Uttar Pradesh Election: उत्तर प्रदेश में बन बिगड़ रहे चुनावी समीकरण, हरियाणा में चर्चा, जानें सीमा से लगे गांवों में क्या हाल
उत्तर प्रदेश में चुनाव है। 10 फरवरी को पहले चरण के चुनाव होने हैं। उत्तर प्रदेश की सीमा से हरियाणा के गई गांवों की सीमा लगती है। यहां तक की यमुना की जलधारा काे छूकर हरियाणा पहुंच रही उप्र की चुनावी फिजा।
यमुनानगर, [संजीव कांबोज]। उप्र की चुनावी फिजा मंद मंद बह रही पवित्र यमुना नदी की जलधारा को छूकर हरियाणा पहुंच रही है। हथनीकुंड बैराज के पास उप्र के गांव फैजापुर से लेकर जिले के अंतिम छोर पर बसे गांव गुमथला राव तक उप्र व हरियाणा के दर्जनों गांव ऐसे हैं जिनसे दोनों राज्यों के विभिन्न गांवों में हर दिन का आना जाना है। कोई खेत अपने खलिहान में जाता है तो कामकाज के सिलसिले में। इन लोगों की जुबां पर इन दिनों केवल चुनावी चर्चाएं ही हैं। कोई किसी राजनीतिक दल की जीत सुनिश्चित कर रहा तो कोई किसी की जुबां नेताओं के पाला बदलने पर बिगड़े व बने समीकरण हैं। हालांकि मौसम ठंडा है, लेकिन उप्र के चुनाव हरियाणा में सियासी गर्मी है।
इन गांवों का अधिक आनाजाना
प्रतापनगर एरिया में उप्र के फैजाबाद, फतेहपुर, ढांडा, ज्ञानीपुर, खैरी, कंडइवाला, खासमपुर, मिर्जापुर, रायपुर, मगनपुरा, सफीपुर, बादशाही बाग, रोशनपुर पीलो, बेहट, कंदेवड़ सहित अन्य कई गावों का आना जाना हरियाणा के यमुनानगर-जगाधरी में है। यमुनानगर जिला में खनन जोन के साथ-साथ लक्कड़ मंडी भी है। कामकाज के सिलसिले में हजारों लोगों का आना जाना हर दिन लगा रहता है। मंडौली व मानकपुर की लक्कड़ मंडी में हर दिन लकड़ी की सैकड़ों ट्रालियां पहुंचती हैं। आढ़ती व ठेकेदारों की संख्या भी कम नहीं है जोकि उप्र के रहने वाले हैं और यमुनानगर में कामकाज करते हैं। इसी प्रकार, गुमथला क्षेत्र में सैनपुर, कुतुबपुर, ढीका कलां, ढीका खुर्द, मंदौर, नसुल्लागढ़, रानीपुर, बाधी, टाबर, काजीबांस, समसपुर, शहजहांपुर सहित अन्य कई गांव है जिनका यमुनानगर के विभिन्न हिस्सों में हर दिन आना जाना लगा रहता है।
हरियाणा के वासियों का भी आना जाना
उप्र के साथ-साथ लगते हरियाणा के दर्जनों गांव ऐसे हैं जिनकी जमीन यमुना के उस पार है। इन दिनों गन्ना छिलाई का सीजन जोरों पर है। इसके साथ-साथ अन्य फसलों की देखरेख के लिए भी क्षेत्र के ये किसान उप्र की ओर जाते हैं। दोनों राज्यों के किसान आपस में बतियाते हैं। गुमथला एरिया की यदि बात की जाए तो घोड़ों पीपली, संधाला, गुमथला, लालछप्पर, माजरी, माडल टाउन करेहड़ा, जठलाना, उन्हेड़ी के गांवों सैकड़ों एकड़ जमीन यमुना के उस पार है। क्षेत्र किसान विनोद कुमार, राम करण व सुरेंद्र सिंह ने बताया कि उनके खेत यमुना के उस हैं। टाबर, कांजीबांस व नसुल्लागढ़ के किसानों से उनका मिलना-जुलना लगभग हर दिन होता है। इस दौरान चर्चा केवल चुनाव की ही होती है।