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हौसले की पिच पर दिव्यांगता क्लीन बोल्ड, दिव्यांग पेंशन राशि से खरीदी किट, बन गए क्रिकेट के नेशनल खिलाड़ी

विकलांगता की इन कहानियों में हौसला भी है और संघर्ष। बस इनसे सबक लेने की जरूरत है और हर लक्ष्‍य आसान लगने लगेगा। विकलांग होने के बावजूद इन्‍होंने हिम्‍मत नहीं हारी और दिव्‍यांग पेंशन राशि से क्रिकेट की किट खरीद ली। अब क्रिकेट के नेशनल खिलाड़ी बन गए।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 03:51 PM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 03:51 PM (IST)
हौसले की पिच पर दिव्यांगता क्लीन बोल्ड, दिव्यांग पेंशन राशि से खरीदी किट, बन गए क्रिकेट के नेशनल खिलाड़ी
कैथल में हरियाणा दिव्‍यांग क्रिकेट टीम के सदस्‍य।

पानीपत/कैथल, [सुरेंद्र सैनी]। हौसलों की पिच पर उतरे 12 नौजवानों ने दिव्यांगता को क्लीन बोल्ड कर दिया है। हाथों में बल्ला और गेंद थामकर क्रिकेट टीम बनाई और राष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे हैं। ये प्रेरणा हैं उन लोगों के लिए जो लाचारी-मजबूरी के सामने हिम्मत हार जाते हैं।

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कैथल के देवबन गांव निवासी दिव्यांग कुलदीप गांव में क्रिकेट खेलते थे, एक दिन दिव्यांगों की क्रिकेट टीम बनाने का विचार आया। अपने तीन दिव्यांग दोस्तों किच्छाना गांव निवासी सीता राम, रिंकू और संदीप से इस बारे में चर्चा की। उन्होंने कुलदीप के फैसले का समर्थन किया, लेकिन परेशानी यह थी कि क्रिकेट किट के लिए पैसे कहां से आएंगे। फिर यह चिंता भी कि प्रतियोगिता में आने-जाने के लिए पैसा कहां से आएगा।

सोच विचार के बाद चारों ने फैसला किया कि सरकार की तरफ से मिलने दिव्यांगो को मिलने वाली पेंशन राशि से क्रिकेट की किट खरीदी जाए। इस तरह किट खरीदी गई। टीम के कल्पानाकार कुलदीप सिंह को कप्तान बनाया गया।

किच्छाना गांव निवासी सीता राम, रिंकू और संदीप के अलावा, प्यौदा गांव से खटकड़ सिंह, भूना गांव से रिंकू राणा, करोड़ा से कमल चहल, किच्छाना से राजेश राविश, मंदीप सिंह के साथ  कुरुक्षेत्र से राजीव कुमार टीम में जुडे। खटकड़ सिंह को टीम के उपकप्तान की जिम्मेदारी मिली। टीम का विस्तार हुआ हिसार से विष्णु, नूंह से राजेश ग्योंग और  लाल सिंह, शौकीन शामिल हुए। इस तरह दिव्यांग क्रिकेट टीम में कैथल जिले से आठ हिसार और कुरुक्षेत्र से एक एक और नूह जिले के दो खिलाड़ी हैं।

जनवरी माह में कैथल जिले में दिव्यांग खिलाडिय़ों के बीच रणजी मैच खेला जाएगा। इसे लेकर टीम अभ्यास में जुटी है। सन 2015 में बनी इस टीम के खिलाड़ी अब भी स्वयं ही खेलों के आयोजन कराते हैं और खुद के खर्चे से खेलने के लिए जाते हैं। प्रतियोगिता जीतने के बाद जो राशि इनाम में मिलती है वह सभी आपस में बांटकर स्वयं के खर्चे निकाल रहे हैं।

खिलाडिय़ों ने बताया कि उनका सपना एक दिन देश के लिए खेलने का है। क्रिकेट टीम के कप्तान कुलदीप ने बताया कि वह दिव्यांगों से जब भी मिलते हैं तो उनका हौसला बढ़ाते हुए खेलों से जूडऩे के लिए प्रेरित करते हैं। खेलों में भाग लेने से न केवल शरीर स्वस्थ रहता है, बल्कि मानसिक रूप से भी इंसान मजबूत होता है।

अब तक टीम का रहा है शानदार रिकार्ड

दिव्यांग क्रिकेट टीम के कप्तान कुलदीप ने बताया कि वर्ष 2016, 2017 और 2018 में उतराखंड में दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता हुई। दो बार ट्राफी जीती और एक बार उप विजेता बने। गुजरात, जम्मू-कश्मीर, केरल ओर वाराणसी में आयोजित हुई प्रतियोगिता में पहले स्थान पर रहे। केरल में जो दिव्यांग क्रिकेट प्रतियोगिता हुई थी इस आयोजन केरल सरकार की तरफ से हुआ था। अभी तक इनाम की राशि वहां से नहीं आई है। हैदाराबाद में दूसरे स्थान पर रहे। क्रिकेट प्रतियोगिताओं में 7100, 8100, 11 हजार इस तरह से इनाम की राशि और साथ में ट्राफी जीती है। टीम के कप्तान कुलदीप सिंह कई बार बेस्ट खिलाड़ी का खिताब भी जीत चुके हैं।


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