स्मॉग से हाल बेहाल, बचाव के लिए वॉट्सएप-फेसबुक ग्रुपों के जरिए दिए जा रहे टिप्स
स्मॉग खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। सिविल अस्पताल सीएचसी-पीएचसी सहित प्राइवेट अस्पतालों में खांसी-जुकाम सांस के रोगी पहले की तुलना में दोगुने पहुंच रहे हैं।
पानीपत, जेएनएन। वातावरण की ओढ़ी स्मॉग की मोटी चादर खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। सिविल अस्पताल, सीएचसी-पीएचसी सहित प्राइवेट अस्पतालों में खांसी-जुकाम, सांस के रोगी पहले की तुलना में दोगुने पहुंच रहे हैं। जनमानस की बढ़ी परेशानी को देख आइएमए के चिकित्सक, पैरामेडिकल स्टाफ सहित सामाजिक संगठन के पदाधिकारी वॉट्सएप-फेसबुक के जरिए स्मॉग से बचाव के टिप्स दे रहे हैं।
आइएमए की अध्यक्ष डॉ. अंजलि बंसल ने वॉट्सएप और फेसबुक ग्रुपों पर एक संदेश जारी किया है। उन्होंने डब्ल्यूएचओ के हवाले से बताया कि वायु प्रदूषण फेफड़ों, हृदय, तंत्रिका तंत्र, मस्तिष्क, पाचन तंत्र और त्वचा पर असर डालता है। इससे अस्थमा, सांस की बीमारियां, कैंसर, हृदय की बीमारियां, लकवा (स्ट्रोक), मानसिक बीमारियां होने का खतरा अधिक रहता है। बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं, बच्चे, अस्थमा और एलर्जी के रोगियों के लिए स्मॉग अधिक घातक है। ऐसे में स्मॉग से बचाव करने से स्वस्थ रहा जा सकता है। कुछ ऐसा ही मैसेज सोशल मीडिया के जरिए इनरव्हील क्लब पानीपत की अध्यक्ष डॉ. हेमा रमन ने भी जारी किया है। चिकित्सकों के अलावा पैरा मेडिकल स्टाफ भी नॉन मेडिकल ग्रुपों में स्मॉग से बचाव के टिप्स जारी कर रहे हैं।
- ये दी जा रही है सीख
- पराली बिल्कुल न जलाएं।
- धुआं छोड़ते वाहन चालकों को रोककर समझाएं।
- घर-बाहर में कूड़ा-करकट को आग न लगाएं।
- घर में एयर प्यूरीफायर लगवाएं।
- घर से बाहर निकलें तो मुहं पर मास्क लगाएं।
- दिन में तकरीबन 3-4 लीटर तक पानी पिएं।
- आंखों पर चश्मा पहनें।
- बाहर से घर पहुंचने पर गुनगुने पानी से चेहरा धोएं।
- सांस लेने में तकलीफ है गर्म पानी की भाप लें।
- अस्थमा-दिल के मरीज समय पर मेडिसिन लें।
- दमा के रोगी इनहेलर हमेशा साथ रखें।
- तुलसी, अदरख की चाय का सेवन करें।
- स्मॉग के समय बुजुर्ग बाहर न टहलें।