प्रवासी श्रमिकों की परेशानी बरकरार, राज्यों ने अपने ही नागरिकों को लेने से किया इंकार
दूसरे राज्यों में रह रहे श्रमिक जब अपने राज्यों में पहुंच रहे तो उन्हें लेने से ही इंकार कर दिया जा रहा है। उन्हें बस सहित वापस भेज दिया जा रहा है।
पानीपत/अंबाला, जेएनएन। अंबाला शहर के जलबेहड़ा रोड स्थित राधा स्वामी सत्संग भवन से रोडवेज की 18 बसें 540 प्रवासी श्रमिकों को लेकर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के लिए सुबह रवाना हुई थी। बसें डेढ़ घंटे में हरियाणा-यूपी बॉर्डर कलानौर पहुंच गई थीं, लेकिन यहां सहारनपुर पुलिस ने एंट्री नहीं दी। साढ़े तीन घंटे तक श्रमिक पुलिस के सामने मिन्नतें करते रहे, लेकिन किसी की नहीं सुनी। बाद में पुलिस ने उन्हें सरकार के आदेश का हवाला देकर लौटा दिया। ।
कलनौर बॉर्डर से लौटे श्रमिक प्रताप, जम्मू, प्रकाश, राज कुमार व सोनू ने बताया कि उन्होंने रजिस्ट्रेशन करवाया था। एक दिन पहले उप्र जाने के लिए मैसेज आया था। उसमें जगह का नाम भी सत्संग भवन का था। इसलिए सुबह वह यहां पहुंच गये थे। बसों में बैठने से पहले सभी का मेडिकल किया गया था। उसके बाद रवाना हुए थे। लेकिन उप्र बॉर्डर पर सहारनपुर पुलिस ने आगे नहीं जाने दिया। उन्होंने पुलिस को रजिस्ट्रेश पत्र भी दिखाए, किंतु बात नहीं बनी।
खेतों के रास्ते चले
जब सभी श्रमिकों को सत्संग भवन वापस छोड़ दिया गया तो श्रमिक अपना-अपना सामान उठाकर वहां से चल पड़े। कुछ ऐसे थे जो खेतों के रास्ते गये और कुछ जहां रह रहे थे वहां गये। बताया जा रहा कई श्रमिकों को उनके मालिकों ने दोबारा से वहां घुसने नहीं दिया गया। ऐसे में उन्हें खेत या फिर सड़क किनारे शरण लेनी पड़ रही है।
यूपी में क्षमता पूरी हो जाने के कारण श्रमिकों की एंट्री हो नहीं पाई है। इसलिए सभी श्रमिकों को दोबारा से मैसेज भेजकर उन्हें भेजा जाएगा। इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार से बातचीत चल रही है। जिन श्रमिकों का रजिस्ट्रेशन हुआ है उन्हें हर हाल में उनके गृहक्षेत्र में भेजा जाएगा।
-गौरी मिड्डा, एडिशनल एसडीएम
साहब! हमें जाने दो या मार दो, हमने कौन सा गुनाह किया
साहब! हमें जाने दो या मार दो, हमने कौन सा गुनाह किया है। यह दुखड़ा शंभू बॉर्डर पर प्रवासी कामगारों ने हरियाणा-पंजाब पुलिस के आगे रोया। दोनों राज्यों की पुलिस ने उनकी एक नहीं सुनी। इसके बाद श्रमिकों ने बॉर्डर पर जाम लगा दिया। दरअसल, लॉकडाउन के चलते पंजाब के लुधियाना की फैक्टियों से बाहर निकाल देने के बाद श्रमिक परिवार के साथ पैदल उप्र के जिला हरदोई के लिए चले थे। खेतों के रास्ते होते हुए लुधियाना से 174 किलोमीटर दूर यमुनानगर-उप्र के बॉर्डर कलानौर पहुंचे, लेकिन यहां पुलिस ने रोडवेज की दो बसों में मेडिकल करवाने के बहाने में उन्हें बैठाकर हरियाणा-पंजाब शंभू बॉर्डर पर लाकर छोड़ दिया। गुस्साए श्रमिकों ने जाम लगा दिया तो डेढ़ घंटे बाद पुलिस जाम खुलवाने में सफल हुई।
हंगामे के बीच पुलिस के हाथ-पांव फूले
बॉर्डर पर धरना देकर जाम लगाने के बाद दोनों राज्यों की पुलिस के हाथ-पांव फूल गए। पंजाब की तरफ जाने वाले रास्ते पर वाहनों की लंबी कतार लग गई। हालांकि दोनों राज्यों की पुलिस ने उन्हें समझाने का प्रयास किया, परंतु श्रमिक इस बात पर अड़े रहे कि हमें जाने दो या फिर हमें मार दो। हमने कौन सा गुनाह कर दिया, क्या हम अपने घर भी नहीं जा सकते, लेकिन पुलिस ने नहीं सुनी और धक्के से हटाना चाहा। श्रमिक भी अड़ गये और पुलिस से बहसबाजी हो गई।
सात घंटे धूप में रहे श्रमिक
मामला यही खत्म नहीं हुआ। पुलिस के जोर पर श्रमिकों ने जाम तो खोल दिया, परंतु पंजाब पुलिस ने उन्हें अपनी तरफ दोबारा आने से मना कर दिया। ऐसे में श्रमिक बॉर्डर पर ही चौड़े डिवाइडर के बीच में ही सात घंटे से अधिक 37 से 38 डिग्री तापमान के बीच धूप में बैठे रहे।
श्रमिक बोले, पुलिस ने उन्हें मारा और गालियां दीं
उप्र के जिला हरदोई के रहने वाले प्रवासी शेखर, बबलू, जगमोहन, गंगाराम, घीसूराम, राजू, प्रवेश, उíमला, रजनी, मीरा, सुमन ने बताया कि वह 174 किलोमीटर पैदल चलकर यूपी के कलानौर बॉर्डर पर पहुंचे थे, लेकिन वहां पुलिस ने उन्हें रोक लिया और उनके साथ मारपीट के अलावा गालियां भी दी है।
प्रवासियों का कहना था कलानौर बॉर्डर उन्हें उप्र में पुलिस ने जाने नहीं दिया और रोडवेज की बसों में शंभू बॉर्डर पर लाकर छोड़ दिया। इसी बात को लेकर श्रमिकों में रोष था। वह बार-बार अपने घर जाने की मांग कर रहे थे।
-गुरतरण सिंह, सब इंस्पेक्टर, शंभू बॉर्डर