World Cancer Day 2020: कैंसर पीडि़तों के लिए राहत, अंबाला में तैयार हो रहा कैंसर टर्सरी सेंटर
World Cancer Day 2020 अब कैंसर पीडि़तों को पीजीआइ चंडीगढ़ के चक्कर नहीं काटने होंगे। जल्द ही अंबाला में कैंसरी टर्सरी सेंटर बनकर तैयार हो जाएगा।
पानीपत/अंबाला, [कुलदीप चहल]। World Cancer Day 2020 अंबाला में साढ़े पांच सौ मरीज कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं। कभी चंडीगढ़ पीजीआइ की दौड़ लगती थी, लेकिन अब इलाज अंबाला में संभव है। हालांकि एडवांस स्टेज के कैंसर के लिए अभी भी पीजीआइ पर निर्भरता है। कैंसर जैसी बीमारी के इलाज के लिए अंबाला तैयार हो रहा है। आंकड़ों पर नजर मारें, तो स्वास्थ्य विभाग और रोटरी कैंसर अस्पताल मरीजों के इलाज में जुटे हैं। कुछ मरीज इस बीमारी से जूझकर ठीक भी हुए हैं, जो अब सामान्य जीवन बिता रहे हैं। अंबाला छावनी के नागरिक अस्पताल में कैंसर टर्सरी सेंटर तैयार किया जा रहा है। दूसरी ओर रोटरी कैंसर अस्पताल अपने स्तर पर कैंसर मरीजों को उपचार में मदद कर रहा है।
सरकारी अस्पताल में 250 मरीज
छावनी के नागरिक अस्पताल में कैंसर से जूझ रहे 250 मरीजों का उपचार किया जा रहा है। इन मरीजों को अंबाला में ओपीडी की सुविधा दी जा रही है। अस्पताल परिसर में ही कैंसर टर्सरी सेंटर का निर्माण किया जा रहा है। यह बनने के बाद कैंसर पीडि़तों को मरीजों के लिए पीजीआइ की दौड़ नहीं लगानी होगी। यहां पर कीमोथेरेपी, सर्जरी की सुविधा दी जा रही है।
रोटरी कैंसर एवं जनरल अस्पताल
अस्पताल के चेयरमैन डॉ. जयदेव और अस्पताल की व्यवस्था देख रहे केके जैन ने बताया कि सामान्य मरीजों में से ही लक्षणों के आधार पर मरीज पहचाने जाते हैं। साल 2004 में कैंसर जागरूकता से शुरुआत की थी, जबकि 2010 में इसे रोटरी अंबाला कैंसर अस्पताल का नाम दिया गया। यहां पर करीब तीन सौ मरीजों का उपचार किया जा रहा है। सप्ताह में लगभग 30 मरीजों को ओपीडी यहां पर है। रोटरी कैंसर अस्पताल में इलाज के खर्च में करुणा फंड से राहत दी जाती है। फंड की देखरेख कर रहे रिटायर्ड कैप्टन पीसी जैन ने बताया कि मरीज यदि सहायता लेना चाहे तो इलाज का पचास प्रतिशत तक का खर्च फंड से वहन किया जाता है।
स्नेह स्पर्श टीम कर रही मदद
रोटरी कैंसर अस्पताल में कैंसर के आखिरी स्टेज में पहुंच चुके मरीजों को स्नेह स्पर्श की टीम घर जाकर इलाज देती है और उनको कैंसर से जूझने में मदद करती है। इस में नर्स ममता और चालक मलकीत ङ्क्षसह यह सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे करीब 15 मरीज हैं और कैंसर की लास्ट स्टेज पर हैं।
रोग पर पाई विजय : गुरमेल
कैंसर से जीत चुके छावनी के महेश नगर के रहने वाले गुरमेल सिंह ने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले गले में गांठ हुई और दर्द शुरू हो गया। धीरे-धीरे सांस तक उखडऩे लगा। कई बार नागरिक अस्पताल में दाखिल हुए। बाद में पीजीआइ चेक कराया तो पता चला कैंसर है। इलाज के लिए बीकानेर तक गए, जहां ऑपरेशन बताया। इसके बाद छावनी के रोटरी कैंसर अस्पताल में सर्जरी करवाई। डॉ. गिरिधर ने ऑपरेशन किया और पूरी तरह से ठीक हूं और कोई परेशानी नहीं है।
ओरल कैंसर से जीती जंग : सोमनाथ
जीरकपुर के रहने वाले सोमनाथ ने बताया कि करीब एक साल पहले पता चला था कि ओरल कैंसर है। एक बार तो सहम गया कि पता नहीं अब क्या होगा। पीजीआइ में भी इलाज कराया गया, लेकिन वहां पर तो लंबी डेट दे दी गई। फिर अंबाला छावनी आ गया। यहां रोटरी कैंसर अस्पताल में उपचार कराया। सर्जरी हुई और पूरी तरह से स्वस्थ हूं। कैंसर कोई ऐसी बीमारी नहीं है जिसका उपचार न हो।
अकसर मरीज शुरुआती लक्षणों को नहीं पहचान पाते। यही कारण है कि यह बढ़ जाता है और मरीज के लिए दिक्कत होती है। हालांकि लक्षणों को पहचानना मुश्किल है, लेकिन इसके प्रति सजग रहना होगा। लाइफ स्टाइल बदलनी होगी, जबकि खानपान सही रखें। कैंसर का इलाज है, जरूरी है हौसला रखने की।
- डॉ. विकास गुप्ता, कैंसर रोग विशेषज्ञ, नागरिक अस्पताल, छावनी।