Lockdown 4: पानीपत में फंसीं असम की तीन सहेलियां, दो नदारद, एक को घर भेजा
मतलौडा में किराए का कमरा लेकर रह रहीं तीन सहेलियां लॉकडाउन में फंस गई। तीनों असम की रहने वाली हैं। दो तो कहीं नदारद हो गईं जबकि एक को घर भेजा गया।
पानीपत, जेएनएन। लॉकडाउन-1 से चंद दिनों पहले असम की तीन सहेलियां (बालिग) जॉब के लिए पानीपत पहुंची थी। तीनों मतलौडा में किराए के कमरे में रह रही थी। जमा-पूंजी खत्म हुई तो दो कमरा छोड़कर नदारद हो गईं, तीसरी (महिला) रह गई। वन स्टॉप सेंटर के स्टाफ ने उसे ट्रेन से घर भिजवाया है।
सेंटर की प्रबंधिका ईशा वर्मा ने बताया कि महिला अपनी दो सहेलियों के साथ 20 मार्च के आसपास पानीपत पहुंची थी। तीनों ने जॉब भी तलाश कर ली थी। 22 मार्च को जनता कफ्र्यू, इसके बाद 25 मार्च से पहला लॉकडाउन लग गया। चार मई तक तीनों एक कमरे में साथ रहीं, पांच मई को इनमें से दो कमरा छोड़कर चली गईं। आठ मई को मकान मालिक ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने वन स्टॉप सेंटर में पहुंचाया। कई बार प्रयास के बाद ट्रेन में 22 मई का रिजर्वेशन हुआ।
प्रबंधिका के मुताबिक यहां से गुरुग्राम तक उसे बस से भिजवाया। वहां से ट्रेन में बैठकर गई, रविवार को अपने घर पहुुुंच गई है। मतलौडा से कमरा छोड़कर नदारद हुई दो युवतियों का पता नहीं चल सका है।
हिंदी-अंग्रेजी नहीं जानती
महिला को न हिंदी आती थी और न अंग्रेजी। वह अपनी मातृ भाषा असमिया जानती थी। इसके चलते महिला से बहुत अधिक जानकारी जुटाने में पुलिस और वन स्टॉप सेंटर का स्टाफ नाकाम रहा। उसने टूटी-फूटी अंग्रेजी में बताया कि वह शादीशुदा है, 10 साल का बेटा है।
पिता ने डांटा तो घर छोड़ आयी किशोरी
वन स्टॉप सेंटर की प्रबंधिका ने बताया कि शनिवार की रात्रि पुलिस एक 13 वर्षीय किशोरी को सेंटर में छोड़कर गई थी। वह सैनी कॉलोनी में लावारिस घूम रही थी। वहां खेल रहे बच्चों ने पुलिस को सूचना दी थी। पहले को किशोरी ने कुछ बताने से इन्कार कर दिया। बाद में उसने पड़ोसी का मोबाइल फोन नंबर दिया। उसके माता-पिता को बुलाकर सुपुर्द कर दिया गया। पिता ने बताया कि उसने बेटी को डांट दिया था, इसलिए घर से निकल गई थी।