अजीबोगरीब सरकारी स्कूल, तीसरी कक्षा के विद्यार्थियों को सुनाई देते चौथी के प्रश्न Panipat News
जींद के वार्ड 10 में चलने वाले सरकारी स्कूल के न सिर्फ शिक्षक परेशान हैं बल्कि विद्यार्थी भी तंग आ चुके हैं।
पानीपत/जींद, [बिजेंद्र मलिक]। वैसे तो सरकारी स्कूल के किस्से तो बहुत सुने होंगे। लेकिन एक स्कूल ऐसा भी है, जहां विद्यार्थियों को पढ़ाई को लेकर भ्रम की स्थिति रहती है। चौथी कक्षा को तीसरी के प्रश्न सुनाई देते तो तीसरी वालों को चौथी के। ऐसा रोज-रोज होता है। यकीन नहीं हो रहा तो पढि़ए ये खबर।
शहर के वार्ड 10 की एक कॉलोनी में सरकारी स्कूल, जहां केवल दो कमरे हैं। एक कमरे में तीन व दूसरे कमरे में दो कक्षाएं बैठती हैं। एक कमरे में तीसरी व चौथी कक्षा लगी थी। एक तरफ बोर्ड पर चौथी कक्षा तो दूसरी तरफ तीसरी की कक्षा लगती है। दोनों शिक्षकों व बच्चों की आवाज में ये समझ में नहीं आ रहा था कि शिक्षक क्या बोल रहा है। जिससे बच्चों को भी समझने में परेशानी हो रही थी।
जगह की कमी की वजह से बच्चों के भविष्य से खिलवाड़
शिक्षक प्रेमचंद से इस बारे में पूछा, तो उसने बताया कि जगह की कमी होने से नए कमरे नहीं बन सकते। हर साल नए कमरों के लिए बजट आता है, लेकिन जगह नहीं होने के कारण बजट वापस चला जाता है।
स्कूल में करेंगे विजिट
जब जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी दिलजीत सिंह से इस बारे में बात की गई, तो उन्होंने कहा कि वे स्कूल की विजिट करेंगे। ठंड के मौसम में बच्चों को परेशानी ना हो, इसके लिए स्कूल को डबल शिफ्ट में चलाने के लिए मुख्यालय से अनुमति मांगी जाएगी।
150 गज में है स्कूल
ये स्कूल लगभग 150 गज जमीन में है। जो कमरे बने हुए हैं, वो भी विभाग के तय मानकों से काफी छोटे हैं। कमरों के आगे छोटा सा आंगन है। शिक्षकों ने पैसे एकत्रित कर इसके ऊपर टिन डाला हुआ है। ताकि जरूरत पडऩे पर बच्चों को यहां बैठाया जा सके। पहली से पांचवीं कक्षा तक 160 बच्चे हैं, चार बच्चे नर्सरी के हैं। ठंड ज्यादा होने के कारण बच्चों को बाहर जमीन पर नहीं बैठा सकते। इसलिए कमरों में एक से ज्यादा कक्षाएं बैठा रहे हैं।
मिड डे मील भी यहीं चल रहा
कमरे के बाहर ही छोटी सी रसोई बनाई गई है। जिसमें महिला कर्मचारी मिड डे मील का खाना बना रही थी। मिड डे मील का सामान भी रखने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं है। इन्हीं कमरों में राशन व स्कूल से संबंधित चीजों को रखने के लिए अलमारी रखी हुई हैं। बारिश के दिनों में तो परेशानी और बढ़ जाती है। लेवल नीचा होने के कारण स्कूल में पानी भर जाता है। जिससे बच्चों को परेशानी होती है।