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आरटीआइ का जवाब नहीं देना महंगा पड़ा, चार अधिकारियों पर लगा जुर्माना

आरटीआइ एक्ट की धज्जियां उड़ाने में जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर राज्य सूचना आयोग ने कड़ी कार्रवाई की है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Aug 2018 11:12 AM (IST)Updated: Sun, 05 Aug 2018 08:08 PM (IST)
आरटीआइ का जवाब नहीं देना महंगा पड़ा, चार अधिकारियों पर लगा जुर्माना
आरटीआइ का जवाब नहीं देना महंगा पड़ा, चार अधिकारियों पर लगा जुर्माना

उमेश भार्गव, अंबाला शहर

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आरटीआइ एक्ट की धज्जियां उड़ाने में जिला शिक्षा विभाग के राज्य जनसूचना अधिकारी (एसपीआइओ) सहित चार कर्मचारी फांस गए हैं। प्रत्येक पर राज्य सूचना आयोग ने 6250 रुपये का जुर्माना ठोंक दिया है। अगस्त माह के वेतन से यह जुर्माना काटने के आदेश भी आयोग ने जारी कर दिए हैं। मामला वर्ष 2017 से चल रहा है। करीब 16 माह बाद भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराने पर आयोग ने यह सख्ती दिखाई है।

छावनी निवासी अजय कुमार गुप्ता ने राज्य सूचना आयोग को भेजी अपनी शिकायत में बताया था कि उन्होंने सीएम ¨वडो पर 25 जनवरी 2017 को सीएम ¨वडो पर शिकायत दर्ज करवाई थी। इस पर शिक्षा विभाग ने अधूरी कार्रवाई की। उन्होंने जांच रिपोर्ट, आर्डर सहित चार ¨बदुओं पर आरटीआइ के तहत जानकारी मांगी थी। जानकारी नहीं दी तो पहले 8 मई को फिर सेकेंड अपील राज्य कमीशन आयोग को 2 सितंबर 2017 को दी। इसकी सुनवाई 24 अप्रैल 2018 को हुई।राज्य सूचना आयुक्त ने 15 दिनों में मांगी गई सूचना उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। जानकारी नहीं देने पर वर्तमान एसपीआइओ प्रमोद गुप्ता व तत्कालीन एसपीआइओ उर्मिला रोहिला को सो काज नोटिस जारी कर दिया। इसकी सुनवाई में असंतुष्ट आयोग ने वर्तमान प्रमोद गुप्ता, उर्मिला रोहिला, सहायक धर्मबीर व क्लर्क विशाल वर्मा पर 6250-6250 रुपये का जुर्माना लगा दिया। यह राशि अगस्त माह के वेतन से काटने के आदेश दिए हैं। प्रार्थी को एक सप्ताह के भीतर मांगी गई सूचना की सत्यापित प्रतियां देने के निर्देश दिए हैं।

यह मांगी गई थी जानकारी

सीएम ¨वडो पर अजय कुमार गुप्ता ने शिकायत फार्म छह जोकि स्कूलों द्वारा ली जाने वाली फीस से संबंधित है, के बारे में शिकायत डाली थी। जिला शिक्षा विभाग ने फार्म छह को गंभीरता से नहीं लिया। न ही किसी स्कूल पर अधिक फीस वसूलने पर जुर्माना लगाया। इसी कारण तमाम शिक्षा विभाग जानकारी देने से कतराता रहा। सीएम ¨वडो पर शिकायत के बावजूद खानापूर्ति कर दी गई। इसकी जांच रिपोर्ट अजय कुमार ने मांगी थी। सरकारी कर्मचारी होते हुए प्राइवेट वकील कर दिया आयोग में पेश

एसपीआइओ प्रमोद गुप्ता ने सरकारी अधिकारी होते हुए भी राज्य सूचना आयुक्त के सामने अपने प्राइवेट वकील रजनीश सैनी को पेश कर दिया। आरटीआइ एक्ट अपील रूल के तहत किसी भी प्राइवेट वकील को आयोग के सामने बिना किसी आधिकारिक अनुमति के पेश नहीं कर सकते। यदि रजनीश सैनी को विभागीय इजाजत से पेश किया गया तो साहिल शर्मा जोकि सरकारी लीगल एडवाइजर नियुक्त हैं, को क्यों नहीं भेजा गया। ऐसे में एसपीआइओ का इस मामले में भी फंसना तय है।

अभी तक नहीं भरा पिछला 25 हजार जुर्माना

राज्य सूचना आयोग के निर्देश भी जिला शिक्षा विभाग में नहीं चलते। राज्य सूचना आयुक्त ने मई माह में प्रमोद गुप्ता पर 25 हजार रुपये जुर्माना सूचना न देने पर लगाया था। डीईओ को निर्देश दिए थे कि जून माह के वेतन से इसे काटा जाए। जून माह को वेतन बिना जुर्माना राशि काटे करीब 20 दिन पहले ही जारी कर आयोग के निर्देशों की धज्जियां उड़ा दी।

वर्जन

एसपीआइओ प्रमोद गुप्ता सहित चार पर 6250-6250 रुपये जुर्माना लगाया गया है। मेरी ही अपील में मई माह में भी प्रमोद गुप्ता पर 25 हजार जुर्माना आयोग ने लगाया था लेकिन वह भी अभी तक नहीं जमा कराया गया। इसकी भी मैंने आरटीआइ लगाकर जानकारी मांग ली है।

अजय कुमार गुप्ता, आरटीआइ एक्टिविस्ट।


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