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छाेटे कदम में बड़ा मिशन: हरियाणा में फैक्‍टरी मालिक की पानी की बर्बादी रोकने को अनोखी मुहिम

छोटे कदम से बड़े मिशन को हासिल किया जा सकता है। अपने अनाेखे अभियान से यह सीख दे रहे हैं हरियाणा के पानीपत के एक फैक्‍टरी मालिक। उनकी फैक्‍टरी में रोज हजारों लीटर पानी बर्बाद होता था सो फैक्‍टरी बंद कर दी और पानी बचाने की मुहिम में जुट गए।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 06:28 PM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2020 08:32 AM (IST)
छाेटे कदम में बड़ा मिशन: हरियाणा में फैक्‍टरी मालिक की पानी की बर्बादी रोकने को अनोखी मुहिम
फैक्‍टरी मा‍लिक रमेश चौधरी और पानीपत में एक जगह पानी की लीकेज रोकने को काम करता टीम का सदस्‍य।

पानीपत, [रवि धवन]। छोटे कदम से बड़ा मिशन। पानीपत के एक फैक्‍टरी मालिक इस संकल्‍प के साथ पानी की बर्बादी रोकने की मुहिम में जुटे हुए ह‍ैं। उनकी यह मुहिम अनोखी है, क्‍योंकि इसके लिए उन्होंने इसकी शुरूआत खुद की फैक्‍टरी बंद कर की। उनके डाई हाऊस में रोज हजारों लीटर पानी बर्बाद होता था। किसी मित्र ने इस ओर ध्‍यान दिलाया तो उनकी आंखें खुलीं और अपनी फैक्‍टरी को बंद कर शहर में पानी की बर्बादी रोकने के अपने अभियान में जुट गए।

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अपना डाई हाउस बंद करके जल बचाओ अभियान शुरू किया

दरअसल पानीपत के फैटरी मालिेक रमेश चौधरी कहानी, बताएगी कि बदलाव करने की ठान लें हो तो कोई भी बड़ा कदम उठाया जा सकता है और छोटे कदम से बड़े मिशन को भी हासिल किया जा सकता है। हुआ यूं कि रमेश चौधरी ने एक दिन दोस्तों के बीच बैठ बात करते हुए कहा, इतना पानी रोज बर्बाद हो जाता है। क्यों न पानी बचाने के लिए मुहिम छेड़ी जाए। इसी बीच एक दोस्त ने कहा, आप भी तो रोज हजारों लीटर पानी बर्बाद करते हो। चौधरी इस पर कुछ नहीं कह सके।

पानीपत शहर में एक जगह पानी की लीकेज ठीक करता प्रकृति रक्षा एवं संरक्षण समिति का सदस्‍य।

दोस्‍तों के साथ बैठक तो खत्म हो गई, लेकिन रमेश के दिल व दिमाग में नया संकल्‍प पैदा हो चुका था। एक सप्ताह बाद फिर दोबारा दोस्त बैठे। इस बार, रमेश चौधरी ने जो कुछ कहा उससे दोस्‍त भी भौंचक्के रह गए।  उन्होंने अपना आरके मैचिंग डाई हाउस बंद करने करने की बात कही। उन्‍होंने कहा, ' अब बताओ। क्या किया जाना चाहिए। नया काम करूंगा। डाई हाउस नहीं चलाऊंगा।' 

दुकान-दुकान जाकर प्लंबर तलाशे, खुली टोंटियां और लीकेज बंद करते हैं

इसके बाद रमेश चौधरी ने शहर में पानी की बर्बादी रोकने के लिए दोस्‍तों के साथ टीम बनाई और प्‍लंबरों को अपने साथ जोड़कर शहर भर में पानी की लीकेज रोकने का अभियान चलाने का फैसला किया। उन्‍होंने अपनी टीम का नाम रखा प्रकृति रक्षा एवं संरक्षण समिति। टीम ने दुकान-दुकान पर जाकर प्लंबर तलाशे। पचास से ज्यादा प्लंबरों से बात की। इनमें से दस प्लांबर इनके साथ जुड़ गए हैं।

पानीपत शहर में एक जगह पानी की लीकेज ठीक करते प्रकृति रक्षा एवं संरक्षण समिति के सदस्‍य।

प्रकृति रक्षा एवं संरक्षण समिति कोर्ट और लघु सचिवालय तक में कर चुकी है काम

प्रकृति रक्षा एवं संरक्षण समिति को अब जहां भी खुली टोंटी मिलती है, उसे बंद करने पहुंच जाते हैं। यहां तक की कोर्ट और लघु सचिवालय, जहां पर जज और पूरा प्रशासन बैठता है, वहां भी टोंटी इन्होंने ही बंद की। इनकी टीम लोधी पार्क में पौधरोपण करने पहुंची थी। वहां देखा कि पाइप लाइन लीक है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि महीनों से पानी इसी तरह बर्बाद हो रहा है। तब इन्होंने ट्यूबवेल की लाइन को ठीक कराया।

