लास भी लगाए जाते हैं।
प्रात: एवं सायंकाल जिम की व्यवस्था
नशा से दूर हो रहे मरीज को रोजाना प्रात: और सायंकाल जिम करने की व्यवस्था बनाई जा रही है। परिसर में जिम करने के लिए अलग से डंपल और अन्य उपकरण रखे गए हैं।