तीन हजार करोड़ के निर्यातक ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया को भूला प्रशासन
जागरण संवाददाता पानीपत तीन हजार करोड़ से अधिक के निर्यातक ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया को प
जागरण संवाददाता, पानीपत : तीन हजार करोड़ से अधिक के निर्यातक ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया को प्रशासन ने भुला दिया है। सरकार से संघर्ष कर 31 करोड़ रुपये विकास के लिए लेने के बावजूद पिछले छह माह से इंडस्ट्रियल एरिया का विकास कार्य ठप है। ठेकेदार ने सड़कें खोद कर अधूरी छोड़ दी हैं। टूटे पड़े नालों का पानी सड़कों पर बह रहा है। दिन भर धूल उड़ती रहती है। पिछले सप्ताह ठेकेदार ने मच्छी मार्केट वाली सड़क पर मिट्टी डलवाने का काम शुरू किया था, दो-तीन दिन तक काम होने बाद फिर से बंद कर दिया गया है। ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया का विकास कार्य 31 मार्च 2020 तक पूरा होना था। एक साल बीतने के बाद भी विकास कार्य पूरा नहीं हुआ।
नाकाम व्यवस्था की सजा भुगत रहा ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया
ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया नाकाम व्यवस्था की सजा भुगत रहा है। 17 करोड़ रुपये के बजट से सड़क का निर्माण छह माह पहले शुरू तो किया गया, लेकिन सड़क खोद कर बीच में ही ठेकेदार काम छोड़ गया। ठेकेदार ने भुगतान न मिलने के आरोप लगाए। तीन माह के बाद ठेकेदार को भुगतान भी मिल गया, लेकिन विकास कार्य ठप रहा।
सड़कों के लिए मिट्टी डालनी शुरू
ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया एसोसिएशन के प्रधान विनोद ग्रोवर ने बताया कि ठेकेदार ने मच्छी मार्केट में मिट्टी डलवाकर सड़क बनाने का काम शुरू किया है। नाले बनाने का काम शुरू नहीं किया है। एचएसआइआइडीसी के अधिकारियों से हम लगातार संपर्क में हैं। जागरण टीम ने ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया का बुधवार दौरा किया तो वहां देखा कि पार्षद दुष्यंत भट्ट के कार्यालय के सामने मिट्टी डाली गई है। बाकी कार्य सब अधूरे पड़े हैं। आसपास के लोगों ने बताया कि तीन दिन पहले पार्षद के सामने सड़क पर मिट्टी डाली गई। उसके बाद फिर से काम बंद कर दिया गया है।
निर्यातक बोले-आश्वासन ही मिल रहा है
निर्यातक विनोद धमीजा ने कहा कि सड़कों के बनाने के लिए अधिकारी ओर ठेकेदार चार पांच दिन में काम शुरू करने का आश्वासन दे रहे हैं, लेकिन कार्य शुरू नहीं कर रहे हैं।
चार साल का संघर्ष भी नहीं काम आ रहा
चार साल पहले तत्कालीन वित्त उद्योग मंत्री द्वारा आयोजित समाधान कार्यक्रम में उद्यमियों की मांग पर ओल्ड इंडस्ट्रियल एरिया के विकास सड़क नाले बनाने के लिए 31 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई थी। सरकार ने उद्योग विभाग को यह राशि जारी भी कर दी, लेकिन चार साल बीतने के बाद भी सड़कें नाले नहीं बन पाए।