करनाल के 41 गांव जल संरक्षण की पेश कर रहे अनोखी मिसाल, तालाबों को संवारा, अब सहेज रहे बारिश का पानी
करनाल के 41 गांवों ने जल संरक्षण की अनोखी मिसाल कायम की है। अटल भूजल योजना के तहत करनाल के 41 गांवो में खोदे गए तालाब। अब आसमान से बरसते असीमित जल के संरक्षण से खेतों में लहलाएंगी फसलें।
करनाल, जागरण संवाददाता। बरसाती पानी की सुरक्षा के लिए प्रदेश सरकार के प्रयास धरातल पर लागू किए जा रहे हैं। कृषि विविधिकरण, सूक्ष्म सिंचाई योजना से काफी जल संरक्षण के साथ-साथ ऐसे क्षेत्र जो लो लाइन में हैं, वहां रिचार्ज नलकूप लगवाने पर जोर दिया गया है। अटल भूजल योजना देश के गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान के 8 हजार 350 गांवों के लिए है।
योजना के लिए छह हजार करोड़ रुपये की राशि रखी गई है, जिसमें तीन हजार करोड़ रुपये विश्व बैंक द्वारा और शेष 3 हजार करोड़ रुपये भारत सरकार मुहैया करवाएगी। इसके लिए हरियाणा के 14 जिले चुने गए हैं, जिनके 36 खंडों की 1669 ग्राम पंचायतों में यह योजना क्रियान्वित की जा रही हैं। इनमें जिला के करनाल खंड की 41 पंचायतें शामिल हैं। अगस्त-2021 से अब तक 49 गांवों का जल संरक्षण प्लान मुकम्मल किया जा चुका है।
जल के संरक्षण के लिए खेतों या पंचायती भूमि पर तालाब
प्रशासनिक स्तर पर मिली जानकारी के अटल भूजल योजना वर्ष-2018 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के 95वीं जयंती पर शुरू की गई थी। जिसका मकसद है कि जल की बचत करके हर घर में पीने का पानी और किसानों को खेती के लिए पानी देना है। आठ-दस एकड़ वाले किसान कम से कम एक एकड़ में जल संरक्षण के लिए तालाब बनाएं गए हैं, जिसकी गहराई अढ़ाई मीटर हो। इन उपायों से प्रति एकड़ एक हेक्टेयर जल की बचत की जा सकेगी। जानकारी के अनुसार जिले के 41 गांवो में टपराना गांव में जल सुरक्षा योजना की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष के दौरान 347.48 हैक्टेयर मीटर पानी का प्रयोग किया जा रहा है, जो उपलब्धता से 275.96 हैक्टेयर मीटर ज्यादा है, इससे भूमिगत जल स्तर नीचे जा रहा है।
भू-जल संरक्षण के लिए कारगर योजना : डीसी
उपायुक्त अनीश यादव के अनुसार स्टडी बताती है कि भू-जल का अत्याधिक प्रयोग खेती में हो रहा है, इसके संरक्षण के लिए खेतों में तालाब बनाना ही कारगर हो सकता है। अटल भू-जल योजना जल संरक्षण और भविष्य की कृषि जरूरतों को देखते काफी कारगर साबित हो सकती है। मानसून के दौरान आसमान से बरसते असीमित जल के संरक्षण के लिए खेतों या पंचायती भूमि पर तालाब बनाए गए हैं, जिनमें एकत्र पानी को सिंचाई में प्रयोग किया जा सकेगा। जिला के तरावड़ी-नीलोखेड़ी एरिया में कई किसानों द्वारा उनकी लो-लाइन जमीन में ऐसे नलकूप लगाए गए हैं, जो कामयाब हैं।