बेटी पैदा होने की इतनी बड़ी सजा, समाज की सोच पर ये पत्थर क्यों
एक तरफ बेटियां छात्र संघ चुनाव हो या फिर खेल, सभी में आगे निकल रही हैं, दूसरी तरफ बेटियां होने पर ताने दिए जा रहे विवाहिताओं को, मामले पहुंच रहे थाने तक। तलाक तक की नौबत आई।
जेएनएन, पानीपत - छात्र संघ चुनाव में सबसे आगे कौन ? जवाब है बेटी। ओलंपिक खेलों में किसने दिलाए मेडल ? जवाब है बेटी। तब भी समाज की मानसिकता नहीं बदल रही। बेटी के जन्म लेने पर सजा उसकी मां को भी दी जा रही है। उसे घर से निकाला जा रहा है। थानों में ऐसे केस बढ़ते जा रहे हैं। तलाक तक हो रहे हैं। महिला थाने में इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं, जहां महिलाओं ने ससुरालियों पर बेटियां पैदा होने पर ताने देने व उत्पीडऩ करने के आरोप लगाए हैं। इस तरह के मामलों में जिला संरक्षण टीम काउंसिलिंग करती है। कुछ मामलों में समझौता कराने में वह कामयाब हो जाते हैं, तो कुछ मामलों में कोशिशों के बाद भी समझौता नहीं हो पाता। ऐसे में मामलों में फिर कानूनी कार्रवाई करवाई जाती है।
खिजराबाद की एक महिला को तीन बेटियां पैदा हो गई। दूसरी बेटी होने के साथ ही महिला को ससुरालियों की ओर से ताने मिलने लगे। कोई भी मौका हो, तो महिला को ताना दिया जाता। यहां तक कहा जाता कि वह बेटा पैदा नहीं कर सकती। तानों से परेशान महिला ने विरोध किया, तो उसके साथ मारपीट की जाने लगी। यहां तक कि उसे घर से बाहर निकाल दिया गया। इस मामले में बाद में पीडि़त महिला ने थाने में शिकायत दी।
घर से निकाल दिया
बिलासपुर की एक युवती की शादी अंबाला में हुई थी। उसके दो बेटी हुई, तो ससुराल के लोगों ने ताने देने शुरू कर दिए। हर बात पर उसका बेटियां होने पर उत्पीडऩ किया जाता। उसके पति का भी स्वभाव बदल गया। उसने भी बात करना बंद कर दिया। बात बढ़ी, तो मामला थाने तक जा पहुंचा। उसे घर से निकाल दिया गया।
बच्चा न होने पर तलाक
रादौर की एक विवाहिता के साथ भी ऐसा ही हुआ। वह जॉब करती है। उसके शादी के कई सालों तक बच्चा नहीं हुआ। इस बीच ससुराल के लोगों ने ताने देने शुरू कर दिए। पति ने उसे तलाक दिए बिना ही दूसरी शादी कर ली। महिला को इसका पता लगा, तो उसने पुलिस को शिकायत दी। फिलहाल यह मामला पुलिस थाने में चल रहा है।
काउंसिलिंग से समझाने का प्रयास करते हैं
यमुनानगर की जिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी अरविंद्रजीत कौर व सहायक संरक्षण अधिकारी देवेंद्र कुमार ने बताया कि इस तरह के मामले उनके सामने आ चुके हैं। जिसमें महिलाओं का इसलिए उत्पीडऩ किया गया कि उनके पास केवल बेटियां है। ऐसे में मामलों में हम काउंसङ्क्षलग कर दोनों पक्षों को समझाने की कोशिश करते हैं। समझौता नहीं होने पर कानूनी कार्रवाई होती है।
सोच बदलनी होगी : गौड़
महिला आयोग की सदस्य नम्रता गौड़ के मुताबिक ये सच है बेटी पैदा होने पर महिलाओं को ताने मिलते हैं, उनको तंग भी किया जाता है। अभी भी लोग बेटी व बेटे में अंतर समझते हैं। जब तक समाज से यह अंतर खत्म नहीं होगा। तब तक इस समस्या का समाधान नहीं होगा। सास बहू को बेटी समझें। इसी तरह से बहू सास का मां की तरह सम्मान करें। सभी के प्रयास से समाज में बदलाव आएगा। बेटा या बेटी होना, महिला के हाथ में नहीं है।