रंग रसायन के व्यापारी नहीं करेंगे उधार में कारोबार
कोरोना संकट ने रंग रसायन उद्योग को तबाह कर दिया है। कारोबार मंदा होने से नकद भुगतान करने पर ही कच्चा माल मिलता है। आर्थिक तंगी से निपटने के लिए इस कारोबार से जुड़े व्यापारी अब उधार में माल नहीं बेचेंगे। रंग रसायन के उत्पादन में देश आत्मनिर्भर न होने से चीन से भी कुछ रॉ मैटेरियल मंगाना पड़ रहा है।
अरविन्द झा , पानीपत
कोरोना संकट ने रंग रसायन उद्योग को काफी नुकसान पहुंचाया है। आर्थिक तंगी से निपटने के लिए इस कारोबार से जुड़े व्यापारी अब उधार में माल नहीं बेचेंगे। रंग रसायन के उत्पादन में आत्मनिर्भर न होने से चीन से भी कुछ रॉ मैटेरियल मंगाना पड़ रहा है।
उद्योग में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल का उत्पादन गुजरात व मुंबई में होता है। एच एसिड, जे एसिड और के एसिड का चीन से आयात करना पड़ता है। हालांकि एच एसिड का उत्पादन अब अपने देश में शुरू हो गया है। सस्ता होने से ज्यादातर व्यापारी चीन से कच्चा माल खरीदना पसंद करते हैं। लॉकडाउन से पहले रंग रसायन के व्यापारी माल का लेन-देन आपस में उधार में करते थे। बाजार में साख के चलते पैसे का भुगतान बाद में हो जाता था। इस उद्योग से जुड़े व्यापारी अब और ज्यादा आर्थिक नुकसान नहीं झेल सकते। दिल्ली में इस उद्योग से जुड़े काम धंधे बंद होने से भुगतान का संकट गहराने लगा है। पानीपत में रंग रसायन ट्रेडर्स एसोसिएशन ने निर्णय लिया है कोरोना संकट से उबरने के बाद नकदी कारोबार को बढ़ावा देंगे।
तीन माह से बंद है उद्योग
कोरोना संक्रमण रोकने के लिए देशभर में 24 मार्च 2019 से लॉकडाउन लगा दिया गया था। पानीपत का 500 करोड़ का रंग रसायन उद्योग इससे प्रभावित हुआ। तीन माह से बंद इन उद्योगों की हालात नहीं सुधरी है। मजदूरों का गंभीर संकट है।
रंगों की मांग कम
गुजरात के सूरत शहर में रंग रसायन का बड़ा बाजार है। कोरोना के असर से ये बाजार बंद हैं। अर्थव्यवस्था प्रभावित होने से रंगों की डिमांड 5-7 फीसद कम हो गई है। जुलाई महीने से रंगों के रेट में और गिरावट आने की संभावना है।
छोटे डाईहाउसों पर मार
रंग रसायन उद्योग प्रभावित होने से छोट डाईहाउसों पर मार पड़ी है। उनके पास कोई काम नहीं है। ये बंदी के कागार पर खड़े हैं।
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बाजार में भुगतान का संकट है। डाइज एंड केमिकल ट्रेडर्स एसोसिएशन में 100 से अधिक सदस्य इस कारोबार में योगदान दे रहे हैं। कोरोना संकट के बाद सभी नकद में अपना माल बचेंगे। उधार में काफी पैसा बाजार में फंसा है। हमें भी अब नकद में ही माल मिल रहा है।
संजीव मनचंदा
प्रधान डीसीटीए, पानीपत।