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सावधान! ऐसे क्लोन होते हैं एटीएम कार्ड, महिलाएं और बुजुर्ग रहते हैं निशाने पर

हरियाणा के कैथल में दो शातिरों को गिरफ्तार किया गया है। डेबिट कार्ड क्लोन कर सौ से ज्यादा वारदात कर चुके हैं। असम मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में भी वारदात कर चुके हैं। दोनों 30 लाख से ज्यादा की धोखाधड़ी कर चुके हैं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Mon, 05 Apr 2021 01:55 PM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 01:55 PM (IST)
सावधान! ऐसे क्लोन होते हैं एटीएम कार्ड, महिलाएं और बुजुर्ग रहते हैं निशाने पर
कैथल में एटीएम क्लोनिंग कर धोखाधड़ी करने के दोनों आरोपित पुलिस की गिरफ्त में।

कैथल, जेएनएन। एटीएम कार्ड (डेबिट कार्ड) क्लोनिंग करके शातिर खातों से पैसे साफ कर रहे हैं। इनके निशाने पर बुजुर्ग और महिलाएं रहती हैं। खासकर वे लोग, जो एटीएम में कार्ड के जरिये राशि निकालने में असुविधा महसूस करते हैं। मदद के बहाने एटीएम कार्ड लेते हैं। फिर बातों में उलझा लेते हैं। इसी दौरान एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार कर लेते हैं।

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कैथल में भी कैथल स्पेशल साइबर सेल पुलिस ने इस गिरोह के दो शातिरों को गिरफ्तार किया है। करीब डेढ़ साल में एटीएम डेबिट कार्ड क्लोन करके सौ से ज्यादा मामलों में करीब 30 लाख रुपये की ठगी कर चुके हैं। जोगेंद्र और प्रवीण नाम के दोनों युवक जींद के रहने वाले हैं। पुलिस ने इन्हें 22 जुलाई 2020 को गांव सिसला निवासी बलवंत सिंह के खाते से 62 हजार रुपये निकाले जाने की तफ्तीश के दौरान जींद से पकड़ा है। इनसे 44 हजार रुपये की नकदी, कार्ड क्लोनिंग डिवाइस और एक मोबाइल फोन बरामद किया गया है। पूछताछ में उन्होंने असम से लेकर हरियाणा तक सौ से अधिक वारदातों को अंजाम देना कबूल किया है। 

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ऐसे करते हैं ठगी

एसपी लोकेंद्र सिंह ने बताया कि जोगेंद्र मुख्य सरगना है। उसने दिल्ली से एटीएम क्लोन करने वाला डिवाइस खरीदा। इसके बारे में किसी दोस्त ने बताया था। इंटरनेट पर भी जानकारी हासिल की। प्रवीण को उसने अपने साथ लिया। वह एटीएम में आने वालों का ध्यान बंटाता था। जोगेंद्र ऐसे बुुजुर्ग या महिला की ताक में रहता था, जो आसानी से मशीन से पैसे नहीं निकाल पाते। उनका कार्ड लेता और बातों में लगा लेता। प्रवीण उसका ध्यान बंटाता और जोगेेंद्र उसके डेबिट कार्ड में डिवाइस में डालकर निकाल लेता। इतनी ही देर में यह डिवाइस एटीएम का डाटा स्कैन कर लेती थी। दो-तीन दिन बाद क्लोन डेबिट कार्ड से पैसे निकालते। स्कैन किए गए डाटा को यह इजी-एमएसआर नाम की एक मोबाइल एप के जरिये रिट्रिव करते थे, जिससे उसका 16 डिजिट का कोड, सीवी नंबर और पिनकोड हासिल हो जाता।  

शातिराना तरीके से करते थे काम

ये बदमाश ऐसे बैंकों के एटीएम इस्तेमाल करते थे, जिन्होंने अभी तक आधुनिक सेफ्टी फीचर्स उपभोक्ताओं को उपलब्ध नहीं कराए हैं। एसपी लोकेंद्र सिंह ने बताया कि ये ज्यादातर बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और पोस्टल बैंक के एटीएम से ही पैसे निकालते थे। ग्रामीण क्षेत्र में भी बुजुर्ग इनका शिकार बनते थे। सिसला के बुजुर्ग बलवंत सिंह का एटीएम कार्ड उन्होंने पाई के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से क्लोन किया था। इससे टोहाना और जींद से अलग-अलग बार में 62 हजार रुपये निकाले। हरियाणा में इन्होंने कैथल, फतेहाबाद, हिसार, कुरुक्षेत्र और सिरसा में वारदात की हैं।

असम, एमपी और हिमाचल में भी केस दर्ज

एसपी लोकेंद्र सिंह ने बताया कि जोगेंद्र और प्रवीण कार चलाते हैं। ये अकसर असम जाते थे। वहां भी उन्होंने एटीएम डेबिट कार्ड से ठगी की कई वारदातों को अंजाम दिया। जोगेंद्र के खिलाफ गोवाहाटी और कोकराझार में भी मामले दर्ज हैं। जोगेंद्र पर छह मामले कैथल में ही दर्ज हैं। इससे पहले वह मध्य प्रदेश में ट्रेनों में चोरी किया करता था। उसके खिलाफ मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एक और खांडवा में दो केस दर्ज हैं। डेढ़ साल पहले उसन धंधा बदला था। वह जहां भी जाता, हर जगह ठगी करने लगा। उसने प्रवीण को भी अपने साथ लगा लिया। प्रवीण के खिलाफ चोरी के दो केस दर्ज हैं। एक हिमाचल प्रदेश के ऊना में और दूसरा जींद में दर्ज है।


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