Move to Jagran APP

शहर के लोगों का भी अब प्राकृतिक चिकित्सा की ओर रुझान

पानीपत में हेल्थ और फिटनेस के प्रति जागरूक शहरवासी भी अब स्वस्थ और फिट रहने के लिए प्राचीन चिकित्सा पद्धति की ओर लौटने लगे हैं।

By Edited By: Published: Sat, 17 Nov 2018 09:12 AM (IST)Updated: Sun, 18 Nov 2018 11:48 AM (IST)
शहर के लोगों का भी अब प्राकृतिक चिकित्सा की ओर रुझान
शहर के लोगों का भी अब प्राकृतिक चिकित्सा की ओर रुझान

जागरण संवाददाता, पानीपत : हेल्थ और फिटनेस के प्रति जागरूक शहरवासी भी अब स्वस्थ और फिट रहने के लिए प्राचीन चिकित्सा पद्धति की ओर लौटने लगे हैं। प्राकृतिक मसाज, मिट्टी स्नान और भाप स्नान में विभिन्न बीमारियों का इलाज तलाशने लगे हैं। ऑर्गेनिक फूड के साथ योग और ध्यान से भी शारीरिक-मानसिक थकान दूर की जाने लगी है। जंक फूड और तैलीय खाद्य सामग्री का सेवन, अव्यवस्थित दिनचर्या, टीवी-मोबाइल से चिपके रहने की लत और अशुद्ध वातावरण के कारण शहर वासियों को मोटापा, शुगर, तनाव आदि रोगों ने चपेट में ले लिया है। बीमार लोग एलोपैथिक मेडिसिन का इस्तेमाल इसलिए करते हैं ताकि उन्हें तुरंत राहत मिल सके। लंबे समय तक दवा सेवन के बाद भी रोग जड़ से खत्म नहीं होते। कई बार मेडिसिन का दुष्प्रभाव भी देखा जाता है। यही कारण है कि अब अर्बन एरिया के लोग भी एलोपैथिक मेडिसिन, केमिकल युक्त कॉस्मेटिक उत्पादों से तौबा करने लगे हैं। शहर में खुले जड़ी-बूटी के लेप से मसाज एवं भाप स्नान केंद्रों में अब मरीजों की भीड़ जुटने लगी है। सूखी-गीली मिट्टी से स्नान कर कब्ज, स्नायु-दुर्बलता, तनाव, सिरदर्द, उच्च रक्तचाप, मोटापा चर्म रोगों का इलाज कराने में यकीन कर रहे हैं। जापान वाटर थैरेपी का नाम तो सुना होगा। नहीं सुना तो किसी प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र जाएं तो आपको गर्म तौलिया से शरीर को ढके लोग बैठे-लेटे दिख जाएंगे। हॉट बाथ, स्टीम बाथ से पेट व त्वचा रोगों, बुखार और तनाव के इलाज में कारगर बताया गया है। पोटली मालिश दर्द में बहुत कारगर है। सूर्य चिकित्सा, जी हां प्रकृति की यह ऐसी देन है जिसमें एक पैसा भी खर्च नहीं होता। शरीर स्वस्थ है तो त्वचा और अंगों का प्राकृतिक रंग बरकरार रहेगा। सूर्य चिकित्सा इसी सिद्धांत पर आधारित है। इलाज के लिए सूरज की किरणों में पाए जाने वाले सात रंगों का प्रयोग किया जाता है।  

loksabha election banner

बड़े काम की डाइट थैरेपी प्राकृतिक चिकित्सा में डाइट थैरेपी सबसे मुख्य है। मानव शरीर में विभिन्न रोग पेट से जुड़ी समस्याओं से शुरु होते हैं। इनका कारण खराब खानपान, भोजन-नाश्ते का समय निर्धारित नहीं होना आदि है। इससे मोटापा, शुगर, लिवर और हार्ट की बीमारियां होने लगती हैं। प्राकृतिक चिकित्सक के कहने से अब शहर वासी ऑर्गेनिक खाद्य सामग्री, मौसमी फल सहित प्रकृति ने जैसा दिया है वैसा खाओ पर अमल करने लगी है। वर्जन : प्राकृतिक चिकित्सा का अर्थ बिना दवाओं के रोगी को स्वस्थ करना है। शरीर से जहरीले तत्वों को बाहर निकालना, रक्त संचार कंप्लीट करना और मेटाबोलिज्म को मजबूत करना सहित तीन सिद्धांतों पर चिकित्सा आधारित है। स्टीम स्नान, मड भाप, स्पाइनल बाथ आदि के लिए बड़ी संख्या में लोग केंद्र में आ रहे हैं। -उमेश आर्य, ट्रेनर-प्राकृतिक मसाज एवं भाप स्नान केंद्र, सेक्टर 11


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.