गम में डूबा समुंदर राजा भी लुटा, क्योंकि सामने पड़े थे बेटों के शव Panipat News
करनाल में एसवाईएल नहर में डूबने से दो किशोरों की मौत हो गई है। 24 लोगों ने मशक्कत के बाद दोनों के शव ढूढ़े।
पानीपत/करनाल, जेएनएन। एसवाईएल नहर में डूबने से गांव बड़ौता के दो किशोरों की मौत हो गई। मृतक देवराज और दीपांशु दोस्त थे और घर से स्टेडियम में खेलने के लिए निकले थे। गांव के साथ ही बहने वाली एसवाईएल नहर से करीब दो किलोमीटर दूर 15 वर्षीय देवराज का शव 24 गोताखोरों ने कड़ी मशक्कत कर बरामद किया तो वहीं 14 वर्षीय दीपांशु का शव मूनक हेड से मिला। किशोरों की मौत से गांव में शोक का माहौल है। पोस्टमार्टम के बाद दोनों के शवों का गांव में अंतिम संस्कार कर दिया गया। परिजनों की मानें तो दीपांशु की आंख के हाथ और पांव पर चोट के निशान है। वहीं पुलिस का कहना है कि दोनों की डूबने से ही मौत हुई है।
देवराज गांव के ही शांति विद्या मंदिर में 10वीं कक्षा में पढ़ता था। वह माता-पिता का इकलौता बेटा था, जबकि दीपांशु गांव के ही कन्हैया पब्लिक स्कूल में 9वीं कक्षा में पढ़ता था। परिजनों के अनुसार देवराज उर्फ मानू व दीपांशु शनिवार को अपने-अपने स्कूल गए थे। स्कूल से आने के बाद करीब दो बजे दीपांशु स्टेडियम में खेलने के लिए देवराज के साथ साइकिल से स्टेडियम के लिए निकले। जब सायं सात बजे तक भी घर नहीं पहुंचे तो परिजनों को चिंता हुई। नहर किनारे दोनों की चप्पल व साइकिल मिलने से उनके डूबने की आशंका हुई। शनिवार रात को ही सर्च अभियान शुरू कर दिया था।
जुगाड़ के सहारे जान पर खेलकर चलाया सर्च अभियान
बड़ौता के देवराज व दीपांशु को एसवाईएल नहर में खोजने को लेकर प्रशासन पूरी तरह लचर रहा। ग्रामीण जुगाड़ के सहारे जान पर खेलते हुए नहर में उतरे। नहर के दोनों किनारों पर ट्रैक्टरों पर रस्सा बांधकर बिना ऑक्सीजन सिलेंडर व अन्य बचाव संसाधन के चलाए गए सर्च अभियान को सिंचाई व पुलिस अधिकारियों से लेकर क्षेत्र के विधायक बख्शीश सिंह विर्क भी देखते रहे, लेकिन इन लोगों के रिस्क को लेकर कोई गंभीर नहीं दिखाई दिया।
लोगों के चेहरे पर दिखी बेबसी
यह प्रशासनिक नाकामी का ही प्रमाण है कि नहर में दो किशोरों को ढूंढऩे के लिए 1400 क्यूसिक पानी के कम होने का इंतजार करना पड़ा। बाद में बिना संसाधन के इतने लोगों ने जान की बाजी लगा दी। गहरे पानी में वे ईंटों, पत्थरों, कांच व झाडिय़ों से लेकर पशुओं के शवों से भी टकराते रहे। ऐसे में कई लोग चोटिल भी हुए तो कई को बाहर आना पड़ा। बिना ऑक्सीजन सिलेंडर के पानी में उतरे गोताखोर व अन्य ग्रामीण महज एक मिनट भी पानी में डुबकी नहीं लगा पा रहे थे तो वहीं दोनों किशोरों को ढूंढने की बेबसी उनके चेहरे पर साफ दिखाई दी। नहर से बाहर निकलने पर संसाधन व व्यवस्था को लेकर उन्होंने प्रशासनिक व्यवस्था पर सीधे सवाल खड़े किए।
डीसी कार्यालय की ओर से गए गोताखोर भी पहुंचे खाली हाथ
