जीरो बजट खेती सिखाएगा कुरुक्षेत्र गुरुकुल, बनेगा देश का गुरु
आज देश भर के सभी कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति पहुंचेंगे कुरुक्षेत्र। पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर और झारखंड की राज्यपाल द्रोपदी मूर्मू होंगे विशेष्ा अतिथि। आएंगे पांच सौ किसान।
पंकज आत्रेय, कुरुक्षेत्र : जिस धरा से भगवान श्रीकृष्ण ने कर्म का संदेश दिया, उसी जगह से एक बार फिर देश एक नई दिशा की ओर बढ़ेगा। यह दिशा होगी किसानों के लिए। आज से दो दिन तक 500 किसान, कृषि वैज्ञानिक, देश के हर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति सहित खेती और इससे जुड़े शोध में लगे लोग गुरुकुल में जुटेंगे। जीरो बजट खेती के जनक माने जाने वाले पद्मश्री सुभाष पालेकर इन प्रतिभागियों को इस विधि की बारीकियां और तकनीक सिखाएंगे। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल और गुरुकुल के संरक्षक आचार्य डॉ.देवव्रत इस अभियान के सूत्रधार बने हैं।
उन्होंने सभी राज्यों के राज्यपालों को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि उनके कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को यहां भेजना सुनिश्चित करें ताकि वे जीरो बजट खेती का फार्मूला सीखकर लागू कर सकें। इसी कड़ी में पंजाब के राज्यपाल वीपी सिंह बदनौर और झारखंड की राज्यपाल द्रोपदी मूर्मू रविवार को पहुंच रहे हैं। साथ ही आइसीएआर नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा भी दोनों दिन रहेंगे।
गुरुकुल के प्रधान कुलवंत सिंह सैनी ने बताया कि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड से 500 किसान आ रहे हैं। अकेले हिमाचल से 200 और पंजाब से 100 किसानों का प्रतिनिधिमंडल सात को कैंथला खुर्द में 180 एकड़ में हो रही जीरो बजट खेती का नमूना देखेंगे। आठ को कुलपति, हिमाचल प्रदेश के तीन उपायुक्त, प्रधान सचिव और कृषि वैज्ञानिक अवलोकन करेंगे। राजस्थान और उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री भी आ रहे हैं।
हरियाणा में संभव तो बाकि क्यों नहीं
पद्मश्री सुभाष पालेकर ने बताया कि जीरो बजट खेती की अवधारणा को स्वीकार किया जा रहा है। आंध्रप्रदेश, मेघालय, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य जब इसे अपना सकते हैं तो बाकि राज्य भी कर सकते हैं। इसी भावना के साथ देश भर के कुलपतियों का निमंत्रण दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस प्रयास से प्राकृतिक खेती को लेकर देश भर में क्रांति का आगाज होने जा रहा है।
यह हो रही खेती
गुरुकुल कैंथला खुर्द गांव में 180 एकड़ जमीन पर जीरो बजट खेती कर रहा है। इसमें बासमती धान, सामान्य धान, सब्जी, गन्ना उगाया जाता है। साथ ही अखरोट, अमरूद और सेब बेर के बाग भी लगाए गए हैं।