मौसम: हरियाणा में कड़ाके की ठंड से नहीं मिलेगी राहत, हाथ-पांव सुन्न, टूटा 10 साल का रिकार्ड
हरियाणा में कड़ाके की ठंड सारे रिकार्ड तोड़ रही है। कुरुक्षेत्र में बीते 7 दिनों से सूर्यदेव के दर्शन नहीं हुए हैं। मजबूरन लोग घरों में ही दुबके हुए हैं। आने वाले दिनों में भी ऐसा ही मौसम रहने का अनुमान है।
कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। कुरुक्षेत्र में पिछले कई सालों से जनवरी के पहले सप्ताह में पड़ी कड़ाके की ठंड ने हाड़ कंपा रखे हैं। लगातार 12 दिनों से धर्मनगरी का अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे चल रहा है। सात जनवरी को सामान्य से .61 से कम हुआ तापमान लगातार 17 जनवरी तक 6.37 डिग्री सेल्सियस कम रहा है। इतना ही नहीं 15 जनवरी को तो अधिकतम तापमान सामान्य डिग्री तापमान 18 डिग्री से 8.02 डिग्री सेल्सियस तक कम आंका गया है।
13 जनवरी से लगातार अधिकतम तापमान 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे चल रहा है। अधिकतम तापमान लगातार कम होने पर खून जमा देने वाली ठंड में लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। घरों में रहने वाले लोग दिन भर हीटर चलाए रजाइयों में दुबके रहने को मजबूर हैं। इस शीत लहर में दैनिक कार्यों के चलते घरों से बाहर निकलने वाले लोगों के हाथ-पांव सुन्न हो रहे हैं। ठंड के चलते लोगों के हाथ और पांव की उंगलियां सूजने लगी हैं।
कई सालों बाद सूर्य देवता के नहीं हो रहे दर्शन
ऐसा कई सालों बाद हुआ है कि धर्मनगरी में लगातार एक सप्ताह तक सूर्य देवता के दर्शन नहीं हुए हैं। सूर्य के दर्शन न होने पर दिन में भी राहत नहीं मिल रही है। अधिकतम तापमान लगातार कम होने पर लगातार ठिठुरन चल रही है। ठिठुरन से राहत न मिलने पर लोग घरों में कैद होकर रह गए हैं। मौसम विशेषज्ञों ने कहा कि पिछले करीब 10 सालों में ऐसा कभी नहीं हुआ कि लगातार सात दिन सूर्य के दर्शन ना हुए हों। सूर्य के दर्शन न होने पर शीतलहर ने जनजीवन प्रभावित कर दिया है।
सूर्य के दर्शन न होने पर हवा में 100 प्रतिशत नमी
इतना ही नहीं धूप न खिलने पर हवा में नमी का स्तर पर 100 प्रतिशत चल रहा है। हवा की नमी की मात्रा 100 फीसद होने पर गर्म कपड़े भी ठिठुरा रहे हैं। हाथ-पांव को गर्म करने के लिए दिन भर अलाव का सहारा लेना पड़ रहा है। मौसम विशेषज्ञ डा. ममता ने बताया कि अधिकतम तापमान लगातार 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहने पर शीतलहर अपना असर दिखा रही है। पिछले करीब 10 सालों तक भी कभी ऐसा नहीं हुआ कि सात दिन तक सूर्य के दर्शन न हुए हों।