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जहां लड़ी महाभारत, वहां मिला दो हजार वर्ष पुराना सूर्य मंदिर, जानिये कैसा है ये

कुरुक्षेत्र में बौद्ध स्तूप के पास सूर्य मंदिर होने का दावा। पुरातत्व विभाग ने 2012, 13 में कराया था खुदाई का कार्य। विभाग की ओर से मंदिर के अवशेषों को संरक्षित भी किया गया।

By Ravi DhawanEdited By: Published: Tue, 06 Nov 2018 05:46 PM (IST)Updated: Thu, 08 Nov 2018 08:54 AM (IST)
जहां लड़ी महाभारत, वहां मिला दो हजार वर्ष पुराना सूर्य मंदिर, जानिये कैसा है ये
जहां लड़ी महाभारत, वहां मिला दो हजार वर्ष पुराना सूर्य मंदिर, जानिये कैसा है ये

कुरुक्षेत्र [सतीश चौहान] : कुरुक्षेत्र के प्रसिद्ध ब्रह्मसरोवर के पश्चिम में स्थित बौद्ध स्तूप के साथ ही पुरातत्व विभाग को दो हजार वर्ष पुराना सूर्य मंदिर मिला है। विभाग की ओर से वर्ष 2012-13 में इसकी खुदाई का कार्य कराया गया था। रिपोर्ट तैयार कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को भेजी गई है। हालांकि विभाग की ओर से इस मंदिर के अवशेषों को संरक्षित भी कर दिया गया है। विभाग की ओर से खुदाई करने वाले पुरातत्वेता डॉ. मनोज का दावा है कि यह मंदिर लगभग दो हजार वर्ष पुराना है, जो कुषाण काल से संबंधित है।

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इस संबंध में डॉ. मनोज की ओर से शोध पत्र विस्कोनसिन यूनिवर्सिटी मेडीसन अमेरिका में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेस ऑन साउथ एशिया में प्रस्तुत भी किया जा चुका है। जल्द ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से इसकी रिपोर्ट प्रकाशित की जानी है। डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि उन्होंने वर्ष 2012-13 में बौद्ध स्तूप की खुदाई का कार्य शुरू किया था। लगभग एक वर्ष चले खुदाई के कार्य के दौरान बौद्ध स्तूप के उत्तर दिशा में सूर्य मंदिर की संरचना मिली थी। जिसकी रिपोर्ट विभाग को भेजी गई थी। विभाग की ओर से बौद्ध स्तूप को पर्यटन की दृष्टि से संरक्षित करने के साथ ही मंदिर की संरचना को भी संरक्षित किया गया था। 

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संरचना में मंदिर को गर्भ गृह और अर्धमंडप - डॉ. मनोज
डॉ. मनोज ने बताया कि खुदाई के दौरान संरचना में मंदिर का गर्भ गृह और अर्धमंडप मिला था। इसके अलावा प्रदिक्षणा पथ भी मिला था, जिस पर चलकर मंदिर की परिक्रमा की जाती थी। इसके अलावा मंदिर की बाहरी दीवार भी मिली थी। डॉ. मनोज ने बताया कि यह मंदिर त्रीरथ शैली का अभी तक प्राप्त सबसे पहला नमूना है। जो कुषाण कालीन बड़ी इंटों से बनाया गया था। मंदिर के आकार में गर्भ गृह साढ़े सात मीटर का वर्गाकार है। मंदिर की चौकी 12 गुणा 14 आयताकार है। मंदिर की दिशा उत्तर पूर्व मुखी है। जो अधिकतर सूर्य मंदिरों की पाई जाती है। इसके साथ ही वर्गाकार गर्भ गृह भी देवता का होता है। खुदाई के दौरान मंदिर की नींव लगभग पूर्ण अवस्था में प्राप्त हुई थी।

सूर्य मंदिर के सामने होता है जलाशय
पुरातत्वेता का कहना है कि मंदिर संरचना के नियमों के अनुसार सूर्य मंदिर के सामने जलाशय भी होता है। इस मंदिर के ठीक सामने ब्रह्मसरोवर तीर्थ है। उन्होंने कहा कि यह अब तक का मिला सबसे पुराना ईंटों का बना हुआ मंदिर है। इससे पुराने मंदिर लगभग सभी पत्थरों से बने हुए मिले हैं। इस मंदिर में कुषाण काल की ईंटों का प्रयोग किया गया है, जो पहली से तीसरी शताब्दी में प्रयोग होती थी।


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