रमेश चौधरी के अलावा समिति के सदस्य सुबह सैर पर निकलते हैं तो गलियों में कोने चेक करते जाते हैं। जहां पानी लीक होता दिखता है, तभी प्लंबर को फोन पर बता देते हैं। जिन प्लंबर को अपने साथ जोड़ा है, वे भी बिना पैसा लिए काम करते हैं। समिति के सदस्य उन्हें टोंटी और सामान जरूर उपलब्ध कराते हैं।

पानीपत शहर में एक जगह पानी की लीकेज ठीक करता प्रकृति रक्षा एवं संरक्षण समिति का सदस्‍य।

अब तक 200 जगह सुधार करा चुके

अब तक करीब दो सौ जगह पर सुधार करा चुके हैं। लीक टोंटियों को बंद कराते हैं। माईजी कालोनी, देवी मंदिर कालोनी, देसराज कालोनी, वधावाराम कालोनी, विकास नगर सहित कई जगहों पर टीम काम कर चुकी है। अब प्‍लंबर की संख्‍या भी दस से बढ़ने वाली है। रमेश कहते हैं, सेवा की भावना सभी में जागृत हो रही है।

40 हजार लीटर पानी रोज जमीन से  निकालते थे

रमेश चौधरी ने सेक्टर 29 में डाई हाऊस लगाया हुआ था। हर रोज करीब 40 हजार लीटर पानी जमीन से निकाला जाता था। चौधरी का कहना है कि उनका तो छोटा डाई हाऊस था। उनसे बड़े यूनिट तो रोज लाखों लीटर पानी निकालते हैं। अगर इन सभी को नहरी पानी मिल जाए तो करोड़ों-अरबों लीटर पानी बचा सकेंगे।

इस मानसून में शुरू किया पौधारोपण

इस मानसून में प्रकृति रक्षा एवं संरक्षण समिति ने पौधारोपण अभियान शुरू किया। खास बात यह है कि जागरण के अभियान, अच्छे पौधों से प्रेरणा लेते हुए इन्होंने छायादार और फलदार पौधे ही रोपे। कार्यक्रम में सांसद संजय भाटिया, विधायक प्रमेाद विज, महीपाल ढांडा भी पहुंचे। टीम में पवन चुघ, इरफान सैफी, इरशाद अली, नरेश कौशिक, विजय मदान, दिलावर सिंह लाठर, धर्मेंद्र झा, गीता देवी, ओमप्रकाश सिंह, सुरेश जैन का प्रमुख योगदान रहता है।

तीन बातें, जो हर किसी से कहते हैं

- इंडस्ट्री को नहरी पानी मिलना चाहिए। क्योंकि, जमीन के पानी पर सभी का हक है। अगर जमीन का पानी इंडस्ट्री निकाल लेगी तो आमजन पानी को तरस जाएगा। जिस तरह हम किसानों को भूजल नहीं निकालने के लिए प्रेरित करते हैं, उसी तरह इंस्ट्री पर ये बात लागू होनी चाहिए।

- हम हर सड़क को पक्का करते जा रहे हैं। कहीं ऐसा इंतजाम नहीं कर रहे कि बारिश का पानी जमीन में जा सके। गांवों तक में ये हालात हैं। विदेशों की तरह सड़क के बीच बीच में कच्ची जगह हो, पानी रिसता हुआ जमीन में जाए।

- छोटे-छोटे प्रयासों से पानी बचाएं। टोंटी खराब हो जाती है तो ठीक नहीं कराते। पानी बहता जाता है। जहां एक बाल्टी की जरूरत होती है, वहां कई बाल्टी पानी बहा दिया जाता है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगे होने चाहिए।

डाई हाउस बंद कर बिजली के काम में आए

रमेश चौधरी ने बताया कि उनके दो भाई बिजली का काम करते थे। उनसे कहा कि क्यों न रियल एस्टेेट कंपनियों से बात करके बिजली का कांट्रेक्ट लिया जाए। कुछ जगह बात की। आखिरकार प्रोजेक्ट मिल गए। अब फ्लैट, इमारतों में बिजली उपकरण लगाने का काम लेते हैं। दिल्ली, सोनीपत तक काम बढ़ गया है। कहते हैं, बदलाव करना चाहो तो कभी भी कर सकते हैं। जरूरत है, खुद पर विश्वास होने की।


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