डीसी कार्यालय की ओर से नीरज, सांवत, कर्ण व अर्जुन को नहर पर दोनों किशोरों को ढूंढऩे के लिए भेजा गया तो वहीं फायर ब्रिगेड के कर्मचारी भी गाड़ी लेकर पहुंचे। ये कर्मचारी भी ग्रामीणों के रस्से के बनाए जुगाड़ के सहारे ही नहर में उतरे। कर्मचारियों ने बताया कि करीब ढाई साल पहले उन्हें गोताखोर के तौर पर अस्थाई रूप से नियुक्त किया था, लेकिन उन्हें संसाधन मिलने तो दूर समय पर वेतन भी नहीं मिल रहा। पिछले छह माह से वे वेतन मिलने की बाट जोह रहे हैं।
ये ग्रामीण रहे नहर में चलाए सर्च अभियान में शामिल
आठ घंटे तक दोनों किशोरों को ढूंढऩे के लिए चलाए गए सर्च अभियान में डीसी कार्यालय के चार व फायर ब्रिगेड की ओर से तीन गोताखोरों के अलावा ग्रामीण भी जुटे रहे। इनमें मुख्य रूप से पुलिस विभाग में तैनात एसआइ आजाद सिंह, कुलदीप सिंह, राजवीर सिंह, विकास, सुरेंद्र, गोलू, योगेश, सचिन, मोनू, छोटू पहलवान, विपुल, काला, तेजबीर सिंह, प्रदीप कुमार के अलावा अन्य ग्रामीण भी शामिल रहे।
विधायक बोले, पुल के समीप जाल आदि लगाने के लिए सीएम के समक्ष रखी जाएगी मांग
असंध विधायक बख्शीश सिंह विर्क ने बातचीत में बताया कि सूचना मिलते ही नहर का पानी कम करा दिया था। ग्रामीणों द्वारा पुल के समीप रेलिंग व घाट आदि लगाने की मांग पर उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे को सीएम के समक्ष उठाएंगे, ताकि इस तरह के प्रबंध आबादी के पास बने पुल के समीप बनाए जा सके।
इकलौते बेटे के शव को देख बिलख उठा पिता, बोला-पत्नी को क्या दूंगा जवाब
देवराज का शव जैसे ही नहर से बाहर निकाला तो पिता राजा बिलख पड़े। इकलौते बेटे को खोने का सदमा वह सहन नहीं कर पाया। मृत बेटे के सिर को गोद में लेकर बस एक ही सवाल दोहराता रहा कि वह उसकी मां को क्या जवाब देगा। इस नहर ने उसके बेटे को निगल लिया है, उसका क्या कसूर था। कई बार बेहोशी जैसी हालत में पहुंचे राजा को ग्रामीणों व रिश्तेदारों ने संभाला। वहीं देवराज का शव मिलने के बाद अपने बेटे दीपांशु के भी डूबे होने की बढ़ी आशंका के चलते पूर्व फौजी समुंदर सिह भी पथराई आंखों से नहर को निहारते रहे। जैसे ही उसके बेटे का भी शव मूनक हैड से मिलने की सूचना पहुंची तो उनका भी कलेजा फट सा गया। सदमे में आए समुंदर सिंह को अन्य परिजनों व ग्रामीणों ने संभाला।
रातभर भटकते रहे परिजन व ग्रामीण
जहां पहले दोनों बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराई गई तो वहीं नहर किनारे चप्पल मिलने के बाद उनके नहर में डूबने की आशंका हुई। इसके बाद रात करीब 12 बजे तक नहर व आसपास तलाश की जाती रही तो वहीं ग्रामीणों में नहर में बह रहे करीब 1400 क्यूसिक पानी से भी भय लगने लगा। इसके बाद वे पहले मधुबन थाना गए तो इसके बाद सिंचाई विभाग कार्यालय करना पहुंचे, जहां पानी कम करने की मांग की। इसी बीच विधायक बख्शीश सिंह विर्क को भी पानी कम कराने की मांग की, जिसके बाद रात को ही नहर में पानी कम कर दिया गया। इसके बाद कुछ समय तक सर्च अभियान चलाया, लेकिन अंधेरे के चलते आधी रात को रोक दिया गया तो सुबह सात बजते ही फिर शुरू कर दिया गया।
फुटबॉल का खिलाड़ी भी रहा दीपांशु
