पानी से दोस्ती कर नदियों को जीत लिया
पानी से दोस्ती कर नदियों को जीत लिया।
विजय गाहल्याण, पानीपत
खिलाड़ियों की टीस रहती है कि खेल विभाग मैदान और सामान नहीं उपलब्ध कराता है। इसी वजह से वे खेलों में आगे नहीं बढ़ पाते हैं। इससे इतर, शेरा गांव के सचिन ने इसकी परवाह नहीं की। उनके पास नौकायन के लिए ट्रैक नहीं था, तो गांव के दूषित पानी से भरे तालाब में नौकायन का कड़ा अभ्यास किया और ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी चैंपियन बन गया। सचिन ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी में स्वर्ण, दो सिल्वर, दो कांस्य, स्टेट नौकायन चैंपियनशिप में आठ स्वर्ण और एक कांस्य पदक जीत चुका है। अब उसकी गिनती देश के उभरते हुए प्रतिभावान खिलाड़ियों में है।
शेरा गांव के सरपंच सुरेश कुमार का कहना है कि नौकायन खेल को बढ़ावा देने के लिए तालाब की खोदाई करवाकर लंबाई 250 मीटर करा दी है। यहां पर मंच का भी निर्माण कराया जाएगा। तालाब के आसपास किनारों में पौधे लगाए जाएंगे।
दोस्त उड़ाते थे मजाक, अब करते हैं तारीफ
आर्य पीजी कॉलेज के बीए तृतीय वर्ष के छात्र सचिन ने बताया कि ढाई साल पहले गांव के सीनियर खिलाड़ी सतीश खैंची ने दूषित पानी के तालाब में नौकायन खेल शुरू कराया था। वह अभ्यास करने जाता था तो दोस्त मजाक करते थे कि यह कोई खेल है। इसमें समय बर्बाद हो जाएगा। उसने किसी की परवाह नहीं की और एक साल में ही वह स्टेट चैंपियन बन गया। उसने पदक जीते तो मजाक करने वाले दोस्त भी तारीफ करने लगे।
आर्य पीजी कॉलेज के ¨प्रसिपल डॉ. जगदीश गुप्ता ने कहा कि सचिन का सहयोग किया जाएगा।
भोपाल में ली ट्रे¨नग, भाई ने की मदद
सचिन बताते हैं कि गांव का तालाब 200 मीटर लंबा है। यह नौकायन के अभ्यास के लिए छोटा था। उसे अभ्यास के लिए मध्यप्रदेश के भोपाल में छोटा तालाब में जाना पड़ा। इसके लिए रुपये की जरूरत थी। पिता रघबीर ¨सह एक एकड़ के किसान हैं। इससे घर का गुजारा मुश्किल से चलता है। बड़ा भाई एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है। उसी ने आर्थिक मदद की। कोच मयंक ठाकुर ने तकनीक में सुधार किया। अब उसे सफलता मिल रही है। उसका लक्ष्य इंडिया की नौकायन टीम में जगह बनाकर देश के लिए पदक जीतना है।