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पंजाब-हरियाणा में रेलवे डेडिकेटिड फ्रेट कारिडोर की रफ्तार हुई धीमी, 30 फीसद श्रमिकों ने काम छोड़ा

कोरोना सं‍कट का रेलवे की परियोजनाओं पर भी असर पड़ रहा है। लुधियाना से कोलकाता तक निर्माणाधीन रेले डेडिकेटिट फ्रेड कारिडोर के पंजाब एवं हरियाणा में कार्य पर भी इसका सीधा असर हो रहा है और इसका कार्य धीमा हो गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 05 May 2021 10:39 AM (IST)Updated: Wed, 05 May 2021 10:39 AM (IST)
पंजाब-हरियाणा में रेलवे डेडिकेटिड फ्रेट कारिडोर की रफ्तार हुई धीमी, 30 फीसद श्रमिकों ने काम छोड़ा
कोरोना संकट का रेल डेडिकेटिड फ्रेड कारिडोर के निर्माण पर असर पड़ रहा है। (सांकेतिक फोटो)

अंबाला, [दीपक बहल]। कोरोना के बढ़ते प्रकोप का असर अब रेलवे के सबसे महत्वपूर्ण डेडिकेटिड फ्रेट कारिडोर (डीएफसी) अब दिखने लगा है। लुधियाना से कोलकाता तक करीब 1856 किलोमीटर सिर्फ मालगाडि़यों के लिए लाइन बिछाई जा रही है। अब लाकडाउन और अन्य राज्यों में सख्ती के बाद श्रमिक काम छोड़कर अपने घरों की ओर रवाना हो गए हैं। लुधियाना से सहारनपुर तक करीब 180 किलोमीटर लाइन में से 35 किलोमीटर लाइन बिछाई जा चुकी है। 30 फीसद से अधिक श्रमिक यहां से भी काम छोड़कर चले गए हैं।

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कोरोना का रेलवे के प्रोजेक्टों पर दिखने लगा असर, लाकडाउन में निर्माण की अनुमति के बावजूद पड़ा असर

हरियाणा में लगे लाकडाउन में निर्माण कार्य की अनुमति शर्तो के साथ दी गई है, फिर भी प्रोजेक्टों पर इसका असर पड़ने लगा है। प्रोजेक्ट पर काम कर रही कंपनी ने भी रेलवे को लेबर के कम होने की जानकारी दे दी है ताकि काम की अवधि को आगे बढ़ाया जा सके। पंजाब में तो लाकडाउन और नाइट कर्फ्यू के दौरान मिट्टी को प्रोजेक्ट तक पहुंचाने में भी दिक्कत आ रही है, जिसे लेकर रेलवे अधिकारियों ने पंजाब के अधिकारियों से संपर्क साधा है।

रेलवे के सबसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम कर रही कंपनी ने एक्सटेंशन के लिए रेलवे को लिखा पत्र

बता दें कि सिर्फ मालगाडि़यों के लिए स्पेशल रेल लाइन बिछाई जा रही है। करीब 2499 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट को जून 2022 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। यह प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद 116 डिब्बों की मालगाड़ी इन लाइनों पर दौड़ती नजर आएगी, जिसकी स्पीड भी 100 किलोमीटर प्रतिघंटा तक होगी। हरियाणा में इस प्रोजेक्ट के लिए 72 किलोमीटर, पंजाब में 88, उत्तर प्रदेश में 1058, बिहार में 239, झारखंड में 196 और बंगाल में 203 किलोमीटर लाइन बिछाई जा रही है।

कुछ जगहों पर लाइन और ब्रिज बनाने का कार्य पूरा हो चुका है। लेकिन अब कोरोना का साया इस प्रोजेक्ट पर नजर आने लगा है। मार्च 2020 के बाद लगे लाकडाउन के बाद पहले ही बड़ी संख्या में श्रमिक अपने घरों को लौट गए थे। अब प्रोजेक्टों में लगे श्रमिक भी बीच में काम छोड़कर जाने लगे हैं। हालांकि कंपनी और रेल अधिकारी प्रयास कर रहे हैं कि श्रमिकों के लिए राशन व अन्य जरूरतों को पूरा किया जाए ताकि वे साइट छोड़कर न जाएं। श्रमिकों के जाने से इस प्रोजेक्ट के जून 2022 से आगे बढ़ने की संभावनाएं हैं।

120 घंटे ब्लाक की मिली राज्य सरकार से अनुमति

जगाधरी से जगाधरी वर्कशॉप के बीच इसी प्रोजेक्ट के तहत लाइन बिछाई जानी है। इसके लिए रेलवे ने राज्य सरकार से करीब 120 घंटे काम करने की अनुमति मांगी थी। इस ब्लाक के कारण सड़क यातायात प्रभावित होगा, जबकि सरकार ने अनुमति दे दी है। इसी पर आने वाले दिनों में काम किया जाएगा।

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'' लुधियाना से सहारनपुर तक 201 पुल तैयार किए जाने हैं, जिनमें से 72 रह गए हैं। अब कंपनी के 30 फीसद श्रमिक काम छोड़कर जा चुके हैं। इसका प्रोजेक्ट पर थोड़ा असर पड़ेगा। प्रयास किए जा रहे हैं कि साइट से श्रमिक न जाएं और जो भी नियम हैं उसके मुताबिक काम किया जाए।

                                    - पंकज गुप्ता, जीएम कोआर्डिनेटर डेडिकेटिड फ्रेट कारिडोर कारपोरेशन आफ इंडिया।

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