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पानीपत में टोल फ्री की फिर उठी आवाज, इस बार किसानों और गांव वालों ने उठाया झंडा

पानीपत में टोल फ्री की मांग उठी है। आज सुबह 11 बजे डीसी और एलएंडटी कंपनी के अधिकारियों को सौंपा जाएगा ज्ञापन। इसके बाद भी मांग न मानी गई तो धरना दिया जाएगा। फ्लाईओवर का इस्तेमाल नहीं करते तो टोल नाका क्यों दें।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 28 Dec 2021 09:42 AM (IST)Updated: Tue, 28 Dec 2021 09:42 AM (IST)
पानीपत में टोल फ्री की फिर उठी आवाज, इस बार किसानों और गांव वालों ने उठाया झंडा
पानीपत में टोल फ्री को लेकर किसानों का प्रदर्शन।

पानीपत, जागरण संवाददाता।  पानीपत के टोल नाके को फ्री करने के लिए एक बार फिर से आवाज उठी है। खास बात ये है कि इस बार ये मामला उठाया है किसानों और गांव वालों ने। संयुक्त किसान तालमेल कमेटी के बैनर तले सभी एकत्र हो रहे हैं। मंगलवार को टोल नाके के अधिकारियों और डीसी को ज्ञापन सौंपकर चेताया जाएगा। इसके बाद धरना दिया जाएगा। तब भी नहीं माने तो किसान आंदोलन की तरह इस नाके को टोल फ्री भी कराया जा सकता है।

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पानीपत टोल नाके के नजदीक निजामपुर, बाबरपुर मंडी, बाबरपुर गांव, गांजबड़, बड़ोली, कचरोली, शिमला मौलाना, राजापुर सहित कई गांव आते हैं। इन गांवों का कहना है कि वे फ्लाईओवर का इस्तेमाल नहीं करते। उनसे किस बात का टोल टैक्स लिया जा रहा है। उन्हें छोटे कामों के लिए टोल नाका पार करना पड़ता है। हर बार उनसे टैक्स लिया जाता है। पानीपत के लोगों के लिए टोल फ्री होना चाहिए। करनाल में बसताड़ा के पास आसपास के गांवों के लिए टोल नाका फ्री है। ठीक उसी तरह यहां भी ये व्यवस्था होनी चाहिए।

संसद में उठा था मुद्दा

संसद में सांसद संजय भाटिया ये मुद्दा उठा चुके हैं। उन्होंने चुनाव में वादा किया था कि वे सांसद बने तो टोल नाके को पानीपत वासियों के लिए फ्री करा देंगे। लेकिन ऐसा हो नहीं सका। संसद में आवाज उठाई तो बताया गया कि फ्लाईओवर बनने से पहले ऐसा कोई नियम या शर्त नहीं लगाई गई कि पानीपत वासियों के लिए टोल फ्री होगा। एलएंडटी कंपनी यहां पर टोल वसूलती है। यही कंपनी फ्लाईओवर के नीचे व्यवस्था देखती है। नाला बनवाया गया है। सफाई कराई जाती है।

अश्विनी चोपड़ा ने कराया था टोल फ्री

स्व.अश्विनी चोपड़ा जब यहां सांसद थे, तब उन्होंने टोल नाके को फ्री करा दिया था। तब उन्होंने कहा था कि दोबारा टोल नाका खुला तो वे धरना देंगे। उन्होंने बाकायदा रिबन भी काटा था। इसके बावजूद टोल नाका खुल गया। तब लोगों ने काफी धरना दिया। प्रदर्शन किया। लेकिन आम लोगों की सुनवाई नहीं हुई। स्थानीय लोगों को भी 35 रुपये देकर टोल नाका पार करना पड़ता है।


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