दो विभागों के बीच अटकी जल शुद्धिकरण की योजना, दो साल से धूल फांक रही अनुमति की फाइल
नवंबर 2016 में सीएम मनोहर लाल नालों को एसटीपी में डालने के आदेश दे चुके हैं। नगर निगम व सिंचाई विभाग के अधिकारियों की टीम ने उन नालों का निरीक्षण किया था जो यमुना नहर में गिर रहे हैं। लेकिन कार्रवाई निरीक्षण करने तक ही सीमित रही।
पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। जल शुद्धिकरण की योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। यह योजना नगर निगम व सिंचाई विभाग के बीच फंसकर रह गई है। ट्विन सिटी से निकल रहे नालों के पानी को सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में ले जाने के लिए पश्चिमी यमुना नहर के साथ-साथ पाइपलाइन बिछाई जानी है। इसके लिए नगर निगम को सिंचाई विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य है। करीब दो वर्ष पहले नगर निगम ने अनुमति के लिए पत्र लिखा था, लेकिन आज तक संबंधित फाइल सिंचाई विभाग के कार्यालय में ही धूल फांक रही है। योजना पर करीब चार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
सीएम दे चुके आदेश
नवंबर 2016 में सीएम मनोहर लाल इन नालों को एसटीपी में डालने के आदेश दे चुके हैं। मार्च-2020 में एनजीटी भी इस संदर्भ में नगर निगम, सिंचाई विभाग और जन स्वास्थ्य विभाग को निर्देश जारी कर चुकी है। उसके बाद नगर निगम व सिंचाई विभाग के अधिकारियों की टीम ने संयुक्त रूप से उन नालों का निरीक्षण किया था, जो शहर से निकल कर यमुना नहर में गिर रहे हैं। लेकिन कार्रवाई निरीक्षण करने तक ही सीमित रही। हालांकि उसके बाद पश्चिमी यमुना नहर की पटरी के साथ-साथ पाइप लाइन दबाने की योजना पर काम शुरू हुआ लेकिन निगम के पास एनओसी न होने के कारण सिचाई विभाग ने काम रुकवा दिया।
यहां लगे एसटीपी
शहर से निकल रहे गंदे नालों का पानी पाइपलाइन के जरिए सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में पहुंचेगा। जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने एक सीवर ट्रीटमेंट प्लांट तीर्थनगर में लगाया है, जिसकी क्षमता 10 एमएलडी है। दूसरा कैंप में जिसकी क्षमता 25 एमएलडी है। रादौर रोड पर 20.49 करोड़ से 25 एमएलडी और बाड़ी माजरा में 24 एमएलडी के सीवर ट्रीटमेंट प्लांट चालू हो चुका है।
यहां से गिर रहे नाले
दादूपुर, किशनपुरा माजरा, खारवन, फतेहगढ़, बूड़िया, दयालगढ़, अमादलपुर, नया गांव, परवालो, दड़वा माजरी, आजाद नगर, मुंडा माजरा, खालसा कॉलेज, हमीदा, एसटीपी यमुनानगर, तीर्थ नगर, गांव कांजनु, रादौर, पताशगढ़, दशमेश कॉलोनी, यमुना गली और पुराना हमीदा से नाले सीधे पश्चिमी यमुना नहर में गिर रहे हैं।
यह होता है नुकसान
पश्चिमी यमुना नहर में औद्योगिक इकाइयों से निकल रहा केमिकलयुक्त पानी से टायफाइड, डायरिया जैसे जल जनित बीमारियों का कारण बनता है। हैवी मेटल (इंडस्ट्री से निकलने वाला दूषित पानी) से कैंसर, दिमाग का विकसित नहीं होना, किडनी फेल होना, फेफड़े सहित अन्य बीमारी हो जाती है। हैवी मेटल से निकला पानी ट्रीट करने के बावजूद यूज के बाद भी उपयोग नहीं करना चाहिए। दूषित पानी के संपर्क में आने से त्वचा रोग, खुजली स्किन कैंसर जैसी बीमारी चपेट में ले सकती है।
यह बोले अधिकारी
नगर निगम के एसई आनंद स्वरूप ने बताया कि नालों को डायवर्ट करने की प्रक्रिया चल रही है। जो पाइपलाइन पश्चिमी यमुना नहर के साथ-साथ डाली जानी है, उसके लिए सिंचाई विभाग से एनओसी ली जानी है। हमने सभी औपचारिकताएं पूरी कर दी गई हैं। उम्मीद है जल्दी ही एनओसी मिल जाएगी और काम शुरू करवा दिया जाएगा।