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जल बचाने का संस्कार जीवन में अपनाएं

पानीपत-हरिद्वार रोड पर छाजपुर गांव स्थित संस्कार वैली स्कूल में दैनिक जागरण के संस्कारशाला के 9वें संस्करण के अंतर्गत शनिवार को कार्यशाला आयोजित की गई।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 09:45 AM (IST)Updated: Mon, 16 Sep 2019 06:57 AM (IST)
जल बचाने का संस्कार जीवन में अपनाएं
जल बचाने का संस्कार जीवन में अपनाएं

जागरण संवाददाता, पानीपत : जल संरक्षण समय की जरूरत है। एक व्यक्ति सुबह मुंह धोने से लेकर नहाने और दिनभर की क्रियाओं में सामान्य से दो-तीन गुना अधिक पानी बर्बाद कर देता है। आज इन आदतों को त्यागने की जरूरत है। हम खुद से इसकी शुरुआत करेंगे तो समाज में खुद बदलाव आ जाएगा।

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पानीपत-हरिद्वार रोड पर छाजपुर गांव स्थित संस्कार वैली स्कूल में दैनिक जागरण के संस्कारशाला के 9वें संस्करण के अंतर्गत शनिवार को कार्यशाला आयोजित की गई। मुख्य वक्ता प्रतिष्ठा फाउंडेशन की चेयरपर्सन डॉ. कुंजल प्रतिष्ठा रहीं। उन्होंने बच्चों को जीवन में काम आने वाली 10 महत्वपूर्ण सीख दी। उन्होंने कहा कि दैनिक जागरण संस्कारशाला के जरिए समाज से जुड़े विषयों को प्रमुखता के साथ उजागर है।

11 सितंबर के अंक में दिल्ली के नजदीक रहने वाली स्वस्तिक लड़की की प्रकाशित कहानी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ्रस्वस्तिक ने अपने प्रयासों से पानी बचाने के लिए समाज को नई सीख दी है। उसने रेलवे स्टेशन पर खुले नल को अपने प्रयासों से बंद कराया था। रेलवे के अधिकारियों को भी स्वस्तिक की बात माननी पड़ी। बच्चों को इन बातों को अपने जीवन में धारण करना चाहिए। पानी के लगातार व्यर्थ बहाने से एक दिन भूजल खत्म हो जाएगा। फिर हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचेगी। हमें जल संरक्षण को आज से भी अपने जीवन में धारण करना चाहिए।

बच्चों को आधुनिकता की दौड़ में उतरने के साथ अपने संस्कारों को भी साथ लेकर चलना होगा। मोबाइल में बंध कर माता-पिता और बुजुर्गों का आदर करना तक भूल गए हैं। इससे परिवार व समाज का ढांचा बिगड़ गया है। हमें अपने माता-पिता का आदर करना चाहिए। पीने से लेकर पीने तक में करें पानी की बचन : प्रिया

स्कूल की चेयरमैन प्रिया दुआ ने बताया कि संस्कारशाला सराहनीय कदम है। आज भूजल तेजी के साथ खत्म हो रहा है। इसमें हम खुद भी दोषी हैं। हम कई बार जरूरत से ज्यादा पानी बहा देते हैं। उस वक्त आने वाले खतरे की चिता नहीं करते। यही स्थिति रही तो आने वाली पीढि़यों को पीने तक को पानी नहीं मिलेगा। पीने से लेकर नहाने तक में पानी बचाना चाहिए। हमें गिलास में अपने अनुमान के हिसाब से पानी लेना चाहिए।


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