देवराज के नाना जगदीश व ताऊ गुलाब के अलावा पूर्व फौजी समुंदर सिंह ने बताया कि वे दोनों ही पढ़ाई में बेहतर थे। अलग-अलग स्कूल में पढ़ाई करते थे, लेकिन दोनों की रूची खेलों में थी। दीपांशु का मनपंसद खेल फुटबॉल था और वह नरूखेड़ी की टीम की ओर से जिला स्तर तक खेल चुका था। अभी वे दोनों बॉक्सिंग की भी प्रैक्टिस करने लगे थे।
अनहोनी का पता होता तो भैया को रोक लेती
देवराज की चचेरी बहन मानसी ने बताया कि दीपांशु उसे बुलाने के लिए घर आया था। उसने जैसे ही गेट के बाहर से आवाज लगाई तो देवराज तुरंत ही उसके साथ निकल गया। जाते समय उसे बताया था कि वे स्टेडियम जा रहे हैं। उसे अनहोनी की आहट होती तो वह भैया को कभी जाने नहीं देती।
देवराज का शव दो तो दीपांशु का चार किलोमीटर दूर मिला
देवराज का शव दो किलोमीटर दूर तो दीपांशु का शव चार किलोमीटर दूर मिला। दोनों किशोर दोस्त थे और शनिवार को स्कूल से आने के बाद हर रोज की तरह स्टेडियम में खेलने के लिए निकले थे। दोनों की मौत से गांव में शोक की लहर दौड़ गई। पुलिस ने दोनों शवों का पोस्टमार्टम करा परिजनों को सौंप दिया। दीपांशु के हाथ-पांव के साथ-साथ चेहरे पर आंख के पास भी कुछ चोट के निशान मिले हैं। शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। 15 वर्षीय मृतक देवराज गांव के ही शांति विद्या मंदिर में 10वीं कक्षा में पढ़ता था। वह माता-पिता का इकलौता चिराग था, जबकि करीब 14 वर्षीय दीपांशु गांव के ही कन्हैया पब्लिक स्कूल में 9वीं कक्षा में पढ़ता था।
दीपांशु पूर्व फौजी का बेटा तो देवराज के पिता करते है मजदूरी
दीपांशु के पिता समुंदर सिंह पूर्व फौजी है, जो चार साल पहले ही सेना से सेवानिवृत्त हुए है। दीपांशु का एक दूसरा भाई है जो नौवीं कक्षा में पढ़ता है। वहीं देवराज उर्फ मानू अपने पिता राजकुमार उर्फ राजा का इकलौता बेटा था। राजा ट्रैक्टर व अन्य गाड़ी चलाकर अपने परिवार का पालन करता है।
असंध विधायक बख्शीश सिंह विर्क भी मौके पर पहुंचे
दो किशोरों की नहर में डूबने की सूचना मिलने पर बड़ौता के अलावा आसपास के गांवों के भी सैंकड़ों लोग जमा हो गए जबकि क्षेत्र के विधायक बख्शीश सिह विर्क, पूर्व सरपंच जयपाल पूनिया, सिंचाई विभाग के एसडीओ करनैल सिह, मधुबन थाना प्रभारी तरसेम सिंह के अलावा फायर ब्रिगेड कर्मचारी भी पहुंचे।
डूबने से ही हुई दोनों की मौत : एसएचओ
एसएचओ मधुबन तरसेम सिंह का कहना है कि देवराज व दीपांशु के शवों का पोस्टमार्टम कराने के बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार दोनों की मौत डूबने से ही हुई है। देवराज के शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं मिले हैं। वहीं, दीपांशु की आंख के पास व हाथ-पांवों पर हल्की खरोंच सी लगी है, लेकिन ऐसी चोटें नहर में इतनी दूरी तक जाने के दौरान भी लग सकती है। अभी परिजनों की ओर से भी कोई आशंका व आरोप नहीं लगाए गए है। इसके बावजूद पुलिस मामले पर पुलिस निगरानी बनाए हुए है। दोनों नहर में कैसे और क्यों गिरे, यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है।