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तानों को हराकर यूं बनते हैं मिस्‍टर एंड मिस वर्ल्‍ड चैंपियन

शिष्यों ने वर्ल्‍ड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में जीते स्वर्ण पदक। गुरु को मिला लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड। एक बेटी के पिता मजदूर हैं। एक बेटे के पिता की हो चुकी मौत।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Sat, 03 Nov 2018 04:27 PM (IST)Updated: Sun, 04 Nov 2018 09:09 AM (IST)
तानों को हराकर यूं बनते हैं मिस्‍टर एंड मिस वर्ल्‍ड चैंपियन
तानों को हराकर यूं बनते हैं मिस्‍टर एंड मिस वर्ल्‍ड चैंपियन

विजय गाहल्याण, पानीपत: हौसलें बुलंद हों तो मुसीबतों के पहाड़ को लांघकर सफलता पाई जा सकती है। ऐसा ही कर दिखाया है संजय कॉलोनी के अमित कुमार और विकास नगर की मोनिका ने। दोनों ने 36वीं नेचुरल बॉडी बिल्डिंग यूनियन इंटरनेशनल मिस्टर एंड मिस वर्ल्‍ड चैंपियनशिप 2018 में स्वर्ण पदक जीता है।

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यह प्रतियोगिता दिल्ली के केदारनाथ साहनी ऑडिटोरियम में हुई। इनके कोच व अंतरराष्ट्रीय बॉडी बिल्डर महराना गांव के प्रवीण नांदल को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला है। प्रवीण के पास राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो दर्जन से ज्यादा खिताब हैं, लेकिन सरकार ने नौकरी तक नहीं दी है।  

चोट को मात देकर दो बोटियों के पिता बने चैंपियन
70 से 75 किलोग्राम में स्वर्ण पदक जीतने वाले 29 वर्षीय अमित कुमार ने बताया कि पिता राजेंद्र की मौत हो गई। इसके बाद उसका कबड्डी खेल छूट गया। पत्नी, दो बेटियों और मां के पोषण की जिम्मेदारी निभाने के लिए मल्टीप्लेक्श में ऑपरेटर की नौकरी की। कर्मचारी कमजोर शरीर को लेकर ताने मारने लगे तो जवाब देने के लिए बॉडी बिल्डिंग खेल शुरू किया। मिस्टर सोनीपत का खिताब और स्टेट चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता। पैर में चोट लगी तो खेल छूट गया। जीवन निराशा से भर गया। फिर कोच प्रवीण नांदल ने हौसला दिया। हर रोज नौकरी के साथ-साथ छह घंटे अभ्यास किया। चोट से उबरा और अब कामयाबी मिली है।

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श्रमिक की बेटी मोनिका ने जीता खिताब
जूनियर ह्रयूमैन फिजिक्स का खिताब जीतने वाली प्रदेश की पहली महिला खिलाड़ी 18 वर्षीय मोनिका ने बताया कि पिता गोरखचंद और मां सुशीला फैक्ट्री में काम करते हैं। वह डांस में ख्याति प्राप्त करना चाहती थी, लेकिन घर की आर्थिक स्थित कमजोर होने के कारण सपान पूरा नहीं हो पाया। एक साल पहले कोच प्रवीण ने उसे अपने जिम में महिला ट्रेनर लगा दिया और आर्थिक सहयोग दिया। उस पर लोगों ने तंज भी कसे, लेकिन उसने किसी की परवाह नहीं की। प्रतिदिन सुबह-शाम को पांच घंटे अभ्यास किया और सफलता मिली।    

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मेहनत ही कामयाबी का मंत्र है - प्रवीण नांदल
अंतरराष्ट्रीय बॉडी बिल्डर प्रवीण नांदल ने कहा कि युवाओं की सोच है कि एक साल के भीतर राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर खिताब जीत लें। वे मेहनत करने की बजाय नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं। यह सही नहीं है। इससे शरीर को नुकसान होता है। मेहनत ही सफलता का मंत्र है। युवतियों के लिए बॉडी बिल्डिंग में सुनहरा भविष्य है। इन्हें कंपनियां भी स्पांसर करती हैं। मोनिका कड़ा अभ्यास करे तो वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी पदक जीत सकती है।


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