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Progressive Farmer: पिता को हार्ट की बीमारी हुई तो बदला खेती का तरीका, इनके आर्गेनिक उत्पादों की दूर-दूर तक डिमांड

Progressive Farmer यमुनानगर में पिता को हार्ट की बीमारी हुई तो खेती करने का तरीका बदल लिया। आर्गेनिक उत्‍पादों की दूर-दूर तक डिमांड है। 25-30 एकड़ में करते हैं आर्गेनिक खेती खाद्यान्नों क साथ-साथ उगा रहे हैं फल सब्जियां।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 01 Oct 2021 03:12 PM (IST)Updated: Fri, 01 Oct 2021 03:12 PM (IST)
Progressive Farmer: पिता को हार्ट की बीमारी हुई तो बदला खेती का तरीका, इनके आर्गेनिक उत्पादों की दूर-दूर तक डिमांड
यमुनानगर में आर्गेनिक खेती को दे रहे बढ़ावा।

यमुनानगर, [संजीव कांबोज]। पिता को हार्ट की बीमारी हुई तो बेटे ने आर्गेनिक खेती शुरू कर दी है। केचुए की खाद के साथ- साथ तरल जीवाणु खाद भी तैयार कर रहे हैं। हम बात कर फसलों में डालते हैं। हम बात हर रहे हैं जैधर के किसान विजय कुमार की। विजय न केवल खुद 25-30 एकड़ में आर्गेनिक खेती करते हैं बल्कि इस दिशा में दूसरों को भी जागरूक करने का काम कर रहे हैं। केचुए की खाद का उत्पादन केवल 50 क्विंटल से शुरू किया था। आज 200-250 क्विंटल तक पहुंच गया।

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जीवाणु खाद के लिए खेतों में टैंक बनाए हुए हैं। यह फसल में डीएपी खाद की आपूर्ति करता है। खेतों में हल्दी, सरसों, गेहूं, धान, अमरूद, बबुगोस, नींबू, घीया, कद्दु, फ्रांसबीन, भिंडी, जिमिकंद,, मेथी दाना, चना, मूंग व अन्य मौसमी सब्जियां उगाते हैं। उनका कहना है कि जैविक खेती करने से न केवल भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है बल्कि हमारा बीमारियों से बचाव रहता है।

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बेचने के लिए बना रखा वाट्सएप ग्रुप

विजय बताते हैं जैधर गांव में उनका अपना फार्म हैं। चंडीगढ़ व दिल्ली के बाजारों के साथ-साथ यमुनानगर-जगाधरी में भी आर्गेनिक उत्पादों की काफी डिमांड है। उन्होंने वाट्स एप ग्रुप बनाया हुआ है। एक सप्ताह में दो बार आर्डर आता है। लोग एक बार में तीन-चार की दिन की सब्जी ले लेते हैं। हालांकि पहले खुद सप्लाई कर रहे थे लेकिन अब फार्म से आकर ले जाते हैं। उत्पादन थोड़ा कम रहता रहता है। लेकिन दाम अच्छे मिलने के कारण उत्पादन की कमी पूरी हो जाती है। दूसरा, हमारा उद्देश्य पैसा कमाना नहीं है। बल्कि धरती को जहर मुक्त खेती को बढ़ावा देना भी है। क्योंकि समाज हमारा परिवार है और परिवार को स्वस्थ रखना हमारी जिम्मेदारी है।

हल्दी व तेल की काफी डिमांड

पहले साल उन्होंने करीब ढाई एकड़ में हल्दी की फसल तैयार की। उत्पादन कम रहा। जितना उत्पादन हुआ है, उसको केवल बीज के तौर पर ही प्रयोग किया गया। अगले वर्ष उन्होंने सात एकड़ में हल्दी की फसल तैयार की। उसके बाद लगातार करते आ रहे हैं। फार्म पर ही चक्की लगाई हुई है। खुद पिसाई कर पैक करते हैं। इसके अलावा आर्गेनिक सरसों के तेल की भी काफी डिमांड है।

एक घटना ने बदल दिया नजरिया

विजय बताते हैं कि उनके पिता रामेश्वर दास पूर्ण रूप से शाकाहारी है। जीवन में कभी बीड़ी-सिगरेट या अन्य किसी तरह के मादक पदार्थ का सेवन नहीं किया बावजूद इसके उनको हर्ट की बीमारी हो गई। यह सोचने का विषय था। इस पर डाक्टरों ने काफी चिंतन किया। बाद में निष्कर्ष यही निकला की फसल में प्रयोग किया गया रासायनिक खाद व दवाइयां बीमारी का कारण बनी हैं। इसी घटना ने उनका नजरिया बदल दिया। बस उसी दिन से उन्होंने जैविक खेती करनी शुरू कर दी। परिवार के पास करीब 56 एकड़ जमीन में है। इसमें से 25-30 एकड़ में जैविक खेती करते हैं। खाद्यान्नों के साथ-साथ फल सब्जियां भी बेहतरी से उगा रहे हैं।


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