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यहां नालियों में नहीं बहता पानी, सोख्ता गड्ढों से होता है जल संरक्षण

डार्क जोन घोषित समालखा खंड का छोटा सा गांव बसाड़ा। यहां बचाया जा रहा है पानी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Jun 2018 10:43 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jun 2018 10:43 AM (IST)
यहां नालियों में नहीं बहता पानी, सोख्ता गड्ढों से होता है जल संरक्षण
यहां नालियों में नहीं बहता पानी, सोख्ता गड्ढों से होता है जल संरक्षण

जागरण संवाददाता, समालखा :

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डार्क जोन घोषित समालखा खंड का छोटा सा गांव बसाड़ा। यहां घरों में प्रयोग के बाद निकलने वाला पानी नाले व नालियों में न बहकर घरों के अंदर ही बने सोख्ता गड्ढों में जमा होता है। जो जल संरक्षण के लिए जरूरी है। साल भर पहले शुरू हुई वाटर मैनेजमेंट की ये शानदार परियोजना बसाड़ा के घर-घर तक पहुंचने के बाद पड़ोसी गांव सिम्बलगढ़ तक जा पहुंची। वहां भी लोग घरों के अंदर सोख्ता गड्ढे बना रहे है। वाटर मैनेजमेंट का यह शानदार माडल विश्व बैंक का कांसेप्ट है। जो सुखा ग्रस्त जगहों पर जल संरक्षण के लिए कारगर साबित हो रहा है।

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सरपंच गौरव कुमार बताते है कि पिछले साल मई माह में विश्व बैंक की तरफ से उन्हें महाराष्ट्र के नासिक में टूर पर ले जाया गया था। जहां सोख्ता गड्ढों के जरिये वाटर मैनेजमेंट का ये माडल दिखाया गया। इसके बाद प्रदेश में भी वाटर मैनेजमेंट के उक्त प्रोजेक्ट को सरकार ने हर जिले के दो-दो गांव में शुरू कराया था। इसके लिए पानीपत में उनके गांव बसाड़ा के अलावा पड़ोसी गांव सिम्बलगढ़ को चुना गया था। सरपंच ने बताया कि गांव में 235 घर है। हर घर में सोख्ता गड्ढा बना हुआ है और पानी नालियों में न के बराबर बहता है। वहीं सिम्बलगढ़ के सरपंच संजय ने बताया कि गांव में 200 के करीब घर है। 25 से ज्यादा घरों में सोख्ता गड्ढे बन चुके है। ऐसे होता है जल संरक्षण --

हर घर में सवा तीन फीट चौड़ा और चार फीट गहरा गड्ढा बनाया गया है। इसके साथ ही एक फीट का एक छोटा गड्ढा बनाया है। पहले पानी उस छोटे गड्ढे में आता है और फिर वहां पाइप में लगी जाली से छनकर बड़े गड्ढे में जाता है। गड्ढे को फिल्टर की तरह जाली वाला बनाया गया है। जिनके जरिये पानी जमीन में जाता है। गड्ढा भरने पर पानी अपने आप पाइप से बाहर नाली में चला जाता है। फायदा ही फायदा --

सरपंच ने बताया कि पानी नालियों में न बहकर सोख्ता गड्ढे में जमा होने से न केवल जल संरक्षण हो रहा है, बल्कि सफाई व्यवस्था भी दुरूस्त हुई है। गांव में मक्खी व मच्छर भी बहुत कम हो गए है। इससे बीमारी भी खत्म हुई है। साल भर में जल स्तर के फायदे पर सरपंच ने कहा कि वो जल्द ही इसकी जांच कराएंगे, ताकि जल स्तर के फायदे का भी पता चल सके।


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